हल्द्वानी: V Mart को उपभोक्ता से कैरी बैग का अतिरिक्त शुल्क वसूलना पड़ा भारी, लगा भारी जुर्माना

हल्द्वानी: V Mart को उपभोक्ता से कैरी बैग का अतिरिक्त शुल्क वसूलना पड़ा भारी, लगा भारी जुर्माना

हल्द्वानी, अमृत विचार। यह खबर उपभोक्ताओं के हितों से जुड़ी है। शहर के कालाढूंगी रोड स्थित शॉपिंग मॉल वी मार्ट को कैरी बैग का अतिरिक्त चार्ज वसूलना भारी पड़ गया। जिला उपभोक्ता आयोग ने मार्ट प्रबंधन को डेढ़ माह के भीतर परिवादी को मानसिक वेदना की आर्थिक क्षतिपूर्ति के रूप में 25 हजार और वाद …

हल्द्वानी, अमृत विचार। यह खबर उपभोक्ताओं के हितों से जुड़ी है। शहर के कालाढूंगी रोड स्थित शॉपिंग मॉल वी मार्ट को कैरी बैग का अतिरिक्त चार्ज वसूलना भारी पड़ गया। जिला उपभोक्ता आयोग ने मार्ट प्रबंधन को डेढ़ माह के भीतर परिवादी को मानसिक वेदना की आर्थिक क्षतिपूर्ति के रूप में 25 हजार और वाद व्यय के पांच हजार समेत कुल 30 हजार अदा करने का आदेश दिए हैं। इसके अलावा वी मार्ट को ग्राहकों के साथ किए जा रहे अनुचित व्यवहार के लिए एक लाख का अर्थदंड लगाया है। चेतावनी दी है कि आदेश का अनुपालन नहीं करने पर भू राजस्व के रूप में वसूली की जाएगी। इससे पहले नैनीताल रोड स्थित विशाल मेगा मार्ट को भी कैरी बैग का अतिरिक्त शुल्क लेने पर 50 हजार का जुर्माना पड़ चुका है।

देवलचौड़ खाम निकट महर्षि स्कूल निवासी अतुल पंत ने जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग में वी मार्ट रिटेल लिमिटेड हीरा नगर, कालाढूंगी रोड के विरुद्ध वाद दायर किया था। उनका कहना था कि 23 जून 2019 को वी मार्ट से 300 रुपये का सामान खरीदा था, इस दौरान कैरी बैग का छह रुपये अतिरिक्त चार्ज लिया था, जो नियम विरुद्ध था। बैग पर प्रतिष्ठान का विज्ञापन प्रकाशित था। प्रतिष्ठान में इसका कहीं स्लोगन या बोर्ड नहीं लगा था, जिसमें लिखा हो कि कैरी बैग घर से लाएं या कैरी बैग का अतिरिक्त चार्ज देना होगा। जिसके बाद अतुल पंत ने अधिवक्ता के माध्यम से विपक्षी को नोटिस भेजकर 15 हजार क्षतिपूर्ति की मांग की।

वाद में मैसर्स वी मार्ट रिटेल पंजीकृत कार्यालय मेन मार्केट लक्ष्मी नगर, नई दिल्ली को भी पक्षकार बनाया था। आयोग ने विपक्षीगणों को निर्धारित अवधि के भीतर प्रतिष्ठान के मुख्य द्वार पर हिंदी और अंग्रेजी के बड़े-बड़े अक्षरों में सूचनापट लगवाकर फोटोग्राफ सहित अनुपालन आख्या आयोग के समक्ष प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है।

आयोग में वाद दाखिल होने के बाद विपक्षी ने कहा कि परिवादी उनका उपभोक्ता नहीं है। परिवादी ने अनुचित लाभ अर्जित करने और विपक्षी को परेशाान करने की नीयत से वाद दायर किया है। सेवा में कमी का कोई कारण नहीं दर्शाया है, लिहाजा वाद निरस्त होने योग्य है। भारत सरकार के प्लास्टिक पर प्रतिबंध लगाने के बाद वातावरण की शुद्धता के लिए प्रतिष्ठान में थैले रखे गए थे जो प्लास्टिक बैग से अधिक धनराशि के थे। उपभोक्ता की विशुद्ध मांग पर धनराशि देकर प्रदान किए गए। परिवादी जानबूझकर मुआवजे की जबरन वसूली के इरादे से दायित्व तय करने की कोशिश कर रहा है। ट्रेडमार्क एक्ट के अधीन कैरी बैग पर अपना लोगो लगाने का अधिकार है।

आयोग ने परिवादी व विपक्षी वी मार्ट के अधिवक्ताओं के तर्क सुनने के बाद पारित आदेश में कहा है कि परिवादी अपने परिवाद पत्र में कथनों को साबित करने में पूरी तरह सफल रहा है जबकि विपक्षी अनुचित व्यापारिक व्यवहार, उपभोक्ता की अनुमति व सहमति के बिना ही अपने स्वार्थ के लिए दुरुपयोग व शोषण का दोषी सिद्ध होता है। जिस पर विपक्षी को संयुक्त रूप से एक लाख रुपये का अर्थदंड लगाया गया है।