महत्वपूर्ण दो सप्ताह

कोरोना से निपटने के लिए चल रही लॉकडाउन की कवायद अब दूसरे सप्ताह में प्रवेश कर चुकी है और जैसे-जैसे समय आगे बढ़ रहा है, दिनों की महत्ता बढ़ती ही जा रही है। सुखद है कि पिछले दो दिनों से देश के विभिन्न हिस्सों के बस अड्डों खासकर गाजियाबाद, दिल्ली में लोगों का जमावड़ा अब …

कोरोना से निपटने के लिए चल रही लॉकडाउन की कवायद अब दूसरे सप्ताह में प्रवेश कर चुकी है और जैसे-जैसे समय आगे बढ़ रहा है, दिनों की महत्ता बढ़ती ही जा रही है। सुखद है कि पिछले दो दिनों से देश के विभिन्न हिस्सों के बस अड्डों खासकर गाजियाबाद, दिल्ली में लोगों का जमावड़ा अब नहीं दिख रहा है और न ही राष्ट्रीय राजमार्गों पर लोगों के पैदल जत्थों का हुजूम दिखाई पड़ रहा है। केंद्र ने जब राज्यों से सीमाएं सील कर लोगों को जहां हैं, वहीं रोककर उनके रुकने, खाने का इंतजाम करने को कहा तो लोगों के पलायन पर रोक लगी है।

कोरोना की फिलहाल जो स्थिति है उससे अभी तक इसके तीसरे चरण में प्रवेश यानी समूह संक्रमण जैसी तो कोई बात सामने नहीं आई है, मगर यही वक्त है सबसे ज्यादा चौकन्ना रहने का। आगामी दो सप्ताह तय करेंगे कि हमारे देश में कोरोना वायरस खत्म होने की ओर होगा या फिर इसमें और वक्त लग सकता है। जैसा कि वैज्ञानिक कहते आ रहे हैं कि किसी व्यक्ति के भीतर वायरस के प्रवेश के अगले एक हफ्ते के बाद गले में संक्रमण के बाद से इसके लक्षण दिखना शुरू होते हैं।

संक्रमित में लक्षण प्रकट होने के समय को ध्यान में रखते हुए ही पहले जनता कर्फ्यू, फिर 21 दिन का लॉकडाउन लागू किया गया था। फिर भी जरूरी है कि कोरोना आशंकित मरीजों की जांच और उनमें कोरोना के पॉजिटिव होने का पता जितनी जल्दी लग सके, वह महत्वपूर्ण है। क्योंकि अगर कोरोना संक्रमित बिना किसी लक्षण के लोगों के बीच गया तो फिर संक्रमण स्वाभाविक है, जिस पर फिलहाल लॉकडाउन ने ब्रेक लगाया हुआ है।

दूसरी महत्वपूर्ण बात है कि लोगों का एक शहर से दूसरे शहर के बीच आवागमन अब लगभग नहीं के बराबर है, ऐसे में मास संक्रमण की संभावना यहां खत्म होती लगती है, जैसा कि वैज्ञानिक मानते हैं। तो अब से लेकर 14 अप्रैल तक का समय बहुत ही महत्वपूर्ण और गंभीर है जिसमें अगर सकारात्मक रवैया रखा जाए और लोगों द्वारा सरकार के दिशा-निर्देशों का पालन किया जाता है तो संभव है कि कोरोना जैसी वैश्विक महामारी पर विजय पाई जा सके।

कोरोना से बचाव के बीच दिल्ली निजामुद्दीन जैसी घटना ने इस पूरी कवायद पर एक तरह से पानी फेरने जैसा काम किया है। मगर जैसा अब तक सामने आया है कि वहां संक्रमित पाए गए सभी लोगों को अलग-थलग कर दिया गया है, राहत भरी बात है। हालांकि अब भी कई राज्यों में ऐसे लोगों का पता नहीं चल सका है जिन्होंने निजामुद्दीन के जलसे में हिस्सा लिया था। मगर उम्मीद की जानी चाहिए कि अगले दो हफ्तों में देश कोरोना से विजय प्राप्त करे।