बहराइच: हमारी भी सुनो! एक तरफ जंगल दूसरी तरफ नदी, आफत में ग्रामीणों की जान

बहराइच: हमारी भी सुनो! एक तरफ जंगल दूसरी तरफ नदी, आफत में ग्रामीणों की जान

बहराइच। कतर्नियाघाट रेंज में बसे भरथापुर गांव के ग्रामीण सोमवार को डीएम कार्यालय पहुंचे। यहां पर सभी डीएम से पीड़ा सुनाते हुए कार्यवाई की मांग की। सभी ने कहा कि पूर्व के डीएम और डीएफओ द्वारा विस्थापन की कार्रवाई शुरू की गई थी। लेकिन अब सब मामला ठंडे बस्ते में डाल दिया गया है। ऐसे …

बहराइच। कतर्नियाघाट रेंज में बसे भरथापुर गांव के ग्रामीण सोमवार को डीएम कार्यालय पहुंचे। यहां पर सभी डीएम से पीड़ा सुनाते हुए कार्यवाई की मांग की। सभी ने कहा कि पूर्व के डीएम और डीएफओ द्वारा विस्थापन की कार्रवाई शुरू की गई थी। लेकिन अब सब मामला ठंडे बस्ते में डाल दिया गया है। ऐसे में कभी बाघ तो कभी हाथी ग्रामीणों को अपना शिकार बना रहे हैं।

कतरनियाघाट वन्यजीव प्रभाग के कतरनियाघाट रेंज के घने जंगल में वन ग्राम भरथापुर बसा हुआ है। बाघ संरक्षित क्षेत्र में बसे इस गांव के चारो तरफ घने जंगल के साथ दूसरे छोर पर कौडियाला और गेरुआ नदी है। गांव में जाने के लिए नाव ही सहारा है, लेकिन इन गांव के लोगों को सुविधा नहीं मिल रही है। ऊपर से हर माह जंगली जीव के हमले में लोग घायल हो रहे हैं तो कभी जान भी गंवा देते हैं।गांव के विस्थापन का कार्य वर्ष 2015 में उठी थी। इसके बाद से कोई सफल प्रयास नहीं हुआ। जिससे गांव के 45 ग्रामीण सोमवार को डीएम कार्यालय पहुंचे। सभी ने कहा कि हर समय गांव के ग्रामीणों के जान पर खतरा बना रहता है। गांव में किसी को सरकारी सुविधा नहीं मिल रही है।

ऐसे में उनका जीवन नरकीय बन गया है। जिला प्रशासन वन विभाग के साथ मिलकर उनके विस्थापन के लिए कार्य करे। सपा के पूर्व विधायक शब्बीर अहमद वाल्मीकि भी ग्रामीणों के साथ पहुंचे। सभी जिलाधिकारी को ज्ञापन देकर उन्हें सुरक्षित स्थान पर बसाने की मांग की। इस दौरान हीरालाल, रमेश कुमार, राज किशोर, सर्वेश मौर्य, जवाहर लाल, आकाश, राधेश्याम समेत अन्य शामिल रहे।

वर्ष 2015 से चल रही कवायद

वन ग्राम के ग्रामीणों को विस्थापन के लिए वर्ष 2015 से कवायद चल रही है। तत्कालीन जिलाधिकारी अभय सिंह और डीएफओ आशीष तिवारी ने विस्थापन की प्रक्रिया शुरू कराई। इसके बाद सभी मामले ठंडे बस्ते में पड़े रह गए।

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