बरेली: नहरों की भरमार फिर भी धान रोपाई को किसान है परेशान

Amrit Vichar Network
Published By Amrit Vichar
On

बरेली, अमृत विचार। जिले में नहरों की भरमार है। बावजूद धान की रोपाई के लिए किसान परेशान हैं। आलम यह है कि तेज धूप और भीषण गर्मी की वजह से खेत खलियान सूखते जा रहे हैं, फिर भी नहर में अब तक पानी नहीं छोड़ा गया। इधर, ग्रामीणों का आरोप है कि इस साल न …

बरेली, अमृत विचार। जिले में नहरों की भरमार है। बावजूद धान की रोपाई के लिए किसान परेशान हैं। आलम यह है कि तेज धूप और भीषण गर्मी की वजह से खेत खलियान सूखते जा रहे हैं, फिर भी नहर में अब तक पानी नहीं छोड़ा गया। इधर, ग्रामीणों का आरोप है कि इस साल न तो नहर की सफाई कराई गई और न ही पानी छोड़ा गया। कई बार अफसरों से शिकायत की पर कोई सुनवाई नहीं हो सकी। इसका खामियाजा किसानों को भुगतान पड़ रहा है। वहीं डीजल महंगा होने की वजह से भी अन्नदाताओं पर दोहरी मार पड़ रही है।

केंद्र व प्रदेश सरकार किसानों की आय दोगुनी करने का दावा कर रही है, इसके लिए सरकारी विभागों को करोड़ों का बजट भेजा जा रहा है। मगर, जिम्मेदार शासन की मंशा पर खरा नहीं उतर रहे। यही कारण है कोरोना काल में परेशान किसानों की समस्या कम होने के बजाय बढ़ती जा रही है। अफसरों को दावा है नहरों की सफाई से लेकर खुदाई आदि का काम समय में पूरा कर लिया गया था।

किसानों को किसी तरह की दिक्कत नहीं होने की बात कही जा रही है मगर झूठे दावों की हकीकत नवाबगंज, हाफिजगंज, बिथरीचैनपुर समेत कई ब्लाक में देखने को मिल रही है। नवाबगंज के रिछौला, क्योलड़िया, जिगनियां गांव के हालात तो ज्यादा खराब हैं। बड़ी संख्या में फसलों की पैदावार होती है। नहरों में पानी नहीं पहुंचने की वजह से धान की रोपाई जहां प्रभावित हो रही है।

वहीं, अन्य फसलों की सिंचाई के लिए निजी पंपिंग सेटों और नलकूपों का किसानों को सहारा लेना पड़ रहा है। कुछ किसान ऐसे हैं जो पहले से आर्थिक तंगी का शिकार है उनको तो सिंचाई के अभाव में फसलों के पिछड़ने की चिंता भी सता रही है। जबकि मुख्यमंत्री के सख्त निर्देश है कि सभी नहरों की सफाई कर पानी की सप्लाई की जाए पर जिम्मेदार अफसरों पर कोई असर नहीं है।

पिछले साल भी उठाना पड़ा था भारी नुकसान
पानी की आस में किसान नहर से पानी मिलने की उम्मीद में टकटकी लगाये बैठे हैं। किसानों का कहना है चिंता अब इस बात की है कि बीते वर्ष के दौरान भी समय बीतने के बाद भी नहर में पानी नहीं आया था। इसके कारण किसानों को काफी मुश्किल उठानी पड़ी थी और किसी तरह डीजल पंप के सहारे सिंचाई हो सकी थी। इसके कारण किसानों को काफी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ा था। इस बार भी अगर नहर में पानी समय से नहीं छोड़ा गया तो इस बार भी खरीफ फसल प्रभावित होने वाली है।

बोले किसान-

धान की नर्सरी के लिए पानी की जरूरत है। साधन संपन्न किसान तो महंगा डीजल खरीदकर पंपिंग सेट से सिंचाई कर रहे हैं मगर छोटे किसान अभी भी सिंचाई के लिए नहरों के पानी की आस लगाए बैठे हैं। इससे फसल पर बुरा असर पड़ रहा है। जितेंद्र, हाफिजगंज

सरकार किसानों की आय दोगुनी करने का दावा तो करती रही है, मगर सभी फसलों की खेती अब घाटे का सौदा बनती जा रही है। गन्ने का भुगतान साल भर तक नहीं मिलता। गेहूं भी औने-पौने दामों में बेचना पड़ा। अब सिंचाई के लिए नहरों में पानी नहीं है। सर्वेश, ग्रेम गांव

लगातार फरियाद के बाद भी नहरों में पानी आने की कोई उम्मीद नहीं दिखाई दे रही है। किसान करे भी तो क्या करे, इधर-उधर से कर्ज लेकर किसान अब सिंचाई के लिए इंजन की जुगाड़ कर रहा है। नहरों में पानी मिल जाता तो कुछ राहत होती। ज्ञानप्रकाश, गौशलपुर गांव

एक तो डीजल के मूल्यों में हुई बढ़ोतरी पहले ही परेशान किए थी, अब पानी भी किराए पर लेना पड़ रहा है। जिससे फसल की लागत बढ़ रही है, मुनाफा होगा भी कि नहीं, अभी कुछ नहीं कहा जा सकता। धान रोपाई में सात बार पानी लगाने की आवश्यकता होती है। धर्मेंद्र, रजपुरा माफी

संबंधित समाचार