सर्व पितृ अमावस्या पर इस खास योग में करें तर्पण, मिलेगा खूब आशीर्वाद

सर्व पितृ अमावस्या पर इस खास योग में करें तर्पण, मिलेगा खूब आशीर्वाद

पितृ पक्ष के 16 दिन हमारे पूर्वजों को समर्पित होते हैं। अमावस्या पितृपक्ष का आखिरी दिन होता है। इस बार सर्व पितृ अमावस्या 06 अक्टूबर, बुधवार को है। कल उन पितरों का तृर्पण किया जाएगा जिनकी तिथि परिजनों को ज्ञात नहीं होती है। इस बार विशेष संयोग बन रहा है। जिसमें पूजा कर पितरों को …

पितृ पक्ष के 16 दिन हमारे पूर्वजों को समर्पित होते हैं। अमावस्या पितृपक्ष का आखिरी दिन होता है। इस बार सर्व पितृ अमावस्या 06 अक्टूबर, बुधवार को है। कल उन पितरों का तृर्पण किया जाएगा जिनकी तिथि परिजनों को ज्ञात नहीं होती है। इस बार विशेष संयोग बन रहा है। जिसमें पूजा कर पितरों को प्रसन्न किया जा सकता है।

शुभ मुहूर्त
सर्व पितृ अमावस्या पर गजछाया योग बन रहा है। यह योग 11 साल पहले 2010 में बना था। गजछाया योग को उत्तम योग माना जाता है। 06 अक्टूबर को सूर्योदय से सूर्य और चंद्रमा शाम 04 बजकर 34 मिनट तक हस्त नक्षत्र में होंगे। इस स्थिति के कारण गजछाया योग बनता है। इस योग में श्राद्ध और दान करने से पितरों तृप्त होते हैं और प्रसन्न होकर परिजनों को आशीर्वाद देते हैं।

ऐसें करें श्राद्ध
आप ​अपने सभी पितरों की श्राद्ध एक साथ सर्व​ पितृ अमावस्या को कर सकते हैं लेकिन शास्त्रों में सर्व पितृ अमावस्या को 16 ब्राह्मणों को भोजन कराना अत्यंत शुभ बताया गया है। श्राद्ध करते समय घर की दक्षिण दिशा में सफ़ेद वस्त्र पर पितृ यंत्र स्थापित करें। उनके निमित्त, तिल के तेल का दीपक जलाएं और सुगंधित धूप अर्पित करें। चंदन व तिल मिले जल से तर्पण दें।

कुश के आसन पर बैठकर गीता के 16वें अध्याय का पाठ करें। इसके बाद ब्राह्मणों के लिए जो भोजन बनाया है। उसमें से 5 जगह थाली निकालें। यह थाली देवताओं, गाय, कुत्ते, कौए और चींटियों को दें। इसके बाद ब्राह्मणों को खीर, पूड़ी सहित भोजन खिलाएं। भोजन के उपरान्त मिष्ठान, लौंग-इलाएची व मिश्री भी दें। भोजन समाप्त होने पर  ब्राह्मणों को वस्त्र-दक्षिणा देकर और पैर छूकर विदा करें।

दीप दान करें
मान्यता है कि सर्व पितृ अमावस्या के दिन पितर अपने पितृ लोक लौट जाते हैं इसलिए अमावस्या के दिन दीप दान किया जाता है। दीप दान के लिए सूर्यास्त के बाद घर की दक्षिण दिशा में तिल के तेल के 16 दीपक जलाएं। इस तरह पितरों को सम्मानपूर्वक भेजने पर वे संतुष्ट होकर जाते हैं और अपने बच्चों को आशीर्वाद देते हैं। जिससे परिवार में सुख समृद्धि और खुशियां आती हैं।

भूल न करें

  • श्राद्ध का भोजन पूरी शुद्धता से बनाएं और उसमें प्याज और लहसुन का इस्तेमाल न करें
  • श्राद्ध हमेशा सुबह या दोपहर चढ़ने से पहले ही कर लेना चाहिए
  • श्राद्ध का भोजन जब भी ब्राह्मणों को खिलाएं तो दोनों हाथों से परोसें
  • श्राद्ध पक्ष में पितरों के निमित्त ​जो भी शुभ काम किए जाते हैं, उससे उन्हें तृप्ति मिलती है इसलिए दान करें

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