बरेली: बकरीद से पहले सजा बकरों का बाजार, 80 हजार के ‘सुल्तान’ को खरीदार का इंतजार

बरेली: बकरीद से पहले सजा बकरों का बाजार, 80 हजार के ‘सुल्तान’ को खरीदार का इंतजार

बरेली, अमृत विचार। इस साल भारत में बकरीद का त्यौहार 10 जुलाई मनाया जाएगा। ऐसे में बकरों के बाजार अभी से गुलजार हैं हर नस्ल के बकरों की बिक्री इस बार भी मंडी में हो रही है। मुस्लिम धर्म में पवित्र माह रमजान के 70 दिन बाद बकरीद का त्यौहार मनाया जाता है। इसे ईद-उल-अजहा …

बरेली, अमृत विचार। इस साल भारत में बकरीद का त्यौहार 10 जुलाई मनाया जाएगा। ऐसे में बकरों के बाजार अभी से गुलजार हैं हर नस्ल के बकरों की बिक्री इस बार भी मंडी में हो रही है। मुस्लिम धर्म में पवित्र माह रमजान के 70 दिन बाद बकरीद का त्यौहार मनाया जाता है। इसे ईद-उल-अजहा के नाम से भी जानते हैं। बकरीद पर मुस्लिम समुदाय के लोग बकरे की कुर्बानी देने की परंपरा है।

यूपी के बरेली जनपद में बकरों की बिक्री के लिए मंडी सज चुकी है। बरेली और आसपास के जिलों के लोग भी यहां बकरे बेचने आ रहे हैं। यहां अलवरी, तोतापुरी, बर्रा, बरबरी नस्ल समेत देशी बकरे बेचे जा रहे हैं। छोटे-बड़े हर साइज़ के बकरों की यहां बड़ी डिमांड है।

कोरोना काल में बकरों की बिक्री में रोक थी। ऐसे में अब जब सारे बाजार और व्यापारिक गतिविधियाँ खुल चुकी हैं, तो ग्राहक के साथ साथ दुकानदारों में भी बकरा खरीदने और बेचने का उत्साह नजर आ रहा है। वहीं, बरेली की बकरा मंडी में 5000 रुपए से लेकर डेढ़ लाख रुपए तक के बकरे बिक्री को तैयार हैं। रोजाना यहां करीब 100-150 बकरे बिक रहे हैं।

बकरे बेचने वालों का कहना है कि बकरीद का त्यौहार समीप आते ही अभी और खरीददार आएँगे, अभी तो बाजार शुरू ही हुआ है।
दिलशाद, सुल्तान जो अलवरी नस्ल के बकरे हैं। इनकी डिमांड भी खूब है। ये 2 साल के बकरे काफी लम्बे-चौड़े हैं। इनका खान-पान और रहन-सहन भी एक पहलवान की माफिक है। इनकी कीमत 80 हजार से डेढ़ लाख रुपए तक है।

बकरे बेचने वालों ने बताया कि बकरों के रखरखाव की जो कीमत है, वो तकरीबन 8 से 9 हजार रुपए प्रतिमाह आती है। ऐसे में जब इन बकरों को बेचने के लिए लाया जाता है तो खासा ख्याल रखा है और ग्राहक भी ऐसे बकरों को लेने के लिए काफी उत्साहित होते हैं।

कुछ दुकानदारों का यह भी कहना है कि इस बार बकरों की कीमत में ज्यादा इजाफा नहीं हुआ, इसका कारण बताते हुए वो कहते हैं कि इस बार दिल्ली, महाराष्ट्र समेत अन्य राज्यों से ना तो बकरे बिक्री के लिए आयात हुए और ना ही निर्यात। बकरा विक्रेताओं का कहना है कि बरबरा नस्ल के बकरों को लोग ज्यादा पसंद किया।

कोराना महामारी के बाद अब त्योहार मनाने पर लगाई गई रोक हटने के बाद अब धूमधाम से त्यौहार मनाए जा रहे हैं। जिले के कई व्यापारियों ने बकरा ईद पर महाराष्ट्र में बकरे की बिक्री करने के लिए पशुओं की खरीदी करके रखी थी।

महाराष्ट्र में बकरा ईद पर अच्छे भाव मिलने व अच्छा धंधा होने की आस में व्यापारियों के बकरों का स्टाक करके रखा था लेकिन महाराष्ट्र में इस बार खरीदी नहीं होने से व्यापारियों को भी नुकसान हो रहा हैं।

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