आपातकाल : मुरादाबाद के 75 लोगों को खानी पड़ी थी जेल की हवा

आपातकाल : मुरादाबाद के 75 लोगों को खानी पड़ी थी जेल की हवा

मुरादाबाद,अमृत विचार। जून 1975 से 21 मार्च 1977 के बीच देश में आपातकाल था। उस समय के राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद ने तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की सिफारिश पर अनुच्छेद 352 के अधीन देश में आपातकाल की घोषणा की थी। 25 और 26 जून की मध्य रात्रि में तत्कालीन राष्ट्रपति के हस्ताक्षर करने के साथ …

मुरादाबाद,अमृत विचार। जून 1975 से 21 मार्च 1977 के बीच देश में आपातकाल था। उस समय के राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद ने तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की सिफारिश पर अनुच्छेद 352 के अधीन देश में आपातकाल की घोषणा की थी। 25 और 26 जून की मध्य रात्रि में तत्कालीन राष्ट्रपति के हस्ताक्षर करने के साथ ही देश में आपातकाल लागू हो गया था। अगली सुबह समूचे देश ने रेडियो पर इंदिरा गांधी की आवाज में संदेश सुना था, ‘भाइयो और बहनों, राष्ट्रपति ने आपातकाल की घोषणा की है।

इससे आतंकित होने की जरूरत नहीं है।’ जबकि मुरादाबादी आपातकाल के पन्ने इस बात की गवाही दे रहे हैं कि यहां के करीब 75 लोगों को जेल की हवा खानी पड़ी। उस समय बाजार में सभी स्थानों पर सरकार के बीस सूत्रीय कार्यक्रम के बैनर लगाए गए थे। सभी को सरकार के पक्ष में बोलने को मजबूर किया जा रहा था। जिसने भी तनिक होंशियारी की उसकी जगह जेल थी। आपातकाल के 47वें साल के मौके पर अमृत विचार ने उस दौर के हालात को लेकर लोकतंत्र के पहरुओं से बातचीत की। प्रस्तुत हैं खास अंश…

प्रताप सैनिक स्कूल में सभी छिपे थे
नागरिकों के मौलिक अधिकार निलंबित कर दिए गए थे। अभिव्यक्ति का अधिकार ही नहीं, लोगों के पास जीवन का अधिकार भी नहीं रह गया था। 25 जून की रात से ही देश में विपक्ष के नेताओं की गिरफ्तारियों का दौर शुरू हो गया था। लोकतंत्र सेनानी संगठन के जिलाध्यक्ष सुभाष गुप्ता कहते हैं कि मुझे 15 अगस्त की सुबह 11 बजे मंडी चौक स्थित मेरे घर के बाहर से गिरफ्तार कर लिया गया था। मेरे साथ अध्यापक आमेाद कुमार थे। दोनों स्वतंत्रता दिवस के ध्यजारोहण की तैयार कर रहे थे। मेरे खिलाफ 25 जून को वारंट जार हो गया था। उसके बाद हमारे कई साथी नैनीताल भाग गए थे। वहां प्रताप सैनिक स्कूल में सभी छिपे थे। समाजवादी विचारक और तब के बड़े मजदूर नेता जार्ज फर्नांडीज वहां सभी के साथ थे। छात्र युवा संघर्ष समिति का मुझे जिला संयोजक बनाया गया था। मेरे जिम्मे लोगों को एक मंच पर लाने का जिम्मा था। बाद में सभी अगल अगल समय पर पकड़ लिए गए। करीब 70 से 75 लोगों को पहले यहां जेल में रखा गया। उसमें समाजवादी संगठन के शहर अध्यक्ष आमोद कुमार को फतेहगढ़ जेल भेज दिया गया। दिन में सभी जेल में खेल खेलते थे और शाम को चार बजे से गोष्ठी होती थी। तब मुरादाबाद में ही संभल, अमरोहा शामिल था।

25 जून 1975 का दिन डरा जाता है
25 जून 1975 को भारतीय किसान दल के मुखिया चौधरी चरण सिंह को सहारनपुर रेलवे स्टेशन से गिरफ्तार कर लिया गया था। उसके बाद पुलिस और आक्रामक हो गई थी। काली रात कट चुकी थी। सुबह आकाश चीरकर सूरज की रोशनी धरती पर आ रही थी। आकाश लालिमा से दमक रहा था। शहर में जगह-जगह गिरफ्तारियां शुरू हो गई थीं। उस दौर को याद करते हुए लोकतंत्र सेनानी संगठन के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बाबर खां भावुक हो उठते हैं। कहते हैं कि आपात काल के ऐलान के करीब डेढ़ माह बाद हमें गिरफ्तार कर लिया गया। बोले, हम पुलिस से बचने के लिए वह पड़ोसी की छत पर सोए थे। तभी पुलिस आई और पकड़ कर ले गई। 19 महीने बाद जब भोर के पांच बजे जेल का दरवाजा खुला तो लोकतंत्र का वह काला खत्म हुआ। आपात काल के दिन और रात की चर्चा शुरू होते ही खां अतीत में खो जाते हैं। कहते हैं दिन काला था। 25 जून 1975 का वह दिन डरा जाता है। कांग्रेसी, मुस्लिम लीग और सीपीआई एक मंच पर थे। पूरा देश दूसरी ओर था। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, बीकेडी, सीपीएम सहित अन्य जनसंगठनों के लोग जेल भेजे जा रहे थे। अनवर हुसैन कुरैशी, मास्टर भूपेद्र सिंह, चौधरी चंद्रपाल सिंह, रमाशंकर कौशिक, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रेम शंकर शर्मा विभिन्न स्थानों से गिरफ्तार कर लिए गए। कहते हैं कि मौजूदा संभल सांसद डॉ. शफीकुर्रहमान वर्क, जोया के हसन, हरगोविंद सिंह के साथ वह दौर याद आता है।

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