बरेली: आवास की योजनाएं तमाम फिर क्यों पोल खोल रहीं झोपड़ियां

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बरेली, अमृत विचार। हर गरीब को आवास दिलाने के लिए केंद्र व प्रदेश सरकार तमाम योजनाएं चला रही है। इसका लाभ भी फाइलों में शत-प्रतिशत देना दिखाकर अफसर और नेता वाहवाही लूट रहे हैं। बावजूद, शहर के कई इलाकों में नजर आ रहीं झोपड़ियां इन दावों की हकीकत बयां कर रही हैं। आवास से वंचित …

बरेली, अमृत विचार। हर गरीब को आवास दिलाने के लिए केंद्र व प्रदेश सरकार तमाम योजनाएं चला रही है। इसका लाभ भी फाइलों में शत-प्रतिशत देना दिखाकर अफसर और नेता वाहवाही लूट रहे हैं। बावजूद, शहर के कई इलाकों में नजर आ रहीं झोपड़ियां इन दावों की हकीकत बयां कर रही हैं। आवास से वंचित लोगों का कहना है कि सर्वे के लिए आने वाले कर्मचारी रिश्वत मांगते हैं। रुपये न मिलने पर पात्रता सूची से नाम हटा देते हैं। जबकि, जो लोग अपात्र होने के बावजूद कर्मचारी की जेब गरम कर दें तो आवास उसको ही मिल जाता है।

पीलीभीत बाईपास रोड व ईसाइयो वाली पुलिया के पास कई झोपड़ियां दावों की पोल भी खोल रही हैं जिनमें लोग वर्षों से गुजर-बसर कर रहे हैं। कई लोगों ने बातचीत में बताया कि उन्हें सरकार की आवास योजना के बारे में पता तक नहीं है। आज तक सरकार के किसी अधिकारी व कर्मचारी ने उन्हें आवास के बारे में नहीं बताया। बोले कि घर मिल जाए तो हमारे जीवन के आधे कष्ट ही दूर हो जाएंगे।

जबकि, कुछ लोगों ने बताया कि आवास के लिए कर्मचारियों को रिश्वत देने के लिए रुपये होते तो खुद मकान नहीं खरीद लेते। किसी तरह दिहाड़ी मजदूरी करके अपना व परिवार का पेट पाल रहे हैं। कई गरीब ऐसे हैं जो सरकार द्वारा चलाई जाने वाली प्रधानमंत्री आवास योजना के अलावा कई अन्य योजना में पात्रता की सभी शर्तें पूरी करने के बाद भी सूची में जगह नहीं बना पाए। झुग्गी-झोपड़ियों में जीवन बसर करना अब उनकी आदत में शुमार सा हो गया है।

सरकारी विभाग इस तरह लक्ष्य कर रहे पूरा
प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना की बात करें तो बीते साल 5037 आवासों का लक्ष्य मिला था। इसके सापेक्ष 5032 आवास पूरे कर दिए गए। इस वित्तीय वर्ष में 1498 आवासों का लक्ष्य मिला जिसमें 907 पात्र परिवारों को चिह्नित किया जा चुका है। इसी तरह प्रधानमंत्री शहरी योजना में बीते साल लक्ष्य के सापेक्ष 386 आवास अपूर्ण रह गए। इस साल मिले लक्ष्य में जोड़कर कुल संख्या 6971 हैं जिनको आवास दिया जाना है। मुख्यमंत्री आवास योजना में इस वित्तीय वर्ष में 37 आवासों के आवंटन का लक्ष्य मिला था जिसमें 31 पात्रों को चिह्नित कर लिया है।

दस्तावेज पूरे फिर भी खामियां गिनाकर लौटा रहे
शहर से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों में खुले आसमान के नीचे रहने वाले तमाम ऐसे गरीब हैं जो अरसे से एक ही स्थान पर जमे हैं। उनके पास मूल निवास से लेकर राशनकार्ड समेत सभी दस्तावेज हैं। बकायदा कोटे से राशन भी मिल रहा, लेकिन आवास का सपना अब भी अधूरा है। बताया जाता है कि आवेदन करने के बाद जब यह गरीब विभाग के चक्कर लगाते हैं तो उनके दस्तावेज में खामियां गिनाकर इस तरह उलझाया जाता है कि थक हारकर वह योजना का लाभ लेने की आस छोड़कर खुले आसमान के नीचे ही रहना ठीक समझते हैं।

इनकी सुनें-

हमारे पास राशन कार्ड है। प्रधानमंत्री आवास योजना की पात्रता श्रेणी में आते हैं। कई बार आवेदन भी किया। पिछले साल दिसंबर में सर्वे करने पहुंचे डूडा विभाग के एक कर्मचारी ने एक हजार रुपये मांगे, नहीं देने पर योजना से वंचित कर दिया। -बबलू

चुनावी समय में जनप्रतिनिधियों ने प्रधानमंत्री आवास योजना समेत कई योजनाओं का लाभ दिलाने के वायदे किए थे। जीतने के बाद पीछे मुड़कर तक नहीं देखा। प्रधानमंत्री आवास का सपना तीन साल से देख रहे हैं लेकिन आज तक पूरा नहीं हुआ। आवास मिल जाता तो आर्थिक स्थिति में काफी सुधार होता। -महावीर

पीडी डीआरडीए तेजवंत सिंह ने बताया कि 2011 की आर्थिक जनगणना में शामिल हर पात्र व्यक्ति को प्रधानमंत्री आवास योजना ग्रामीण का लाभ दिया गया है। यदि कोई गरीब पात्रता की श्रेणी में होने के बाद भी योजना से वंचित है तो इसे दिखवाया जाएगा। आवास योजना का लाभ भी दिया जाएगा।

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