जानिए कब मनाया जाएगा गुरु पूर्णिमा का पर्व? महत्व, शुभ मुहूर्त और पूजन विधि
इस बार गुरु पूर्णिमा का पर्व 24 जुलाई को मनाया जाएगा। वैसे तो हर माह की पूर्णिमा को शास्त्रों में काफी पुण्यदायी माना गया है, लेकिन आषाढ़ महिने की पूर्णिमा का महत्व और भी ज्यादा है। इसे गुरु पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। मान्यता यह है कि इस दिन महर्षि द्वैपायन व्यास …
इस बार गुरु पूर्णिमा का पर्व 24 जुलाई को मनाया जाएगा। वैसे तो हर माह की पूर्णिमा को शास्त्रों में काफी पुण्यदायी माना गया है, लेकिन आषाढ़ महिने की पूर्णिमा का महत्व और भी ज्यादा है। इसे गुरु पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। मान्यता यह है कि इस दिन महर्षि द्वैपायन व्यास का जन्म हुआ था। उन्हें वेद व्यास के नाम से भी जाना जाता है।
गुरु वेद व्यास ने ही पहली बार मनुष्य जाति को चारों वेदों का ज्ञान दिया था। इसलिए उन्हें प्रथम गुरु माना जाता है और उनको सम्मान देने के लिए उनके जन्म की तिथि यानी आषाढ़ मास की पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा और व्यास पूर्णिमा कहा जाता है।
हिन्दू धर्म में गुरुओं को भगवान से भी ऊपर रखा गया है। गुरु पूर्णिमा का पर्व हमरे जीवन में गुरु की महत्वता को बताता है। इस दिन सब अपने गुरुओं का सम्मान कर आशीर्वाद लेते हैं। गुरु के बिना हम सही राह पर नहीं चल सकते, गुरु ही हमें सही और गलत में फर्क बताते हैं। गुरु हमारे जीवन से अंधकार को हटा कर रोशनी लाने का कार्य करते हैं। इसलिए गुरु की जगह भगवान से भी ऊपर रखी गई है।
गुरु पूर्णिमा कब है और शुभ मुहूर्त
1. गुरु पूर्णिमा: 24 जुलाई
2. पूर्णिमा तिथि का शुभआरंभ- 23 जुलाई, शुक्रवार को प्रात: 10 बजकर 43 मिनट से।
3. पूर्णिमा तिथि का समापन- 24 जुलाई, शनिवार को प्रात: 08 बजकर 06 मिनट पर।
गुरु पूर्णिमा का महत्व
हिन्दू धर्म में शास्त्रों के अनुसार ‘गु’ शब्द का अर्थ ‘अंधकार’ बताया गया है और ‘रु’ शब्द का अर्थ ‘रोकने वाला’ बताया गया है। अर्थात इसका पूरा अर्थ है अंधकार को खत्म करने वाला। इसलिए हिन्दू धर्म में शास्त्रों के अनुसार गुरु को अंधकार से हटाकर रोशनी की और ले जाने वाला बताया गया है। गुरु पूर्णिमा के दिन लोग अपने गुरुओं की पूजा करते हैं। उन्हें अपनी तरफ से वस्त्र, धन आदि भेंट करते हैं। वहीं दूसरी और कुछ लोग अपने दिवगंत गुरुओं की चरण पादुकोओं का धूप ,दीप , पुष्प आदि से पूजन करते हैं और उनके नाम से वस्त्र और दक्षिणा का दान करते हैं।
गुरु पूर्णिमा पर कैसे करें पूजन
1. इस दिन सबसे पहले सुबह जल्दी उठकर घर की साफ-सफाई करें। इसके बाद स्नानादि से निवृत्त होकर पूजा का संकल्प लें। इसके बाद किसी पवित्र स्थान पर पाटे पर सफेद या लाल वस्त्र बिछाएं और उस पर 12-12 रेखाएं बनाकर व्यास-पीठ बनाएं।
2. इसके बाद फिर‘गुरुपरंपरासिद्धयर्थं व्यासपूजां करिष्ये’मंत्र का उच्चारण करें और दसों दिशाओं में अक्षत छोड़े।
3. इसके बाद व्यासजी, ब्रह्माजी, शुक्रदेवजी, गोविंद स्वामी जी और शंकराचार्यजी के नाम लेकर उनका आवाह्न करें।
4. इसके बाद अपने गुरु की प्रतिमा स्थापित करें और उन्हें रोली, चंदन, पुष्प, फल, प्रसाद आदि अर्पित करें। धूप दीप जलाएं और कुछ देर गुरु मंत्र का जाप करें। इसके बाद उनका आशीर्वाद प्राप्त लें।
