मुफ्त उपहारों का दिशाहीन वितरण अर्थव्यवस्था के लिए संकट खड़ा कर सकता है: विशेषज्ञ
नई दिल्ली। विशेषज्ञों का कहना है कि मुफ्त उपहारों का दिशाहीन वितरण राज्यों के लिए नुकसानदायक हो सकता है और यह अर्थव्यवस्था पर वैसा ही प्रतिकूल प्रभाव डाल सकता है जैसा कि श्रीलंका के मामले में हुआ है। विशेषज्ञों ने कहा कि मुफ्त उपहारों की व्याख्या करना और यह कल्याण के लिए होने वाले खर्च …
नई दिल्ली। विशेषज्ञों का कहना है कि मुफ्त उपहारों का दिशाहीन वितरण राज्यों के लिए नुकसानदायक हो सकता है और यह अर्थव्यवस्था पर वैसा ही प्रतिकूल प्रभाव डाल सकता है जैसा कि श्रीलंका के मामले में हुआ है। विशेषज्ञों ने कहा कि मुफ्त उपहारों की व्याख्या करना और यह कल्याण के लिए होने वाले खर्च से किस तरह भिन्न है यह बताना जरूरी है।
उच्चतम न्यायालय ने बीते शुक्रवार को कहा था कि करदाताओं के पैसों का इस्तेमाल करके दिया गया मुफ्त उपहार सरकार को ‘आसन्न दिवालियेपन’ की ओर ले जा सकता है। अंतरराष्ट्रीय आर्थिक संबंधों पर भारतीय अनुसंधान परिषद (आईसीआरआईईआर) के अध्यक्ष प्रमोद भसीन ने कहा, ‘‘ज्यादातर मुफ्त उपहार (यदि वे कोविड जैसे आपदा काल में नहीं दिए गए हों) जो जरूरतमंदों तक नहीं पहुंचे हों वे वित्तीय गलती होते हैं और इनके बड़े प्रतिकूल परिणाम होते हैं। ज्यादातर राज्यों और ज्यादातर सरकारों में ऐसे कदम उठाए जाते हैं।
उन्होंने कहा कि मुफ्त उपहारों की व्याख्या करना और यह बताना जरूरी है कि ये कल्याण पर होने वाले खर्च से किस तरह अलग हैं।’ इंस्टीट्यूट फॉर स्टडीज इन इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट (आईएसआईडी) में निदेशक नागेश कुमार ने कहा कि वित्तीय प्रबंधन को लेकर राज्य सरकारों को जिम्मेदार बनने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि मुफ्त उपहार राज्य सरकारों की वित्तीय स्थिति के लिए नुकसानदायक हैं। जैसा कि श्रीलंका के मामले में देखा गया, राजकोषीय लापरवाही हमेशा संकट की ओर ले जाती है।
बीआर आंबेडकर स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स के कुलपति एन आर भानुमूर्ति ने कहा कि यह परिभाषित करना महत्वपूर्ण है कि मुफ्त उपहार क्या हैं और ये कल्याणकारी व्यय से कैसे भिन्न है। ऐसी नीतियां (मुफ्त उपहार) कई राज्यों में पहले से ही बिगड़ती सार्वजनिक ऋण की स्थिति को और बिगाड़ सकती हैं।
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