बरेली: मानसून की बेरुखी से परेशान किसान असमंजस में
बरेली, अमृत विचार। सावन के महीने में मानसून की बेरुखी और चिलचिलाती धूप किसानों को परेशान कर रही है। किसान धान की बुवाई कर रहे हैं। गन्ने को भी पानी की जरूरत है। धूप के प्रकोप से फसलों की बढ़त प्रभावित हो रही है। धान, गन्ना, चारा और हरी सब्जी की खेती को बड़े स्तर …
बरेली, अमृत विचार। सावन के महीने में मानसून की बेरुखी और चिलचिलाती धूप किसानों को परेशान कर रही है। किसान धान की बुवाई कर रहे हैं। गन्ने को भी पानी की जरूरत है। धूप के प्रकोप से फसलों की बढ़त प्रभावित हो रही है। धान, गन्ना, चारा और हरी सब्जी की खेती को बड़े स्तर पर नुकसान होने की संभावना बनी है।
आलमपुर जाफराबाद ब्लाक के ग्राम सिकरोड़ा निवासी प्रगतिशील किसान विजय चौहान बताते हैं कि पानी के अभाव में धान की फसल सूखी खड़ी है। तमाम किसान पानी के अभाव में रोपाई भी नहीं कर सके हैं। कुछ ऐसे भी हैं, जो धान की रोपाई करने के बाद सिंचाई के लिए परेशान हैं। उनके मुताबिक रुहेलखंड आंचल में प्रगतिशील किसान हर साल अपनी धान की फसल की रोपाई 15 जून से शुरू कर देते हैं।
मगर साधारण किसान नहर और नलकूप आदि की सुविधा के अभाव में बारिश होने पर ही रोपाई करना उचित समझते हैं क्योकि डीजल समेत अन्य दिक्कतें कम हो जाती हैं। लेकिन इस साल मानसून की देरी से ज्यादातर किसानों की रोपाई पिछड़ गई है। यदि अगले पंद्रह दिन ठीकठाक बारिश नहीं हुई तो धान की फसल को नुकसान पहुंचने से रकबा घट जाएगा। फसल उत्पादन पर भी प्रतिकूल प्रभाव देखने को मिलेगा।
विजय चौहान के मुताबिक जिले में सीधी रोपाई से धान बोने का प्रचलन बहुत कम है, जबकि सीधी रोपाई से धान लगाने से किसानों की बहुत कम लागत लगती है। ऐसे में जरूरत है सरकारी एजेंसियों की. जो किसानों को सीधी बोआई के लिए प्रोत्साहित करे। इधर कृषि विभाग के आंकड़ों पर गौर किया जाए तो लक्ष्य की 60 प्रतिशत धान की रोपाई हो चुकी है।
एक हेक्टेयर में आएगा एक हजार का डीजल खर्च
एक हेक्टेयर में धान की रोपाई करने में करीब एक हजार रुपये का खर्च आता है। नहर से सिंचाई करने पर सरकार कोई पैसा नहीं ले रही लेकिन किसान को डीजल व श्रमिक का खर्च वहन करना पड़ता है। इसलिए किसानों को बारिश का इंतजार है। जुलाई में अभी भीषण गर्मी से परेशान लोग झमाझम बारिश की आस लगाए बैठे हैं।
