टूटे गतिरोध

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देश की सबसे बड़ी पंचायत यानी संसद में जिस तरह का अभूतपूर्व गतिरोध मानसून सत्र में दिखाई दे रहा है, यह उचित नहीं कहा जा सकता। अब तक एक भी दिन शून्यकाल और प्रश्नकाल नहीं हो सका है। विपक्ष सभी विधायी कामकाज रोककर पेगासस जासूसी मामले तथा किसानों के मुद्दे पर चर्चा कराने पर अडिग …

देश की सबसे बड़ी पंचायत यानी संसद में जिस तरह का अभूतपूर्व गतिरोध मानसून सत्र में दिखाई दे रहा है, यह उचित नहीं कहा जा सकता। अब तक एक भी दिन शून्यकाल और प्रश्नकाल नहीं हो सका है। विपक्ष सभी विधायी कामकाज रोककर पेगासस जासूसी मामले तथा किसानों के मुद्दे पर चर्चा कराने पर अडिग है, जबकि सरकार इसके लिए अभी तैयार नहीं है। विपक्ष पेगासस मामले में जांच व सदन में चर्चा कराने की मांग कर रहा है।

सरकार कह रही है कि संसद के मानसून सत्र से ठीक पहले ऐसी रिपोर्ट का प्रकाशित होना कोई संयोग नहीं है बल्कि ये आरोप भारतीय लोकतंत्र की छवि को धूमिल करने का प्रयास है। देश में पेगासस स्पाईवेयर को लेकर हंगामा मचा है। कहा जा रहा है कि इस स्पाईवेयर की मदद से कई विपक्षी नेताओं, बड़े मीडिया संस्थानों के कई पत्रकारों, बड़े वकीलों, सामाजिक कार्यकर्ता और व्यवसायियों के फोन को हैक कर उनकी जासूसी की गई है।

पेगासस को बनाने वाली कंपनी का कहना है कि वे इस सॉफ्टवेयर को सिर्फ सरकारों और सरकारी एजेंसियों को ही बेचती है, किसी निजी कंपनी को नहीं। इसलिए यह कहा जा रहा है कि अगर भारत में इसका इस्तेमाल हुआ है, तो इस जासूसी कांड में कहीं न कहीं सरकार या सरकारी एजेंसियां शामिल हैं।

उधर कांग्रेस ने कृषि कानूनों को निरस्त करने की मांग पर संसद परिसर में प्रदर्शन और लोकसभा एवं राज्यसभा में हंगामा किया। मुख्य विपक्षी पार्टी ने तीनों कृषि कानूनों को निरस्त करने की मांग उस वक्त दोहराई है जब मानसून सत्र के दौरान केन्द्र के इन तीनों कानूनों के खिलाफ किसान संगठन जंतर-मंतर पर प्रदर्शन कर रहे हैं।

गौरतलब है कि दिल्ली से लगे टिकरी बॉर्डर, सिंघू बॉर्डर तथा गाजीपुर बॉर्डर पर किसान पिछले साल नवम्बर से विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। उनकी मांग है कि तीनों कृषि कानूनों को वापस लिया जाए और न्यूनतम समर्थन मूल्य की कानूनी गारंटी दी जाए। हालांकि सरकार का कहना है कि ये कानून किसानों के हित में हैं। साथ ही लोकसभा में विपक्ष कोरोना महामारी के विषय पर चर्चा चाहता है। राज्यसभा में इस पर चर्चा हो चुकी है।

संसदीय लोकतंत्र में संसद चले और जनहित के मुद्दों पर बहस हो, यह जिम्मेदारी विपक्ष की भी होती है, मगर सरकार की उससे कहीं ज्यादा होती है। सरकार को विपक्ष से बातचीत के सिलसिले से गतिरोध का हल निकालना चाहिए। संसद में हंगामा होने से दुनिया में भारत की छवि गिरती है और देश की आम जनता का विश्वास टूटता है।