पीलीभीत: व्यापारी की हत्या को खुदकुशी बताया मगर खुद नहीं बदल पाए धारा

पीलीभीत: व्यापारी की हत्या को खुदकुशी बताया मगर खुद नहीं बदल पाए धारा

अमृत विचार, पीलीभीत। चोरी, लूट की घटनाओं को संदिग्ध बताकर कई बार दबा चुकी पुलिस हत्या जैसे संगीन अपराधों के खुलासे में भी फेल है। बीसलपुर के पोल्ट्री फार्म मालिक की हत्या के मामले को जिस तरह से पुलिस हादसा साबित करने पर जोर देती रही और कार्रवाई दबा दी थी। उसी तरह से शहर …

अमृत विचार, पीलीभीत। चोरी, लूट की घटनाओं को संदिग्ध बताकर कई बार दबा चुकी पुलिस हत्या जैसे संगीन अपराधों के खुलासे में भी फेल है। बीसलपुर के पोल्ट्री फार्म मालिक की हत्या के मामले को जिस तरह से पुलिस हादसा साबित करने पर जोर देती रही और कार्रवाई दबा दी थी। उसी तरह से शहर के बहुचर्चित सराफा व्यापारी गोयल हत्याकांड को भी अभिलेखों में ही गुम कर दिया है। हत्या की धाराओं में दर्ज इस प्रकरण में महीनों बाद भी पुलिस कोई निर्णय नहीं ले सकी है।

कार्रवाई की प्रगति पूछने पर भले ही खुदकुशी से जोड़कर बयानबाजी की जाए, लेकिन यह सब कहीं न कहीं मामले को दबाने का एक पैंतरा प्रतीत हो रहा है। खास बात है कि खुदकुशी के साक्ष्य मिलने के दावे करने वाली पुलिस खुद अभी तक इस मामले में खुदकुशी की धारा नहीं बदल सकी है। जिससे तमाम सवाल खड़े हो गए हैं।

घटना 19 मई की रात हुई थी। शहर के मोहल्ला आसफजान निवासी भाजपा नेता अरुण गोयल के भाई सराफा व्यापारी पवन गोयल का शव टनकपुर हाईवे पर अपनी ही कार में मिला था। उनके माथे पर गोली लगी हुई थी। वह तगादा करने के लिए घर से निकले थे। कार में शव मिलने की सूचना पर तमाम व्यापारी जमा हुए और सख्त कार्रवाई की मांग की थी। घटना ने सुरक्षा व्यवस्था पर भी सवाल खड़े कर दिए थे।

एसपी समेत कई अधिकारियों ने मौका मुआयना किया और फिर देर रात भाई से मिली तहरीर पर अज्ञात के खिलाफ हत्या की रिपोर्ट दर्ज की थी। कुछ दिन तक खुलासे को गठित की गई टीमें सुरागरसी करती रही और फिर मामले को खुदकुशी की राह पर मोड़ दिया गया था। हालांकि इसके पीछे वजह भी पुलिसकर्मी तलाश नहीं सके थे। करीबियों पर शक जाहिर करते हुए पूछताछ की गई और फिर उसके बाद से ही मामला ठंडे बस्ते में डाल दिया गया है।

दो माह बीतने को आए हैं, लेकिन शहर के एक व्यापारी जोकि सत्ताधारी नेता का भाई था, उसकी हत्या के मामले में इस तरह से लंबे समय तक खुलासा न होना पुलिस की निष्क्रियता की ओर इशारा कर गया है। सवाल यह है कि पुलिस इस मामले को हत्या न होकर खुदकुशी से जोड़कर देख रही है। अगर, पुलिस को इतने ही साक्ष्य प्राप्त हो चुके हैं तो अब तक पुलिस ने अपनी विवेचना में हत्या की धाराओं को हटाकर खुदकुशी की धाराएं क्यों शामिल नहीं की?

पवन गोयल हत्याकांड की विवेचना चल रही है। अभी किसी तरह से धाराओं में परिवर्तन नहीं किया गया है। साक्ष्य के आधार पर आगे कार्रवाई की जाएगी— सुनील दत्त, सीओ सिटी।

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