खौफ का दूसरा नाम क्यों बनती जा रही ED, जानिए कैसे है इतनी ताकतवर एजेंसी

खौफ का दूसरा नाम क्यों बनती जा रही ED, जानिए कैसे है इतनी ताकतवर एजेंसी

नई दिल्ली। नेशनल हेराल्ड केस, पात्रा चॉल स्कैम या कांग्रेस से लेकर शिवसेना तक का सिरदर्द बढ़ाने वाली एजेंसी का नाम प्रवर्तन निदेशालय (ED) है। मनी लॉन्ड्रिंग यानी पैसों की हेराफेरी के मामले मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के तहत आते हैं और इससे ही ईडी को भी ताकत मिलती है। प्रिवेंनशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के …

नई दिल्ली। नेशनल हेराल्ड केस, पात्रा चॉल स्कैम या कांग्रेस से लेकर शिवसेना तक का सिरदर्द बढ़ाने वाली एजेंसी का नाम प्रवर्तन निदेशालय (ED) है। मनी लॉन्ड्रिंग यानी पैसों की हेराफेरी के मामले मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के तहत आते हैं और इससे ही ईडी को भी ताकत मिलती है। प्रिवेंनशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के तहत ईडी एक ताकतवर एजेंसी है, जिसके पास भ्रष्टाचार के मामलों में कड़ी कार्रवाई करने का अधिकार है। हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने भी एजेंसी के अधिकारों को सही करार देते हुए कहा था कि उसके पास बरामद धन को जब्त करने और गिरफ्तारी करने का अधिकार है।

सीबीआई का गठन दिल्ली स्पेशल पुलिस इस्टेब्लिशमेंट ऐक्ट, 1946 के तहत किया गया है। ऐसे में इसे किसी भी राज्य में जांच के लिए संबंधित सरकार से अनुमति लेनी होती है। सीबीआई किसी भी राज्य में तभी जांच संभाल सकती है, जब उस सूबे की सरकार ने ऐसी सिफारिश की हो या फिर हाई कोर्ट अथवा सुप्रीम कोर्ट की ओर से आदेश दिया गया हो।

इनकम टैक्स डिपार्टमेंट को जो अधिकार मिले हैं, उसके तहत कड़ी सजाएं नहीं दी जा सकतीं। जुर्माना लगाने जैसे प्रावधानों की ताकत ही इनकम टैक्स डिपार्टमेंट के पास हैं। ऐसे में ईडी ही भ्रष्टाचार के ज्यादातर मामले संभाल रही है। प्रवर्तन निदेशालय को मनी लॉन्ड्रिंग ऐक्ट के तहत बड़े अधिकार दिए गए हैं। यह एजेंसी किसी भी आरोपी को गिरफ्तार कर सकती है और इस ऐक्ट के तहत गिरफ्तारी होने पर आरोपी को ही जमानत के लिए दो शर्तें पूरी करनी होती हैं।

ED Full Form - javatpoint

पहली शर्त यह होती है कि वह साबित करे कि इस मामले में वह दोषी नहीं है। इसके अलावा यदि वह बाहर निकलेगा तो उससे सबूतों और गवाहों को कोई खतरा नहीं होगा। इसके अलावा ईडी के अधिकारी के समक्ष आरोपी जो बयाान देता है, उसे अदालत में सबूत के तौर पर मानने का भी प्रावधान है।

यही वजह है कि नवाब मलिक और अनिल देशमुख जैसे सीनियर नेता कई महीनों से जेल में बंद हैं। इसके अलावा संजय राउत को एजेंसी ने गिरफ्तार कर लिया है। ईडी के अस्तित्व की बात करें तो इसका गठन 1957 में ही हो गया था, लेकिन इसे ताकत 2005 में मनी लॉन्ड्रिंग ऐक्ट आने के बाद ही मिली। पी. चिदंबरम, डीके शिवकुमार जैसे नेता भी ईडी के शिकार रहे हैं।

इस बीच विपक्ष ने ईडी और मनी लॉन्ड्रिंग ऐक्ट को लेकर 27 जुलाई को आए सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर पुनर्विचार की याचिका दायर करने का फैसला लिया है। सूत्रों के मुताबिक विपक्ष की ओर से दायर अर्जी में बताया जाएगा कि कैसे ईडी को मिली ज्यादा ताकत लोकतंत्र पर हमला है और इससे राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों का उत्पीड़न करने का अधिकार मिल जाता है। विपक्ष का कहना है कि सरकार ईडी का इस्तेमाल विपक्ष की आवाज बंद कराने के लिए कर रही है।

