बरेली: कोयले की कमी से ईंट के कारोबार पर मंडराया संकट

बरेली: कोयले की कमी से ईंट के कारोबार पर मंडराया संकट

बरेली, अमृत विचार। कोयले की कमी के चलते जहां बत्ती गुल हो रही है। वहीं ईट कारोबार पर भी संकट के बादल मंडराने लगे हैं। कमी के चलते कोयले के दामों में भी भारी उछाल आया है। ईंट भट्टा स्वामियों का कहना है कि छह के स्थान पर तीन माह तक भट्टा चलाना मुश्किल हो …

बरेली, अमृत विचार। कोयले की कमी के चलते जहां बत्ती गुल हो रही है। वहीं ईट कारोबार पर भी संकट के बादल मंडराने लगे हैं। कमी के चलते कोयले के दामों में भी भारी उछाल आया है। ईंट भट्टा स्वामियों का कहना है कि छह के स्थान पर तीन माह तक भट्टा चलाना मुश्किल हो रहा है।

कोयला संकट से बिजली उत्पादन ही नहीं ईंट भट्टा उद्योग भी प्रभावित हुआ है। कोयले की कमी ईंट भट्ठा संचालकों को अखर रही है। सामान्य कोयला पर तीन से चार रुपये तक की बढ़ोत्तरी हुई है। इससे ईंट के दामों में वृद्धि हुई है। 5200 रुपये प्रति हजार की ईंट के दाम 6000 रुपये तक पहुंच गए हैं। ईंट भट्टा संचालकों ने बताया कि जो कोयला ₹7000 टन आ रहा था अब उसका रेट ₹24000 टन हो चुका है।

उसके बाद भी कोयले की आपूर्ति नहीं हो पा रही है। जबकि ईटों के रेट में नाम मात्र का ही बढ़ोतरी हो पाई है। कारोबारियों का कहना है कि यदि कोयले की किल्लत इसी प्रकार बनी रहे तो भट्टा मालिकों को ईटों के रेट और बढ़ाने के लिए मजबूर होना पड़ेगा। अभी ईंटों पर 200 से लेकर के ₹500 हजार तक रेट बढ़ गए हैं। अभी और रेट बढ़ने की संभावना है।

मकान बनाना होगा चुनौती
कोयले की संकट के बीच ईंट भट्टे के कारोबार पर मंदी छाई हुई है। जिसके बाद भट्टा संचालकों ने ईंट पर पैसे भी बढ़ा दिए है। बताया जा रहा है कि अगर जल्द ही कोयले का संकट खत्म नहीं हुआ तो इसका सीधा असर आम आदमी पर पड़ेगा। इससे मकान बनाना चुनौती बनेगा।

मजदूरों पर भी संकट
ईंट भट‌्टा पर काम करने वाले हरीराम ने बताया कि कोयला न होने के चलते कई भट्टा बंद होने के कगार पर पहुंच गए हैं। यदि ऐसा ही रहा तो भट्टों पर काम करने वाले बेरोजगार हो जाएंगे। इससे मजदूरों पर रोजी रोटी और रोजगार का संकट आ सकता है।

तीन प्रकार का होता है कोयला
जिले में तीन प्रकार का कोयला इस्तेमाल किया जाता है। आम भाषा में कोयले वाली प्रेस, तंदूर और ढाबों पर इस्तेमाल होने वाले कोयला इमली कोयला कहलाता हैं। इनमें इमली के साथ पत्थर वाले कोयले का प्रयोग करते हैं। ईंट भट्ठों पर स्टीम कोल के नाम कोयला का प्रयोग होता है। सामान्य कोयले के दाम तीन से चार रुपये बढ़े हैं। लेकिन, स्टीम कोल की कीमत में 14 रुपये तक बढ़ गए हैं।

पूरे देश में कोयले की हो रही दिक्कत से कोयला के दामों में बेतहाशा वृद्धि हो रही है। जिस कारण ईट भट्टा मालिकों को काफी असुविधा का सामना करना पड़ रहा है। -मुरारीलाल खजांची, ईंट भट्टा संचालक

कोयला के दाम दोगुने हो चुके है। कोयला खरीदना मुश्किल हो रहा है। दाम कम होने का हम लोग इंतजार कर रहे हैं। पहले भट्टे 6 महीने चलते थे और अब 3 महीने भी चलाना मुश्किल है। -निर्मल खतवानी, ईंट भट्टा संचालक

कोयला मंगवाने के लिए पैसे ही नही हैं। कोरोना काल का कर्ज उतारना मुश्किल है। और कोयला के दाम आसमान छू रहे हैं। भट्टा चलाना मुश्किल है। कोयले का संकट खत्म होने के बाद ही दोबारा काम शुरू करेंगे। -लक्ष्मण दास, ईंट भट्टा संचालक