बरेली: स्मार्ट सिटी पर कई अरब खर्च, शहर को बर्बाद कर रहे डेयरी वाले
बरेली, अमृत विचार। आबादी के बीच संचालित हो रहीं करीब 840 डेयरियां स्मार्ट सिटी को बर्बाद कर रही हैं। जबकि शहर को सुंदर बनाने के लिए स्मार्ट सिटी परियोजना के तहत कई अरब के काम कराए जा रहे हैं। डेयरियों के संचालन को लेकर दिक्कत यह है कि नगर निगम प्रशासन ने डेयरी संचालकों के …
बरेली, अमृत विचार। आबादी के बीच संचालित हो रहीं करीब 840 डेयरियां स्मार्ट सिटी को बर्बाद कर रही हैं। जबकि शहर को सुंदर बनाने के लिए स्मार्ट सिटी परियोजना के तहत कई अरब के काम कराए जा रहे हैं। डेयरियों के संचालन को लेकर दिक्कत यह है कि नगर निगम प्रशासन ने डेयरी संचालकों के पंजीकरण आदि के लिए अब तक कोई नीति ही तैयार नहीं की है। डेयरी वालों को शहर से बाहर कहां स्थानांतरित करना है, इसकी भी अब तक रूपरेखा तैयार नहीं हो सकी है। इस वजह से सैकड़ों डेयरी वालों के हजारों जानवर हर दिन शहर को गंदा करने के साथ ही शहर के वाशिंदों के लिए सिरदर्द बने हुए हैं।
शहर में डेयरियों का गोबर नालों में बहाने से नाले चोक होते हैं। डेयरियों को हटाने के लिए एक बार फिर से नगर निगम ने कार्रवाई शुरू की है। इससे पहले भी आदेश हुए लेकिन अधिकारी, स्थानीय जनप्रतिनिधियों और डेयरी संचालकों के बीच गठजोड़ ने डेयरियां आबादी के बीच से हटने नहीं दीं। जबकि, शहरी समग्र विकास एवं नगरीय रोजगार व गरीबी उन्मूलन ने शहर में आबादी के बीच में संचालित डेयरियों को शहर के बाहर करने का आदेश पहले ही दे दिए हैं।
डेयरियां हटाने का आदेश सुप्रीम कोर्ट की ओर से भी जारी है लेकिन अधिकारियों ने इस ओर ध्यान नहीं दिया। शहर के विभिन्न जगहों पर घनी आबादी के बीच दुग्ध डेयरियां संचालित हो रही हैं। नगर स्वास्थ्य अधिकारी की ओर से कई बार नोटिस दिए गए और मवेशियों को भी पकड़ने की कार्रवाई हुई। इसके बावजूद आबादी के बीच डेयरियों का संचालन बंद नहीं हो सका है।
ये डेयरियां कटरा चांद खां, पुराने शहर प्रेमनगर, किला, सिविल लाइंस, डेलापीर में बड़ी संख्या में संचालित हो रही हैं। दिक्कत यह है कि इन डेयरी वालों के लिए नगर निगम के पास अभी कोई नीति नहीं है। इसकी वजह से डेयरी वालों का न तो रजिस्ट्रेशन है और न ही उनकी और उनके यहां पल रहे जानवरों की सही संख्या नगर निगम प्रशासन के पास उपलब्ध है।
भैंस सहित अन्य जानवरों से आए दिन घायल हो रहे राहगीर
डेयरी संचालक मनमाने तरीके से शहर के आबादी वाले इलाकों में रह रहे हैं। वह अपने मवेशियों को तालाब आदि से पानी पिलाने व नहलाने के लिए ले जाते हैं। ऐसे में सड़कों पर जाम लगता है। कई बार भैंसों के दौड़ने से बाइक-स्कूटी वाले गिरकर घायल हो चुके हैं। डेलापीर चौराहे के पास भी तमाम डेयरी वाले जानवरों को दिनभर तालाब लाते और वापस ले जाते हैं। इससे सड़क पर लंबा जाम भी लगा रहता है।
पहल कई बार हुई लेकिन कामयाब नहीं हो सकी
डेयरी वालों को शहर से बाहर करने की पहल कई बार हुई लेकिन वह कामयाब नहीं हो सकी। इसलिए शहर में डेयरियों का संचालन लगातार बढ़ रहा है। डेयरी संचालक गोबर को नाले में बहा देते हैं। इससे नाले-नालियां चोक होने से जलभराव की स्थिति पैदा हो जाती है।
डेयरियों का संचालन शहर से बाहर करने की कार्ययोजना तैयार हो रही है। इसे लेकर नगर निगम इस बार काफी गंभीर है। जल्द ही इसे लेकर नई पहल दिखाई देगी। -डॉ. उमेश गौतम
डेयरी संचालकों के लिए नीति तैयार हो रही है। आबादी के बीच जो भी डेयरियां संचालित हो रही है, वे सभी अवैध हैं। -श्यामलता आनंद, अपर नगर आयुक्त
