राज्यपाल का अभिभाषण जन उपेक्षा की तरह : बसपा सुप्रीमो मायावती

राज्यपाल का अभिभाषण जन उपेक्षा की तरह : बसपा सुप्रीमो मायावती

लखनऊ। उत्तर प्रदेश विधानसभा में राज्यपाल आनंदीबेन पटेल द्वारा योगी सरकार की तारीफ पर तंज कसते हुये बहुजन समाज पार्टी (बसपा) सुप्रीमो मायावती ने मंगलवार को कहा कि राज्यपाल जनहित, जनकल्याण तथा जनसुरक्षा से जुड़ी कड़वी जमीनी वास्तविकताओं का भी थोड़ा संज्ञान लेती तो लोगों को आगे के लिए थोड़े अच्छे दिन की उम्मीद बंध …

लखनऊ। उत्तर प्रदेश विधानसभा में राज्यपाल आनंदीबेन पटेल द्वारा योगी सरकार की तारीफ पर तंज कसते हुये बहुजन समाज पार्टी (बसपा) सुप्रीमो मायावती ने मंगलवार को कहा कि राज्यपाल जनहित, जनकल्याण तथा जनसुरक्षा से जुड़ी कड़वी जमीनी वास्तविकताओं का भी थोड़ा संज्ञान लेती तो लोगों को आगे के लिए थोड़े अच्छे दिन की उम्मीद बंध सकती थी।

अभिभाषण जन उपेक्षा जैसा है

सुश्री मायावती ने यहां जारी बयान में कहा कि 18वीं विधानसभा के शुरूआत पर सदन के संयुक्त अधिवेशन में राज्यपाल ने अपने अभिभाषण में कल राज्य सरकार को हर प्रकार का क्लीन चिट दी थी। जनहित व विकास आदि के भारी-भरकम सरकारी दावों की सार्थकता एवं उपयोगिता तभी होती जब वे जमीनी हकीकत से थोड़ा भी मेल खाते हुए जनता को दिखाई पड़ते। इस कारण यह अभिभाषण जन उपेक्षा जैसा है।

कानून के राज का कोई मायने नहीं रखता है

उन्होंने कहा कि राज्यपाल महोदया जनहित, जनकल्याण तथा जनसुरक्षा से जुड़ी कड़वी जमीनी वास्तविकताओं का भी थोड़ा नोट लेती तो लोगों को आगे के लिए थोड़े अच्छे दिन की उम्मीद बंधती, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। वैसे कुछ लोगों के अच्छे दिन जरूर आ गए हैं और उनके लिए कानून के राज का कोई मायने नहीं रखता है।

वे चाहे रेत माफिया हों या थाना में घुसकर पुलिस की पिटाई ही का मामला ही क्यों न हो जिसकी खबरें आम हैं, मगर जनता का हर मामले में काफी ज्यादा बुरा हाल लगातार ही बना हुआ है। विकास व गवरनेन्स के नाम पर स्थिति कोई खास अच्छी नहीं है, जिस कारण आम लोगों का भला नहीं हुआ है।

बसपा सुप्रीमो ने कहा कि महंगाई, गरीबी, बेरोजगारी, अराजकता, जातिवाद, साम्प्रदायिकता, भ्रष्टाचार, गुण्डागर्दी व माफियागिरी आदि की बदतर कानून-व्यवस्था से जनता काफी त्रस्त हैं, इसीलिए सरकार को अब आगे व्यापक जनहित, जनकल्याण एवं विकास के सही काम करके भी दिखाना होगा।

उन्होंने कहा कि इस अवसर पर सदन में ‘राज्यपाल वापस जाओ’ का नारा लगाना उचित नहीं, क्योंकि राज्यपाल महोदया को वही लिखा हुआ पढ़ना था जो सरकार ने उन्हें पढ़ने के लिए दिया है। इसलिए यह बेहतर होता कि यदि इस पर चर्चा के दौरान् सीधा सरकार को घेरा जाता।

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