तथागत की धरा पर बौद्ध अतिथियों को उपहार में दिया जाएगा ‘बुद्ध का महाप्रसाद’
गोरखपुर। कुशीनगर इंटरनेशनल एयरपोर्ट के उद्घाटन समारोह में 20 अक्टूबर को तथागत बुद्ध की महापरिनिर्वाण स्थली पर आ रहे बौद्ध अतिथियों को ‘बुद्ध का महाप्रसाद’ उपहार स्वरूप दिया जाएगा। भगवान बुद्ध के जन्मस्थल क्षेत्र से जुड़े सिद्धार्थनगर जिले के विशिष्ट उत्पाद, स्वाद, सुगंध और पोषण के मामले में बेजोड़ काला नमक चावल को बुद्ध ने …
गोरखपुर। कुशीनगर इंटरनेशनल एयरपोर्ट के उद्घाटन समारोह में 20 अक्टूबर को तथागत बुद्ध की महापरिनिर्वाण स्थली पर आ रहे बौद्ध अतिथियों को ‘बुद्ध का महाप्रसाद’ उपहार स्वरूप दिया जाएगा। भगवान बुद्ध के जन्मस्थल क्षेत्र से जुड़े सिद्धार्थनगर जिले के विशिष्ट उत्पाद, स्वाद, सुगंध और पोषण के मामले में बेजोड़ काला नमक चावल को बुद्ध ने प्रसाद के रूप में ग्रहण कर अपने शिष्यों को भी इससे तृप्त किया था।
वहीं, विलुप्त हो रहे काला नमक धान के इस प्रजाति के संरक्षण और संवर्धन के लिए योगी सरकार ने इसे महत्वाकांक्षी एक जिला एक उत्पाद (ओडीओपी) योजना में शामिल कर इसको वैश्विक पहचान दिलाई है। इसके अलावा देश-विदेश से आ रहे प्रमुख बौद्ध अनुयायियों और अन्य मेहमानों को गिफ्ट कर इसकी ग्लोबल ब्रांडिंग और मजबूत की जाएगी।
बता दें कि 20 अक्टूबर को कुशीनगर अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे का शुभारंभ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ करेंगे। इसी दिन पहली इंटरनेशनल फ्लाइट के रूप में श्रीलंका के राष्ट्रपति गोतबया राजपक्षे के विमान की लैंडिंग और टेकऑफ होगी।
प्रधानमंत्री श्री @narendramodi शरद पूर्णिमा (20 अक्टूबर) को करेंगे कुशीनगर अंतरराष्ट्रीय ✈️ एयरपोर्ट का लोकार्पण
☸️ बौद्ध पर्यटन सर्किट होगा समृद्ध #BJP4UP pic.twitter.com/EsQXCBIL9S
— BJP Uttar Pradesh (@BJP4UP) October 18, 2021
उनके साथ 25 सदस्यीय प्रतिनधिमंडल व 100 बौद्ध भिक्षु भी होंगे। कई बौद्ध देशों के राजदूत भी एयरपोर्ट के उद्घाटन समारोह में शामिल होंगे। यह समारोह ‘महात्मा बुद्ध का प्रसाद’ के रूप में प्रतिष्ठित एक जिला एक उत्पाद ‘कालानमक चावल’ की ब्रांडिंग का भी बड़ा अवसर होगा।
वहीं, ‘बुद्धा राइस’ की पैकिंग पर महात्मा बुद्ध की उक्ति, ‘इस चावल की विशिष्ट महक हमेशा लोगों को मेरी (महात्मा बुद्ध की) याद दिलाएगी’ भी अंकित की गई है। सरकार का साथ पाकर कालानमक चावल के संवर्धन को लेकर सक्रिय संस्था पीआरडीएफ के वैज्ञानिक रामचेत चौधरी कहते हैं कि इससे अकेले सिद्धार्थनगर ही नहीं बल्कि कालानमक धान के लिए भौगौलिक सम्पदा (जीआई) घोषित समान जलवायु वाले जनपदों गोरखपुर, देवरिया, कुशीनगर, महराजगंज, सिद्धार्थनगर, संतकबीरनगर, बस्ती, बहराइच, बलरामपुर, गोंडा और श्रावस्ती के कालानमक की खेती करने वाले किसानों के लिए बड़ा बाजार उपलब्ध कराने का मंच भी बनेगा।
सिद्धार्थनगर में बन रही 12 करोड़ की सीएफसी…
काला नमक धान की उपज को बढ़ाने, उसके प्रसंस्करण, पैकेजिंग और ब्रांडिंग के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इसे सिद्धार्थनगर का ओडीओपी घोषित कर रखा है। सरकार 12 करोड़ रुपये की लागत से सीएफसी (कॉमन फैसिलिटी सेंटर ) भी बना रही है।
‘बुद्ध का महाप्रसाद’ प्रमुख बौद्ध देशों दक्षिण कोरिया, चीन, जापान, म्यांमार, कंबोडिया, मंगोलिया, वियतनाम, थाईलैंड, श्रीलंका, भूटान तक पहुंचाने में सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम और निर्यात प्रोत्साहन विभाग के अपर मुख्य सचिव नवनीत सहगल भी लगे हुए हैं। उनकी कोशिशों से काला नमक धान बिक्री के लिए ऑनलाइन बिक्री के लिए भी उपलब्ध है। फिलहाल काला नमक चावल सिद्धार्थनगर और गोरखपुर जिले से क्रमश: सिंगापुर और नेपाल एक्सपोर्ट किया जा रहा है। इसके अलावा योगी सरकार की कोशिश अंतरराष्ट्रीय चावल अनुसंधान केन्द्र वाराणसी के सहयोग से सिद्धार्थनगर में अनुसंधान केन्द्र खोलने की है।
काला नमक चावल का गौतम बुद्ध से ऐतिहासिक जुड़ाव…
कृषि वैज्ञानिक रामचेत चौधरी के मुताबिक कालानमक धान सिद्धार्थनगर के बजहा गांव में गौतम बुद्ध के कालखण्ड में पैदा होता आ रहा। मान्यता है कि महात्मा बुद्ध ने हिरण्यवती नदी के तट पर इसी चावल की खीर ग्रहण कर उपवास तोड़ा था। खीर श्रद्धालुओं को प्रसाद के रूप में दिया। भगवान बुद्ध ने किसानों को कालानमक धान का दाना किसानों को देकर इसकी खेती करने की सलाह दी। कालानमक चावल का जिक्र चीनी यात्री फाह्यान के यात्रा वृतांत में भी मिलता है।