दमा का मरीज बना सकती है मच्छर भगाने वाली क्वाइल

दमा का मरीज बना सकती है मच्छर भगाने वाली क्वाइल

बरेली, अमृत विचार। जिले में डेंगू के बढ़ते प्रकोप से बचने व मच्छरों को भगाने के लिए आमजन की ओर से तरह-तरह के उपाय किए जा रहे हैं। लेकिन इन उपायों से दूसरे रोगों का खतरा बन गया है। मच्छरों को भगाने के लिए कमरे में कई तरह की धुएं वाली अगरबत्तियां और क्वाइल लगाई …

बरेली, अमृत विचार। जिले में डेंगू के बढ़ते प्रकोप से बचने व मच्छरों को भगाने के लिए आमजन की ओर से तरह-तरह के उपाय किए जा रहे हैं। लेकिन इन उपायों से दूसरे रोगों का खतरा बन गया है। मच्छरों को भगाने के लिए कमरे में कई तरह की धुएं वाली अगरबत्तियां और क्वाइल लगाई जाती हैं। जिससे सेहत को नुकसान पहुंचता है। विशेषज्ञों के अनुसार क्वाइल में बेंजो फ्लूओरोथेन और बेंजो पायरेंस जैसे हानिकारक तत्व होते हैं। इनसे शरीर को नुकसान पहुंचता है।

जिला अस्पताल में इस तरह के मरीज आते रहते हैं। धुएं वाली क्वाइल और अगरबत्ती के संपर्क में आने से अस्थमा की आशंका अधिक रहती है। इससे निकलने वाला धुआं आपके फेफड़ों में घुस जाता है। इसका असर अस्थमा पीड़ित मरीजों के लिए भी खतरनाक है। जिला अस्पताल के फिजिशियन डा. राहुल बाजपेयी ने बताया कि अस्थमा के मरीजों को लगातार सलाह दी जा रही है कि वे मच्छर भगाने वाली क्वाइल या अगरबत्ती का इस्तेमाल नहीं करें। कमरे को पूरी तरह बंद न रखें। इसके साथ ही धुएं का असर त्वचा को भी नुकसान पहुंचाता है। रातभर अगरबत्ती या क्वाइल जले तो इसके आसपास रहने की वजह से त्वचा का कुदरती निखार काले रंग में परिवर्तित होने लगता है।

एलर्जी की भी शिकायत होने लगती है। आंखों के लिए भी नुकसानदायक है। वरिष्ठ फिजिशियन डा. सुदीप सरन ने बताया कि बाहरी कारणों से सांस लेने के दिक्कत में सबसे मुख्य कारक मच्छर रोधी क्वाइल है। क्वाइल के धुएं से सामान्य मनुष्य के फेफड़ों में बनी झिल्ली में सूजन आ जाती है, जिससे सांस लेने में समस्या शुरु हो जाती है, जो आगे जाकर अस्थमा का रूप ले लेती है।

उन्होंने बताया कि बच्चों का शरीर नाजुक होता है। उन्हें अगरबत्ती या क्वाइल से दूर रखें। नवजात-छह माह तक के बच्चे को इसके संपर्क में नहीं लाना चाहिए।