लखनऊ: एंबुलेंस न मिलने से एक मरीज की मौत, कहीं डाला से तो कहीं रिक्शे से…

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लखनऊ। राजधानी में चल रही लगातार एंबुलेंस चालकों की हड़ताल के चलते मरीजों के लिए समस्याएं उत्पन्न हो रही है। हालात ये हैं कि तीमारदार 108 व 102 के कॉल सेंटर पर फोन कर रहे हैं लेकिन मदद नहीं मिल पा रही है। सिविल अस्पताल में एक की मौत भी हो गई। इस कारण से …

लखनऊ। राजधानी में चल रही लगातार एंबुलेंस चालकों की हड़ताल के चलते मरीजों के लिए समस्याएं उत्पन्न हो रही है। हालात ये हैं कि तीमारदार 108 व 102 के कॉल सेंटर पर फोन कर रहे हैं लेकिन मदद नहीं मिल पा रही है। सिविल अस्पताल में एक की मौत भी हो गई। इस कारण से एक मरीज की शनिवार को सांस थम गई। नई बस्ती निवासी गजाला जाफरी की तबीयत अचानक बिगड़ गई। उसे पेट दर्द व सांस लेने में तकलीफ थी।

परिजनों ने बताया कि एम्बुलेंस सेवा के लिए फोन नहीं लगा। बेबस परिजनों ने निजी एम्बुलेंस का सहारा लिया। करीब आधे घंटे बाद एम्बुलेंस आई। तब तक गजाला की हालत बेहद नाजुक हो चुकी थी। करीब 12 बजे परिजन मरीज को लेकर सिविल अस्पताल की इमजरेंसी में पहुंचे। यहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। इसी तरह से कई मरीजों को लोग अपने वाहनों से दिखाने के​ लिए ला रहे हैं।

डाले से मरीज को लेकर अस्पताल पहुंचे
रानीगंज निवासी छेदीलाल राजपूत हादसे में घायल हो गए। परिजन एम्बुलेंस सेवा के नम्बर पर फोन मिलाते रहे। पर, उन्हें मदद नहीं मिली। प्राइवेट एम्बुलेंस चालक ने 2000 रुपये शुल्क बताया। गरीब परिजन इतना पैसा खर्च कर पाने में सक्षम नहीं थे। लिहाजा 400 रुपये में डाले से मरीज को लेकर सिविल अस्पताल पहुंचे। यहां पैर में फ्रैक्चर का पता चला।

रिक्शे से लेकर पहुंच अस्पताल
सदर कैंट निवासी बुजुर्ग उस्मा को पैर में चोट लग गई। परिवारीजनों को एम्बुलेंस नहीं मिली। नतीजतन वे मरीज को रिक्शे से लेकर सिविल अस्पताल पहुंचे। यहां डॉक्टरों ने जांच के बाद पैर में फ्रैक्चर बताया। प्लास्टर कर मरीज को घर भेज दिया। इसी तरह ट्रॉमा सेंटर, लोहिया, डफरिन और झलकारी समेत दूसरे अस्पतालों में बड़ी संख्या में मरीज निजी वाहन से अस्पताल पहुंचे।

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