शीर्ष अदालत की नाराजगी

शीर्ष अदालत की नाराजगी

उच्चतम न्यायालय ने गुरुवार को नफरत भरे बयान देने वालों के खिलाफ तत्काल कार्रवाई करने की बात करते हुए कहा कि भारत धार्मिक रूप से निष्पक्ष देश है। देश का संविधान वैज्ञानिक सोच विकसित करने की बात करता है। परंतु धर्म के नाम पर हम कहां पहुंच गए हैं। न्यायमूर्ति के एम जोसेफ और ऋषिकेश …

उच्चतम न्यायालय ने गुरुवार को नफरत भरे बयान देने वालों के खिलाफ तत्काल कार्रवाई करने की बात करते हुए कहा कि भारत धार्मिक रूप से निष्पक्ष देश है। देश का संविधान वैज्ञानिक सोच विकसित करने की बात करता है। परंतु धर्म के नाम पर हम कहां पहुंच गए हैं। न्यायमूर्ति के एम जोसेफ और ऋषिकेश रॉय की पीठ ने दिल्ली सरकार, उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश सरकार को नोटिस जारी कर हेट स्पीच अपराधों को लेकर की गई कार्रवाई की जानकारी मांगी।

शीर्ष अदालत ने कहा कि हेट स्पीच देने वाला व्यक्ति किसी भी धर्म का हो, उसके खिलाफ कार्रवाई की जाए। ये बेहद गंभीर मामला है कि शिकायत के बावजूद प्रशासन नफरत भरे बायनों के मामलों में कार्रवाई नहीं करता है। चेतावनी दी गई कि अगर इन निर्देशों का पालन नहीं होता है, तो इसे अदालत की अवमानना के रूप में देखा जाएगा।

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करके केंद्र सरकार और राज्यों को हेट क्राइम और हेट स्पीच के मामलों में जांच करने के निर्देश देने की मांग की गई थी। साथ ही हेट क्राइम और हेट स्पीच के मामलों को कम करने के लिए यूएपीए व अन्य कड़े कानून और प्रावधान लागू करने की मांग गई थी।

दो दिन पहले ही आईआईटी बॉम्बे में संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरस ने कहा था कि जब भारत अपने घर में समावेशी व्यवस्था और मानवाधिकारों को लेकर मजबूती से प्रतिबद्धता दिखाएगा, तभी उसकी आवाज़ को वैश्विक मंच पर भी गंभीरता से लिया जाएगा। गुटेरस ने कहा कि भारत मानवाधिकार परिषद में निर्वाचित सदस्य है और उसकी यह ज़िम्मेदारी है कि वैश्विक मानवाधिकार को दिशा दे और अल्पसंख्यक समेत सभी व्यक्तियों के मानवाधिकारों की रक्षा करे।

इसके अलावा नफरत भरे बयानों की निंदा करते हुए संरा महासचिव ने कहा कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की रक्षा होना चाहिए। हालांकि पूर्व विदेश सचिव कंवल सिब्बल ने मानवाधिकारों पर इस तरह नसीहत देने की निंदा करते हुए इसे भारत के लोकतंत्र का अनादर बताया।

साथ ही याद दिलाया कि चीन में उइगर मुसलमानों के अधिकारों के हनन पर वे चुप रहते हैं। गौरतलब है कि एक ओर सरकार वैश्विक नेतृत्व में भारत की अहम भूमिका को लेकर दावा कर रही है दूसरी ओर संयुक्त राष्ट्र प्रमुख से ऐसी नसीहत सुनने को मिलना चिंता का विषय है। अब उच्चतम न्यायालय की नाराजगी पर भी सरकारों को गंभीरता से आत्मावलोकन की जरूरत है।