बरेली: 70 साल से पान से चला रहे जीविका, गुटखा और सिगरेट उसूलों के विरुद्ध

बरेली: 70 साल से पान से चला रहे जीविका, गुटखा और सिगरेट उसूलों के विरुद्ध

बरेली, अमृत विचार। बरेली। पान के अपने कई नुकसान हो सकते हैं। मगर इसे पाचन क्रिया के लिए फायदेमंद भी बताया गया है। पान का भारतीय संस्कृति से तो जुड़ाव है ही। हिंदू धर्म के कई धार्मिक अनुष्ठानों में पान का महत्व भी बताया गया है। गुटखा और पान मसाला जब तक नहीं आया था …

बरेली, अमृत विचार। बरेली। पान के अपने कई नुकसान हो सकते हैं। मगर इसे पाचन क्रिया के लिए फायदेमंद भी बताया गया है। पान का भारतीय संस्कृति से तो जुड़ाव है ही। हिंदू धर्म के कई धार्मिक अनुष्ठानों में पान का महत्व भी बताया गया है। गुटखा और पान मसाला जब तक नहीं आया था तब तक पान को घर आने वाले मेहमानों के आदर सत्कार के प्रतीक के तौर पर भी देखा जाता था।

गली-गली पान के खोखे और दुकानें आम बात हुआ करती थीं। हालांकि मौजूदा समय में भी पान की दुकानें हैं, लेकिन अधिकतर दुकानें आपको पान मसाले और तरह-तरह के तंबाकू उत्पादों से सजी मिल जाएंगी। वहीं 88 साल के सुमिरन प्रसाद पिछले 70 साल से पान के उस स्वरूप को बरकरार रखे हुए हैं जिसके रसिया पहले घर-घर मिल जाया करते थे।

1952 में सुमिरन प्रसाद ने रोडवेज पर एक पान की दुकान शुरू की। मूल रूप से वह सिद्धार्थ नगर के रहने वाले हैं। वह बताते हैं कि दुकान शुरू करने से पहले वह अपने एक परिचित माखन लाल के साथ पान की दुकान पर काम करते थे। उन्होंने और माखन लाल ने मिलकर बरेली शहर को बनारसी पान से रूबरू कराया। इससे पहले लोग देसी पान ही खाते थे।

आज भी उनके पास केवल बनारसी पान ही मिलेगा। जिसे सफेद पान भी कहा जाता है। वह बताते हैं जिस समय दुकान शुरू की थी तो 25 पैसे का पान का जोड़ा बेचते थे। आज कई जगह पान 25 रुपये और उससे ज्यादा का भी बिक रहा है। सुमिरन प्रसाद की दुकान पर सिर्फ पान मिलेगा, मीठा और तंबाकू वाला। वह बताते हैं कि बाजार में बिकने वाली केमिकल युक्त तंबाकू वह पान में नहीं डालते। सादी और पीली पत्ती की तंबाकू खुद ही तैयार करते हैं।

खस की सुगंध वाला खुशबूदार पान उनकी दुकान की खासियत है। शायद ही कोई पनवाड़ी शहर में हो जिसकी दुकान पर दूसरे तंबाकू उत्पाद नहीं मिलते हों। इसके जवाब में सुमिरन कहते हैं कि जो चीज उनको पसंद नहीं वो दूसरों को भी नहीं बेचना चाहते। सुमिरन के मुताबिक मशहूर शायर प्रोफेसर वसीम बरेलवी से लेकर शहर की तमाम हस्तियां उनके ही पान की दीवानी हैं।

फ्लेवर पान की बहार ने बिगाड़ा स्वरूप
आधुनिक युग में पान का स्वरूप बदल गया है। मीठे पान की इतनी वैराइटी बाजार में मौजूद है कि लोग उसकी तरफ ज्यादा आकर्षित होते हैं। चाकलेट से लेकर इलाइची, मैंगो, स्ट्राबेरी, फायर पान तक दुकानों पर मिलने लगे हैं। मगर सुमिरन प्रसाद कहते हैं कि यह काम मैं नहीं कर सकता। पान मतलब सिर्फ पान होता है। पुराने पान खाने वाले लोगों को केवल परंपरागत पान ही पसंद आता है। वह कहते हैं फ्लेवर पान की बहार ने ही परंपरागत पान का स्वरूप बिगाड़ दिया है। फ्लेवर के नाम पर लोगों से 50 रुपये से लेकर 150 या उससे अधिक तक वसूले जाते हैं।

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