हल्द्वानी: पुलिस ने खो दी हंसा के घर की चाबी, कोतवाल ने तोड़ा ताला

हल्द्वानी: पुलिस ने खो दी हंसा के घर की चाबी, कोतवाल ने तोड़ा ताला

हल्द्वानी, अमृत विचार। शहर के चर्चित हंसा दत्त जोशी हत्याकांड में पुलिस की बड़ी लापरवाही सामने आई है। जिस घर में पुलिस ने क्राइम सीन तैयार किया था, उसी घर की चाबी पुलिस ने खो दी। मुखानी थाने में कई दिन तलाश करने के बाद भी जब चाबी नहीं मिली तो हंसा के घर लगा …

हल्द्वानी, अमृत विचार। शहर के चर्चित हंसा दत्त जोशी हत्याकांड में पुलिस की बड़ी लापरवाही सामने आई है। जिस घर में पुलिस ने क्राइम सीन तैयार किया था, उसी घर की चाबी पुलिस ने खो दी। मुखानी थाने में कई दिन तलाश करने के बाद भी जब चाबी नहीं मिली तो हंसा के घर लगा पुलिस को ताला पुलिस को ही तोड़ना पड़ गया। जिसके बाद पुलिस ने घर हंसा की बेटी सौम्या के सुपुर्द कर दिया।

बता दें कि चीनपुर निवासी हंसा दत्त जोशी बीते वर्ष 29 सितंबर को अपने ही बाथरूम में मृत मिले थे। शरीर के पर जख्मों के निशान और पोस्टमार्टम रिपोर्ट में गर्दन की हड्डी टूटने से मौत की वजह सामने आई। हंसा लाश सबसे पहले मामले में हत्यारोपी चंदन विहार बिठौरिया निवासी शिवा गिनवाल और सीएमटी कालोनी निवासी अक्षत तिवारी पुत्र उमेश चंद्र तिवारी ने देखी थी। घटना के बाद ही पुलिस ने हंसा के घर पर अपना ताला लगा दिया था।

पिछले नौ महीने से ताला हंसा के दरवाजे पर लटका था। इस मामले में बीती 18 जून को हंसा की बेटी सौम्या ने एसएसपी पंकज भट्ट से मुलाकात की थी और कहा था कि उनके पिता की बारसी होनी है और इसके लिए घर का शुद्धीकरण कराना है, लेकिन घर पर पुलिस का ताला लगा है। जिसके बाद एसएसपी ने सीओ सिटी भूपेंद्र सिंह धौनी और जांच अधिकारी कोतवाल हरेंद्र चौधरी को घर की चाबी सौम्या के सुपुर्द करने और मामले में आरोपियों का लाई डिटेक्टर टेस्ट कराने के निर्देश दिए थे।

इसके बाद एक हफ्ता गुजर गया, लेकिन चाबी सौम्या के सुपुर्द नहीं की गई। जिसके बाद सौम्या बीते रविवार को पहले बहुउद्देशीय भवन और फिर कोतवाली पहुंची। इधर, मुखानी थाने में हंसा के घर लगे ताले की चाबी की तलाश की जा रही थी, लेकिन चाबी नहीं मिली। जिसके बाद कोतवाल हरेंद्र चौधरी शाम खुद चीनपुर स्थित हंसा के घर पहुंचे और हथौड़े से ताला तोड़ दिया।

टुकड़े-टुकड़े में बेंच दी गई हंसा की 38 बीघा जमीन
हल्द्वानी। दावा है कि हंसा दत्त जोशी ने अपनी 38 बीघा जमीन शिवा गिनवाल को दान कर दी थी। इस दान की जमीन को शिवा गिनवाल और साथियों ने टुकड़ों-टुकड़ों में बेच दी और आज इस जमीन पर लोगों के घर हैं। अधिकांश लोगों ने रजिस्ट्री भी करा ली है, लेकिन दान की जमीन पर यह बिना अधिकारियों की मिलीभगत के संभव नहीं है।

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