सावधानी जरूरी

सावधानी जरूरी

देश कोरोना की बंदिशों से राहत मिलने के बाद सामान्य स्थिति की ओर बढ़ रहा है। कोरोना संक्रमण के दैनिक मामलों में कमी और इस बीमारी को मात देने वालों की संख्या में लगातार बढ़ोतरी के बीच रिकवरी दर बढ़कर 98 फीसदी हो गई है। फिर भी जब देश में त्योहार संस्कृति के पर्वों की …

देश कोरोना की बंदिशों से राहत मिलने के बाद सामान्य स्थिति की ओर बढ़ रहा है। कोरोना संक्रमण के दैनिक मामलों में कमी और इस बीमारी को मात देने वालों की संख्या में लगातार बढ़ोतरी के बीच रिकवरी दर बढ़कर 98 फीसदी हो गई है। फिर भी जब देश में त्योहार संस्कृति के पर्वों की शृंखला दस्तक दे रही है, तब हालात संयम की मांग करते हैं। विश्व रेटिंग एजेंसी व आईएमएफ दुनिया की सबसे तेज अर्थव्यवस्थाओं में भारत को शामिल कर रहे हैं। लेकिन यह त्योहारी मौसम बेहद सावधानी की मांग कर रहा है।

जनता की लापरवाही पर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय भी चिंता जता रहा है कि किये कराये पर पानी फिर सकता है। दुनिया में कई ऐसे उदाहरण हैं कि लोगों ने कोरोना संक्रमण की चुनौती को समाप्त मानकर स्वच्छंद जीवन जीना शुरू किया तो और भयावह रूप सामने आया है। लेकिन अब भी यह नहीं कहा जा सकता कि कोरोना का खतरा टल गया है।

खासतौर पर पिछले कुछ महीनों से शीर्ष स्वास्थ्य एजेंसियां इस बात की चेतावनी जारी कर रही हैं कि दूसरी लहर में व्यापक नुकसान पहुंचाने के बाद अभी राहत के दिन भले दिख रहे हैं, पर कोरोना की तीसरी लहर का खतरा अभी टला नहीं है और इसका खतरा सबसे ज्यादा बच्चों के सिर पर मंडरा रहा है। देश भर में टीकाकरण अपनी गति से चल रहा है और इस मामले में अब तक की उपलब्धि को संतोषजनक कहा जा सकता है।

अच्छी बात यह है कि देश में 96 करोड़ से अधिक लोगों को एक कोरोनारोधी टीके की खुराक लग चुकी है तथा 25 फीसदी से अधिक लोगों ने दोनों डोज़ लगवा ली हैं। संभवत: इतनी बड़ी आबादी को दुनिया में कहीं भी इतनी डोज़ नहीं दी जा सकी होंगी और बच्चों के लिये वैक्सीन का इंतजार अब खत्म होने को है। अब भारत बच्चों की वैक्सीन से एक कदम ही दूर है। केंद्रीय औषधि प्राधिकरण दो से अठारह साल तक के बच्चों और किशोरों को कुछ शर्तों के साथ कोवैक्सीन टीका लगाने के लिए एक निष्कर्ष पर पहुंचने की प्रक्रिया में है।

हालांकि केंद्रीय स्वास्थ्य राज्यमंत्री ने साफ किया कि अभी इस पर काम चल रहा है और विशेषज्ञों के निर्णय लेने के बाद टीके को अंतिम मंजूरी दी जाएगी। निश्चित रूप से टीके की सुरक्षा और उसकी प्रभावशीलता को लेकर सारे संदेह पहले दूर कर लिए जाएं। उसके बाद बच्चों को टीकाकरण के दायरे में जल्द से जल्द लाना सबके हित में होगा।

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