बीएमएस ने कहा- सरकार को करना चाहिए मछली पालन पर सब्सिडी हटाने का कड़ा विरोध

बीएमएस ने कहा- सरकार को करना चाहिए मछली पालन पर सब्सिडी हटाने का कड़ा विरोध

नई दिल्ली। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े श्रमिक संगठन भारतीय मजदूर संघ (बीएमएस) ने कहा है कि सरकार को छोटे मछुआरों के हित में विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) में मछली पालन पर सब्सिडी नहीं देने के प्रस्ताव का कड़ा विरोध करना चाहिए। बीएमएस ने सोमवार को यहां कहा कि गहरे समुद्र और महासागरों में मछली …

नई दिल्ली। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े श्रमिक संगठन भारतीय मजदूर संघ (बीएमएस) ने कहा है कि सरकार को छोटे मछुआरों के हित में विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) में मछली पालन पर सब्सिडी नहीं देने के प्रस्ताव का कड़ा विरोध करना चाहिए। बीएमएस ने सोमवार को यहां कहा कि गहरे समुद्र और महासागरों में मछली पकड़ने से उत्पन्न संकट के लिए विकसित देश जिम्मेदार हैं।

केंद्र सरकार को डब्ल्यूटीओ में पेश मछली पालन पर से सब्सिडी हटाने के प्रस्ताव का कड़ा विरोध करना चाहिए। श्रमिक संगठन ने कहा कि अगर यह प्रस्ताव पारित होता है तो देश 10 राज्यों के करोडों मछुआरों को भारी संकट का सामना करना पड़ेगा। बीएमएस अध्यक्ष बिनय कुमार सिन्हा ने कहा है कि विकसित देशों की इस साजिश के खिलाफ सख्त आवाज उठायी जानी चाहिए।

उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र और डब्ल्यूटीओ को गहरे समुद्र में मछली पकडने के संदर्भ में अपनी भूमिका पर चिंतन करना चाहिए। भारत के छोटे और असंगठित क्षेत्र के मछुआरें गहरे समु्द्र में मछली नहीं पकड़ते हैं। भारत समेत विकासशील देशों के छोटे मछुआरे इतने साधन संपन्न नहीं है कि वे गहरे समुद्र और महासागरों में मछली पकड़ने के लिए जा सकें। उनकी क्षमतायें बहुत सीमित हैं और इस समस्या के लिए वे जिम्मेदार नहीं हैं।

उन्होंने कहा कि देश में छोटे मछुआरे हैं जो सामान्य तौर पर मछलियाें के प्रजनन काल के समय fish पकड़ने पर लगने वाले प्रतिबंध को स्वीकार करते हैं। इसलिए मछुआरों को 12 समुद्री मील के भीतर मछली पकड़ने की अनुमति दी जानी चाहिए। श्री सिन्हा ने कहा कि केंद्र सरकार भी भारत में बड़े जहाजों को गहरे समुद्र में मछली पकड़ने की अनुमति दे रही है जिसका तमाम मछुआरा संगठनों और स्वदेशी जागरण मंच और अन्य संगठनों ने विरोध किया है।

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