ईडी की ओर से दर्ज केसों में आरोपी के दोषी सााबित होने की दर बेहद कम है। बीते 17 सालों में ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग के 5,400 केस दर्ज किए हैं। लेकिन अब तक 23 लोगों को ही इसके तहत दोषी ठहराया जा चुका है। ईडी के तहत कनविक्शन रेट महज 0.5 फीसदी ही रहने पर अकसर सवाल उठते रहे हैं। हालांकि छापेमारी की दर में लगातार इजाफा देखने को मिल रहा है।

Explained: What is ED's job and is it doing it well? | India News - Times of India

इन लोगों से हुई है पूछताछ
सत्येंद्र जैन, दिल्ली सरकार में मंत्री, हवाला मामले में ईडी ने अरेस्ट किया था। फारुख अब्दुल्ला, पूर्व सीएम, जम्मू कश्मीर, 31 मई को ईडी ने 3 घंटे पूछताछ की, मामला था- जम्मू कश्मीर क्रिकेट एसोसिएशन में वित्तीय गड़बड़ी के आरोप हैं। चरणजीत सिंह चन्नी, पूर्व सीएम, पंजाब से अवैध खनन मामले में अप्रैल में ईडी की पूछताछ हुई। अभिषेक बनर्जी, ममता बनर्जी के भतीजे हैं। मार्च में ईडी ने कोयला घोटाले मामले में पूछताछ की।नवाब मलिक, महाराष्ट्र सरकार में मंत्री, मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में 23 फरवरी को ईडी ने अरेस्ट किया था।

2014 के बाद ईडी की कार्यपद्धति में बदलाव
ईडी पहले कैसे काम करती थी और 2014 के बाद से कैसे काम कर रही है। आज हम इसका टेस्ट करेंगे। इसके लिए हमने ईडी की सालाना रिपोर्ट्स को खंगाला। इन रिपोर्ट्स को खंगालने पर हमें जो आंकड़े मिले। वो चौंकाने वाले हैं। हर साल औसतन 534 करोड़ रुपये, 2014 से 2022- मोदी सरकार में हर साल औसत 11,929 करोड़ रुपये। यानी प्रॉपर्टी सीज करने का मामले 22 गुना बढ़ गए। यानी ईडी ज्यादा सक्रिय है और ज्यादा काम कर रही है। अगर ईडी तोता होती तो इतनी तेजी से काम नहीं होता

कुछ और खास आंकड़े
2005 से 2014 तक- मनमोहन सरकार
ईडी की कुल छापेमारी – 112
कुल प्रॉपर्टी जब्त – 5346 करोड़
शिकायत पर एक्शन – 104

2014 से 2022 तक- मोदी सरकार
कुल छापेमारी – 2,974
कुल प्रॉपर्टी जब्त – 95,432 करोड़
शिकायत पर एक्शन – 839

ईडी तीन आधार पर एक्शन लेती है। इसमें एक आधार है-Prevention of Money Laundering Act, 2002। ये एक्ट 2005 में लागू हुआ।

PMLA के तहत केस दर्ज
जुलाई 2005 से 31 मार्च 2014 तक यूपीए के 9 साल – 1867 केस दर्जअप्रैल 2014 से 30 नवंबर, 2021 तक मोदी सरकार के 8 साल- 2770 केस दर्ज। सिर्फ अप्रैल 2021 से 30 नवंबर 2021 के बीच ED ने 8989 करोड़ की संपत्ति जब्त की है। जो यूपीए सरकार के 10 साल के मुकाबले कहीं ज्यादा है।

ED की वार्षिक रिपोर्ट के मुताबिक साल दर साल Enforcement Directorate की सक्रियता बढ़ गई है। PMLA के तहत साल 2016-17 में एजेंसी ने 4567 समन भेजे, छापेमारी की 226 कार्रवाई हुई और 31 आरोपियों को गिरफ्तार किया गया।2019-20 में 10688 लोगों को समन भेजा गया, छापेमारी की 335 कार्रवाई हुई और 41 आरोपियों को गिरफ्तार किया गया। 2020-21 में 12173 लोगों को समन भेजा गया, छापेमारी की 596 कार्रवाई हुई और 78 लोग गिरफ्तार किए गए।

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