Birthday Special: टाइटल गीत लिखने में माहिर थे हसरत जयपुरी, जानें उनकी जिंदगी से जुड़ी कुछ खास बातें

Birthday Special: टाइटल गीत लिखने में माहिर थे हसरत जयपुरी, जानें उनकी जिंदगी से जुड़ी कुछ खास बातें

मुंबई। बॉलीवुड गीतकार हसरत जयपुर ने अपने सिने करियर के दौरान कई तरह के गीत लिखे, लेकिन फिल्मों के टाइटल पर गीत लिखने में उन्हें महारत हासिल थी। हिन्दी फिल्मों के स्वर्णयुग के दौरान टाइटल गीत लिखना बडी बात समझी जाती थी। निर्माताओं को जब भी टाइटल गीत की जरूरत होती थी, हसरत जयपुरी से …

मुंबई। बॉलीवुड गीतकार हसरत जयपुर ने अपने सिने करियर के दौरान कई तरह के गीत लिखे, लेकिन फिल्मों के टाइटल पर गीत लिखने में उन्हें महारत हासिल थी। हिन्दी फिल्मों के स्वर्णयुग के दौरान टाइटल गीत लिखना बडी बात समझी जाती थी। निर्माताओं को जब भी टाइटल गीत की जरूरत होती थी, हसरत जयपुरी से गीत लिखवाने की गुजारिश की जाती थी। उनके लिखे टाइटल गीतों ने कई फिल्मों को सफल बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।

हसरत जयपुरी के लिखे कुछ टाइटल गीत हैं, दीवाना मुझको लोग कहें (दीवाना), दिल एक मंदिर है (दिल एक मंदिर), रात और दिन दीया जले (रात और दिन), तेरे घर के सामने इक घर बनाऊंगा (तेरे घर के सामने), ऐन इवनिंग इन पेरिस (ऐन इवनिंग इन पेरिस), गुमनाम है कोई बदनाम है कोई (गुमनाम), दो जासूस करें महसूस (दो जासूस) आदि।

हसरत जयपुरी का मूल नाम इकबाल हुसैन था

15 अप्रैल, 1918 को जन्में हसरत जयपुरी का मूल नाम इकबाल हुसैन था। उन्होंने जयपुर में प्रारंभिक शिक्षा हासिल करने के बाद अपने दादा फिदा हुसैन से उर्दू और फारसी की तालीम हासिल की। बीस वर्ष का होने तक उनका झुकाव शेरो-शायरी की तरफ होने लगा और वह छोटी-छोटी कविताएं लिखने लगे।वर्ष 1940 में नौकरी की तलाश में हसरत जयपुरी ने मुंबई का रुख किया और आजीविका चलाने के लिए वहां बस कंडक्टर के रुप में नौकरी करने लगे। इस काम के लिए उन्हे मात्र 11 रुपये प्रति माह वेतन मिला करता था। इस बीच उन्होंने मुशायरा के कार्यक्रम में भाग लेना शुरू किया। उसी दौरान एक कार्यक्रम में पृथ्वीराज कपूर उनके गीत को सुनकर काफी प्रभावित हुए और उन्होने अपने पुत्र राजकपूर को हसरत जयपुरी से मिलने की सलाह दी।

राजकपूर उन दिनों अपनी फिल्म बरसात के लिए गीतकार की तलाश कर रहे थे। उन्होंने हसरत जयपुरी को मिलने का न्योता भेजा। राजकपूर से हसरत जयपुरी की पहली मुलाकात रायल ओपेरा हाउस में हुई और उन्होने अपनी फिल्म बरसात के लिए उनसे गीत लिखने की गुजारिश की। इसे महज संयोग ही कहा जाएगा कि फिल्म बरसात से ही संगीतकार शंकर जयकिशन ने भी अपने सिने कैरियर की शुरुआत की थी।

राजकपूर के कहने पर शंकर जयकिशन ने हसरत जयपुरी को एक धुन सुनाई और उसपर उनसे गीत लिखने को कहा। धुन के बोल कुछ इस प्रकार थे, अंबुआ का पेड है वहीं मुंडेर है, आजा मेरे बालमा काहे की देर है। शंकर जयकिशन की इस धुन को सुनकर हसरत जयपुरी ने गीत लिखा, जिया बेकरार है छाई बहार है, आजा मेरे बालमा तेरा इंतजार है।

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