पेट्रोल-डीजल से सरकार ने बंटोरे 3.35 लाख करोड़, जीएसटी के दायरे से रहेगा बाहर, जनता पर बढ़ेगा बोझ!

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नई दिल्ली। सरकार ने सोमवार को कहा कि पिछले वित्त वर्ष में पेट्रोल-डीजल पर केंद्र की ओर से लगाए जाने वाले उत्पाद शुल्क के जरिए राजस्व का संग्रह 88 प्रतिशत बढ़कर 3.35 लाख करोड़ रुपये हो गया। अभी तक जीएसटी परिषद ने तेल और गैस को माल एवं सेवा कर (जीएसटी) के दायरे में शामिल …

नई दिल्ली। सरकार ने सोमवार को कहा कि पिछले वित्त वर्ष में पेट्रोल-डीजल पर केंद्र की ओर से लगाए जाने वाले उत्पाद शुल्क के जरिए राजस्व का संग्रह 88 प्रतिशत बढ़कर 3.35 लाख करोड़ रुपये हो गया। अभी तक जीएसटी परिषद ने तेल और गैस को माल एवं सेवा कर (जीएसटी) के दायरे में शामिल करने की सिफारिश नहीं की है।

पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस राज्य मंत्री रामेश्वर तेली ने लोकसभा में कहा कि वित्त वर्ष 2020-21 में पेट्रोल एवं डीजल पर उत्पाद शुल्क का संग्रह बढ़कर 3.35 लाख करोड़ रुपये हो गया जो इससे एक साल पहले 1.78 लाख करोड़ रुपये था। उन्होंने कहा कि यह संग्रह और भी बढ़ा होता, लेकिन लॉकडाउन और दूसरे प्रतिबंधों के कारण ईंधन की बिक्री में कमी आई। रामेश्वर तेली के मुताबिक, 2018-19 में पेट्रोल-डीजल पर उत्पाद शुल्क के जरिए 2.13 लाख करोड़ रुपये के राजस्व का संग्रह हुआ था।

वहीं, लोकसभा में पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस राज्य मंत्री रामेश्वर तेली ने के. मुरलीधरन, भर्तृहरि महताब, सुप्रिया सुले और सौगत राय आदि सदस्यों के प्रश्न के लिखित उत्तर में यह जानकारी दी। सदस्यों ने पूछा था, ”क्या डीजल, पेट्रोल की कीमतों पर नियंत्रण के लिये पेट्रोलियम पदार्थों को जीएसटी के दायरे में लाने की योजना है?”

मंत्री ने जवाब दिया, ”वर्तमान में इन उत्पादों को जीएसटी के दायरे में लाने की कोई योजना नहीं है। अभी तक जीएसटी परिषद ने तेल और गैस को माल एवं सेवा कर (जीएसटी) के दायरे में शामिल करने की सिफारिश नहीं की है।”

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