हल्द्वानी: बापू ने कुमाऊं में कुरितियों के खिलाफ जगाई थी अलख

हल्द्वानी: बापू ने कुमाऊं में कुरितियों के खिलाफ जगाई थी अलख

अमृत विचार, हल्द्वानी। गांधी जी ने देश में कई ऐसे आंदोलन चलाए थे जिन्होंने उन्हें महात्मा बना दिया था। इसी के चलते उनका नाम ही राष्ट्रपिता महात्मा गांधी हो गया। महात्मा गांधी को कुमाऊं क्षेत्र से भी बड़ा लगाव रहा। इसी को लेकर आजादी की अलख जगाने के लिए वह 24 जून 1929 को कौसानी …

अमृत विचार, हल्द्वानी। गांधी जी ने देश में कई ऐसे आंदोलन चलाए थे जिन्होंने उन्हें महात्मा बना दिया था। इसी के चलते उनका नाम ही राष्ट्रपिता महात्मा गांधी हो गया। महात्मा गांधी को कुमाऊं क्षेत्र से भी बड़ा लगाव रहा। इसी को लेकर आजादी की अलख जगाने के लिए वह 24 जून 1929 को कौसानी पहुंचे थे।

इसके बाद उन्होंने यहां पर देश के लिए आजादी की अलख जगाई और कुमाऊं में छूआछूत और कुरितियां के खिलाफ आंदोलन छेड़ा था। गांधी जी हमारे समाज में फैली कुरितियों के खिलाफ थे, वह इस प्रकार की सोच को समाज के लिए घातक मानते थे, इसके खिलाफ उनके द्वारा छेड़े गए आंदोलनों से हमारे समाज में काफी हद तक सुधार भी आया।

1929 में बापू जब 14 दिन कौसानी में रूके तो उन्होंने वहीं से आजादी के आंदोलन को जो धार दी थी, वह फिर आगे बढ़ती चली गई उनकी 22 दिन की पैदल यात्रा ने भी लोगों को काफी प्रभावित किया था। कौसानी क्षेत्र महात्मा गांधी जी को इतना भा गया था कि उनको लंबा प्रवास करने के बाद भी यहां रूकने की चाह थी।

बापू ने कौसानी को अपना कर्मस्थली बनाया था और देखते-देखते पूरे कुमाऊं में अहिंसा ने एक आंदोलन का रूप ले लिया था। गांधी के विचारों ने, उनके भविष्य के सपनों ने और बगैर कोई हथियार थामे आंदोलन में कूदने की प्रेरणा ने लोगों में इतनी ऊर्जा भरी कि उन्होंने लाठियां खाईं, जेल गए, लेकिन स्वाधीनता पाने का हौसला नहीं खोया। इस खूबसूरत क्षेत्र कौसानी को महात्मा गांधी ने भारत का मिनी स्विट्जरलैंड भी कहा था। कौसानी रहते हुए महात्मा गांधी को अनासक्ति योग पुस्तक लिखने की प्रेरणा भी मिली।

अंग्रेजो भारत छोड़ो नारा भी बुलंद किया
महात्मा गांधी जी के कौसानी आने के बाद ‘अंग्रेजो भारत छोड़ों’ नारा भी पूरे कुमाऊं में बुलंद हो गया। सल्ट से लेकर बौरारो घाटी तक, नैनीताल से लेकर पिथौरागढ़ तक देश की आजादी की मांग मुखर हो गई। उस समय जिस आजादी की चेतना का प्रसार हुआ, वह आज तक लोगों को ताकत दे रही है। गांधी जी ने कौसानी में ही गीता के उपदेशों को सरल शब्दों में उकेरने का भी काम किया। खास बात यह है कि बापू की कुमाऊं में सर्वाधिक यादों को समेटने वाला कौसानी ही है, जिस स्थान में वह रहे उस स्थान को आज अनासक्ति आश्रम के नाम से जाना जाता है।

बापू से जुड़ी यादें आज भी कौसानी में
महात्मा गांधी जी से जुड़ी यादें आज भी कौसानी के अनाशक्ति आश्रम में मौजूद हैं जिस जगह पर गांधी जी ने प्रवास किया था वहां पर उस समय जिला पंचायत का भवन हुआ करता था। इस भवन का निर्माण ब्रिटिशकाल में हुआ था। गांधी के दौरे के बाद यहां पर प्रार्थना सभा होने लगी और नए भवन का निर्माण किया गया। गांधी स्मारक निधि की ओर से 1966 में इस बंगले को ‘अनासक्ति आश्रम’ का नाम दिया गया। ‘अनासक्ति’ का अर्थ आसक्ति यानी राग-द्वेष से मुक्ति है। इस आश्रम में बापू के जीवन-दर्शन को सहेजने का प्रयास किया गया है। उनसे जुड़ी यादों के रूप में कुछ किताबें हैं, कुछ बर्तन हैं, कुछ तस्वीरें हैं जो आज भी लोगों को उनकी याद दिलाती हैं।