उत्साहजनक वृद्धि

उत्साहजनक वृद्धि

देश की 2021-22 में जीडीपी यानी एकल घरेलू उत्पाद में 8.7 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है। यह वर्ष 2019-20 के मुकाबले डेढ़ प्रतिशत ज्यादा है। अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं का अनुमान था कि कोविड का असर अभी कम नहीं हुआ है और भारत सहित दुनिया की तमाम उभरती अर्थव्यवस्थाओं की वृद्धि दर अपेक्षाकृत कम रह …

देश की 2021-22 में जीडीपी यानी एकल घरेलू उत्पाद में 8.7 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है। यह वर्ष 2019-20 के मुकाबले डेढ़ प्रतिशत ज्यादा है। अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं का अनुमान था कि कोविड का असर अभी कम नहीं हुआ है और भारत सहित दुनिया की तमाम उभरती अर्थव्यवस्थाओं की वृद्धि दर अपेक्षाकृत कम रह सकती है लेकिन इन सारे कयासों को झुठलाते हुए भारत की अर्थव्यवस्था ने 2021-22 में 8.7 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज कराई है तो वह निश्चित रूप से उत्साहजनक है।

सरकार ने कोविड के बाद विकास की गाड़ी को पटरी पर लाने के जो उपाय किए थे वे कारगर साबित हुए। एनएसओ ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि कोविड की काली छाया की धुंध अर्थव्यवस्था से लगभग छंट गई है। देश की अर्थव्यस्था ने जो वृद्धि दर्ज की है, वह विकसित देशों की अर्थव्यवस्था में वृद्धि की अपेक्षाकृत कहीं ज्यादा है।

इसका फायदा यह हुआ कि सरकार ने मई 2022 में पेट्रोल पर 8 रुपए और डीजल में 6 रुपए की केन्द्रीय उत्पाद शुल्क में कमी का एलान कर दिया इसका असर समूची अर्थव्यवस्था पर पड़ा। इससे महंगाई में कमी आएगी और स्थानीय बाजार को बढ़ावा मिलेगा। दरअसल महंगाई से स्थानीय बाजार में मांग पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा था और पूर्ति भी उसी अनुपात में प्रभावित हुई थी। पूर्ति की चेन का प्रभावित होना अर्थव्यवस्था की वृद्धि के लिए ठीक नहीं माना जाता, क्योंकि मुद्दा अब मुद्रास्फीति जैसी स्थिति के उत्पन्न होने का खतरा बना रहता है।

सोने के आयात पर सरकार ने सीमा शुल्क को 10.75 प्रतिशत से बढ़ाकर 15 प्रतिशत कर दिया। स्थानीय कच्चे तेल और डीजल पेट्रोल के निर्यात पर उपकर भी बढ़ा दिया गया। इसका भी बेहतर असर हुआ है। सरकार द्वारा कर वसूली में इजाफा हुआ और खजाने में वृद्धि हुई है। इसी प्रकार अर्थव्यवस्था में सुधार और कारोबार में बढ़ोतरी का असर जीएसटी वसूली पर भी पड़ा है। 2022-23 की पहली तिमाही में पिछले साल की इसी तिमाही की तुलना में जीएसटी वसूली में 36.4 प्रतिशत का इजाफा हुआ है।

यानी जीएसटी वसूली का लगातार पांचवे महीने भी रिकार्ड बेहतर बना रहा और यह 1.40 लाख करोड़ रुपए के पार रही। उम्मीद है सरकार द्वारा उठाए गए कदमों से अभी और राहत मिलेगी। लेकिन जरुरी है कि महंगाई और बेकारी का कारगर उपाय स्थानीय स्तर पर सरकार वरीयता के साथ खोजने का उपाय करे, तभी आम आदमी तक राहत पहुंच सकेगी।

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