बरेली: एक करोड़ के कबाड़ का 32 लाख में दे दिया ठेका

बरेली: एक करोड़ के कबाड़ का 32 लाख में दे दिया ठेका

बरेली, अमृत विचार। नगर निगम के जलकल विभाग में कबाड़ बिक्री को लेकर लाखों की गड़बड़ी का मामला सामने आया है। नगर निगम की कार्यकारिणी में शामिल पार्षदों ने गाजियाबाद की एक फर्म का टेंडर पास करने और करीब एक करोड़ का स्क्रैप (कबाड़) महज 32 लाख रुपये में बेच देने जैसे गंभीर आरोप लगाए …

बरेली, अमृत विचार। नगर निगम के जलकल विभाग में कबाड़ बिक्री को लेकर लाखों की गड़बड़ी का मामला सामने आया है। नगर निगम की कार्यकारिणी में शामिल पार्षदों ने गाजियाबाद की एक फर्म का टेंडर पास करने और करीब एक करोड़ का स्क्रैप (कबाड़) महज 32 लाख रुपये में बेच देने जैसे गंभीर आरोप लगाए हैं। पार्षदों ने इस प्रकरण को सीएम, नगर विकास मंत्री सहित शासन के अन्य उच्चाधिकारियों तक पहुंचा दिया है।

नगर निगम के जलकल विभाग का करीब 20 साल से बड़ी मात्रा में कबाड़ फायर स्टेशन के पास बने विभागीय स्टोर में रखा था। जलकल विभाग के अधिकारियों ने इस कबाड़ की बिक्री के लिए दिल्ली की एक संस्था को बुलाकर मूल्यांकन कराया। इसकी कीमत 25 लाख रुपये आंकी गई। बताते हैं कि संस्था ने बाद में कीमत बढ़ा दी। इसे लेकर सवाल उठाया जा रहा है कि संस्था का मूल्यांकन पारदर्शी था तो बाद में इसे किस आधार पर बढ़ाया गया।

जलकल विभाग ने सितंबर 2021 में इस कबाड़ की बिक्री ई-टेंडर के माध्यम से करने के लिए निविदा जारी की। इसमें दो कंपनियां शामिल हुईं। गाजियाबाद की कंपनी के ज्यादा बोली लगाने के बाद उसके साथ 31.55 लाख रुपये में कबाड़ की बिक्री का कांट्रेक्ट दे दिया गया। यह कंपनी अपने वाहनों को भेजकर जलकल विभाग से कई ट्रक कबाड़ भी ले जा चुकी है। नगर निगम कार्यकारिणी के पार्षदों को इसकी जानकारी मिली तो वे इसमें गड़बड़ी का आरोप लगाते हुए विभागीय अधिकारियों पर कई गंभीर आरोप लगा रहे हैं।

उप सभापति व पार्षद संजय राय, पार्षद कपिलकांत, राजगकुमार गुप्ता आदि का कहना है कि इस कबाड़ की कीमत करीब एक करोड़ रुपये है लेकिन चहेती संस्था को फायदा पहुंचाने के लिए गुपचुप तरीके से महज 32 लाख सरकारी कबाड़ को औने-पौने दामों में ठिकाने लगा दिया गया है। इस प्रकरण को कार्यकारिणी के तमाम पार्षदों ने सीएम सहित शासन के तमाम अधिकारियों तक पहुंचा दिया है।

नियम तीन का, सिर्फ दो फर्मों के बीच टेंडर करा दिया ठेका
पार्षदों ने सवाल उठाए कि जलकल विभाग के अधिकारियों ने बोर्ड या नगर निगम कार्यकारिणी सदस्यों से अनुमति लिए बगैर ही यह टेंडर करा दिया। ई-टेंडर में ही सिर्फ दो फर्म, जिसमें एक गाजियाबाद व दूसरी बरेली की थी। इसमें गाजियाबाद की फर्म के 31.55 लाख की बोली लगाए जाने पर बिक्री का ठेका उसी को कर दिया गया। जबकि, कार्यकारिणी सदस्यों का कहना है कि टेंडर में कम से कम तीन फर्म शामिल होनी चाहिए थीं लेकिन टेंडर प्रक्रिया में दो फर्म शामिल हुई और मनमाने ढंग से कांट्रेक्ट देने की कार्रवाई को पूरा कर दिया गया।

गाजियाबाद से आए हैं जीएम और वहीं की फर्म को मिला ठेका
सीएम, नगर विकास मंत्री आदि को भेजी गई शिकायत में कार्यकारिणी के पार्षदों ने यह मामला भी बताया है कि जलकल के जीएम राजेश कुमार यादव गाजियाबाद से ट्रांसफर होकर आए हैं। उन्होंने वहीं की एक फर्म को स्क्रैप बिक्री का ठेका दे दिया। पार्षदों ने इस पूरे मामले में भ्रष्टाचार की बू आने की बात भी कही है।

नगर आयुक्त की भूमिका पर भी उठे सवाल
जलकल विभाग के स्क्रैप बिक्री के आदेश पर पार्षदों ने यह सवाल उठाया है कि नगर आयुक्त अभिषेक आनंद ने इस बिक्री के लिए जो तीन सदस्यीय टीम बनाई गई थी, उसमें जलकल के जीएम, पर्यावरण अभियंता व लेखाधिकारी शामिल हैं, जबकि इसमें बोर्ड या कार्यकारिणी सदस्यों को बाहर रखा गया। पार्षदों ने जवाब मांगा है कि नगर आयुक्त ने 25 लाख के स्क्रैप की बिक्री किस नियम के तहत स्वयं के विवेक से करने की अनुमति दे दी।

पार्षदों के हंगामे व विरोध का भी कोई असर नहीं
कार्यकारिणी के पार्षदों ने इस मामले की जानकारी के बाद जलकल विभाग में हंगामा करने के साथ विभागीय स्टोर में भी कबाड़ ले जा रहे वाहनों को रोकने की कोशिश की थी लेकिन इसका अब तक कोई असर नहीं पड़ा है। पार्षद कपिलकांत सहित दूसरे पार्षदों का कहना है कि इसका विरोध अंत तक जारी रहेगा।

कबाड़ की बिक्री नगर आयुक्त से अनुमति और ईं-टेंडर करने के बाद ही की गई है। इसके बाद दिल्ली की एक संस्था से कबाड़ का मूल्यांकन भी कराया गया था। इसमें किसी तरह की गड़बड़ी नहीं हुई है। – राजेश कुमार यादव, महाप्रबंधक, जलकल विभाग