युद्ध के प्रभाव

युद्ध के प्रभाव

रूस यूक्रेन युद्ध ने यूरोप ही नहीं पूरी दुनिया पर गहरा असर डाला है। द्वितीय विश्व युद्ध के बाद दुनिया में कई युद्ध हुए हैं, लेकिन उन्होंने दुनिया को इतना प्रभावित नहीं किया जितना कि यूक्रेन पर हुए हमले ने किया है। साफ है कि इस युद्ध के प्रभाव ने पूरी दुनिया को अपनी चपेट …

रूस यूक्रेन युद्ध ने यूरोप ही नहीं पूरी दुनिया पर गहरा असर डाला है। द्वितीय विश्व युद्ध के बाद दुनिया में कई युद्ध हुए हैं, लेकिन उन्होंने दुनिया को इतना प्रभावित नहीं किया जितना कि यूक्रेन पर हुए हमले ने किया है। साफ है कि इस युद्ध के प्रभाव ने पूरी दुनिया को अपनी चपेट में ले लिया है। सोमवार को विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने यूक्रेन के अपने समकक्ष दिमित्रो कुलेबा के साथ बात की और रूस एवं यूक्रेन के बीच संघर्ष के वैश्विक स्तर पर लगातार पड़ रहे प्रभावों पर चर्चा की।

साफ है कि इस युद्ध ने ईंधन, खाद्यान्न और उर्वरक का संकट पैदा कर दिया है जो दुनिया के कई देशों में भुखमरी की स्थिति पैदा कर देगा। युद्ध का असर खाद्य और तेल दोनों की कीमतों पर भी पड़ा हैं। जिससे दुनिया भर में महंगाई तेजी से बढ़ रही है। चूंकि आपूर्ति शृंखला की डीजल पर बहुत अधिक निर्भरता है, इसके लड़खड़ाने का असर सभी वस्तुओं की कीमतों पर पड़ने लगा है। उधर श्रीलंका में आर्थिक बदहाली को लेकर उपजा जनाक्रोश अभी थमा नहीं था कि अब पड़ोसी देश बांग्लादेश में भी हालात चिंताजनक हो गए हैं।

वहां की सरकार ने पेट्रोल और डीजल के दामों में पचास प्रतिशत की बढ़ोतरी कर दी जिससे लोगों में गुस्सा है। श्रीलंका संकट सामने आने के बाद से बांग्लादेश और पाकिस्तान की आर्थिक बदहाली को लेकर भी जो आशंकाएं जाहिर की जा रही थीं, वे अब सच होती दिख रही हैं। बांग्लादेश का संकट मामूली नहीं है। यह सही है कि रूस-यूक्रेन युद्ध की वजह से ज्यादातर देशों के सामने ईंधन संकट गहराया है और अर्थव्यवस्था बिगड़ी है। युद्ध ने साबित कर दिया कि बहुत दूर घटित होने वाली चीजों का किसी देश के कल्याण पर सीधा असर होता है।

इसके अलावा दुनिया में कई और भी बदलाव दिखे हैं, भूराजनैतिक और आर्थिक मोर्चों पर पूर्व और पश्चिम के बीच नए समीकरण बन रहे हैं। अमेरिका और चीन के बीच ताइवान का मुद्दा और ज्यादा ज्वलनशील हो गया है। अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि वैश्विक अर्थव्यवस्था अब भी कोविड-19 महामारी और यूक्रेन पर रूसी आक्रमण से उबरने के प्रयासों में, धुंधले अनिश्चित परिदृश्य का सामना कर रही है। बढ़ते मूल्यों के कारण बड़े पैमाने पर खाद्य असुरक्षा और सामाजिक अशांति बढ़ सकती है और भूराजनैतिक विध्वंस, वैश्विक व्यापार और सहयोग को बाधित कर सकता है। ऐसे में रूस-यूक्रेन विवाद पर भारत का रुख उचित ही है कि यह मामला कूटनीति और बातचीत के माध्यम से शीघ्र हल किया जाना चाहिए।

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