ईडी ने एबीआईएल समूह के अध्यक्ष अविनाश भोंसले को पांच जुलाई तक हिरासत में भेजा

ईडी ने एबीआईएल समूह के अध्यक्ष अविनाश भोंसले को पांच जुलाई तक हिरासत में भेजा

मुंबई। मुंबई की एक विशेष पीएमएलए (धन शोधन निवारण अधिनियम) अदालत ने मंगलवार को एबीआईएल समूह के अध्यक्ष अविनाश भोसले को धनशोधन मामले में 5 जुलाई तक के लिए प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की हिरासत में भेज दिया। भोसले को इससे पहले केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने यस बैंक के संस्थापक राणा कपूर और डीएचएफएल के …

मुंबई। मुंबई की एक विशेष पीएमएलए (धन शोधन निवारण अधिनियम) अदालत ने मंगलवार को एबीआईएल समूह के अध्यक्ष अविनाश भोसले को धनशोधन मामले में 5 जुलाई तक के लिए प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की हिरासत में भेज दिया। भोसले को इससे पहले केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने यस बैंक के संस्थापक राणा कपूर और डीएचएफएल के कपिल वधावन से जुड़े भ्रष्टाचार के मामले में गिरफ्तार किया था और बाद में उन्हें मुंबई की आर्थर रोड जेल में रखा गया था, जहां से ईडी ने उनकी हिरासत ली थी।

ईडी ने मंगलवार को भोसले को विशेष पीएमएलए न्यायाधीश एम जी देशपांडे के समक्ष पेश किया और मामले की आगे की जांच के लिए उनकी हिरासत मांगी। ईडी की ओर से पेश विशेष लोक अभियोजक हितेन वेनेगाओकर ने अदालत को बताया कि यस बैंक ने डीएचएफएल को 3,983 करोड़ रुपये का ऋण दिया था, जिसने आगे संजय छाबड़िया (एक सह-आरोपी) के रेडियस ग्रुप को 2,317 करोड़ रुपये दिये, जिसने बाद में 267 करोड़ रुपये अविनाश भोसले के स्वामित्व वाली एक कंपनी निबोध रियल्टी को हस्तांतरित किये।

जांच एजेंसी ने अदालत से कहा कि इसलिए, वह आरोपियों से हिरासत में पूछताछ करना चाहती है ताकि यह पता लगाया जा सके कि धन आगे कहां गया। ईडी ने अदालत को बताया कि उसके पास यस बैंक से डीएचएफएल और डीएचएफएल से धन छाबड़िया और भोसले के स्वामित्व वाली कंपनियों को जाना दिखाने के लिए प्रचुर मात्रा में सामग्री है।

भोसले की ओर से पेश हुए अधिवक्ता विजय अग्रवाल और राहुल विजय अग्रवाल ने ईडी की याचिका का विरोध करते हुए कहा कि आरोपी के पास ऐसा कुछ भी नहीं है जिसे ईडी की हिरासत में उसके पास से बरामद किया जाना है। विजय अग्रवाल ने कहा कि शिकायत के साथ पहले से ही सब कुछ प्रलेखित है। उन्होंने कहा कि जांच असीमित नहीं हो सकती है, जैसा कि इस मामले में किया जा रहा है। अदालत ने दोनों पक्षों की दलीलों को सुनने के बाद कहा कि मूल रूप से जिस पहलू पर ईडी हमेशा जोर देते हैं कि ‘‘आगे की जांच जारी है’’ और उसकी वैधता सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष विचाराधीन है।

इस अदालत के सामने एकमात्र सवाल हिरासत के लिए जांच एजेंसी की प्रार्थना को मंजूर करना है। अदालत ने कहा, ‘‘मुझे दृढ़ता से लगता है कि ये बाद के घटनाक्रम हैं जिनमें सह-आरोपी संजय छाबड़िया के साथ की गई जांच से 267 करोड़ रुपये का पता चला था। इसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है कि इस अपराध में शामिल अपराध की कुल आय 3983 करोड़ रुपये है। इसमें से 267 करोड़ रुपये वर्तमान आरोपी भोसले के पास सह-आरोपी छाबड़िया से आए थे।

’’ न्यायाधीश ने कहा कि श्रृंखला प्रथम दृष्टया धनशोधन रोधी अधिनियम के तहत अपराध के भौतिक अवयवों को इंगित करती है। अदालत ने कहा कि निश्चित रूप से इन 267 करोड़ रुपये का पता तब तक नहीं लगाया जा सकता है, जब तक कि आरोपी को ईडी की हिरासत में नहीं भेजा जाता। अदालत ने कहा कि जांच का दायरा बहुत व्यापक है और जो कुछ भी कथित रूप से शोधित किया गया वह अंततः सार्वजनिक धन और राष्ट्र की संपत्ति है।

अदालत ने कहा, ‘‘इसलिए, ईडी को पर्याप्त अवसर दिया जाना चाहिए और इसे केवल इस आधार पर खारिज नहीं किया जा सकता है कि आरोपी से कुछ भी बरामद नहीं किया जाना है।’’ अदालत ने भोसले की उस याचिका को स्वीकार कर लिया जिसमें उसने डॉक्टर द्वारा निर्धारित घर का बना खाना और दवाएं मांगी गई थीं, और उनके वकील को पूछताछ के उस स्थान से ऐसी दूरी पर मौजूद रहने की मंजूरी दे दी जहां से सब कुछ दिखायी तो दे लेकिन कुछ भी सुनायी नहीं दे।

ये भी पढ़े – मुंबई में बड़ा हादसा: चार मंजिला इमारत गिरी, 15 लोगों की मौत की खबर, बचाव कार्य जारी

ताजा समाचार