बरेली: कोरोना की दूसरी लहर कम होते ही मास्क व सैनिटाइजर की ब्रिक्री में कमी

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बरेली, अमृत विचार। कोरोना की दूसरी लहर कम होते ही लोग लापरवाह हो गए हैं। पूर्व में एक नहीं दो-दो मास्क और फेस शील्ड लगाकर घर से निकलने वाले लोग अब एक भी मास्क नहीं लगा रहे। बाजार में मास्क और सैनिटाइजर की बिक्री घट गई है। कैमिस्ट एसोसिएशन का कहना है कि अब इन …

बरेली, अमृत विचार। कोरोना की दूसरी लहर कम होते ही लोग लापरवाह हो गए हैं। पूर्व में एक नहीं दो-दो मास्क और फेस शील्ड लगाकर घर से निकलने वाले लोग अब एक भी मास्क नहीं लगा रहे। बाजार में मास्क और सैनिटाइजर की बिक्री घट गई है। कैमिस्ट एसोसिएशन का कहना है कि अब इन उत्पादों की आधी भी मांग बाजार में नहीं रह गई है।

पिछले साल जब कोरोना ने अपने पैर पसारे तो मास्क और सैनटाइजेशन को ही इससे बचाव का एकमात्र हथियार बताया गया। पहली लहर में लोगों ने मास्क और सैनिटाइजेशन के दम पर जंग भी जीती। दूसरी लहर में लोग लापरवाह हो गए जिसका नतीजा ये रहा कि कोरोना वायरस ने लोगों को अपनी चपेट में लिया। इसके बाद लोगों ने कोरोना से बचाव को डबल मास्क पहने। बार-बार हाथों को सैनिटाइज किया। यही कारण था कि अप्रैल और मई में मास्क और सैनिटाइजर की बिक्री 10 गुना तक बढ़ गई थी।

एन-95 और सर्जिकल मास्क की बाजार में कमी तक पड़ गई मगर अब हालात फिर से पहले जैसे हो गए हैं। बाजारों में लोग बिना मास्क के घूम रहे हैं। इसका असर सैनिटाइजर और मास्क की खपत पर भी दिख रहा है। जून में मास्क और सैनिटाइजर की बिक्री आधी से कम हो गई है। केमिस्ट एसोसिएशन के अनुसार अप्रैल और मई में मास्क और सैनिटाइजर की मांग अचानक बढ़ गई थी। आर्डर के बाद भी माल नहीं मिल रहा था मगर जून में फिर पहले जैसी स्थिति हो गई। अप्रैल और मई की तुलना में जून में मास्क और सैनिटाइजर की बिक्री आधी हो गई है।

दाम भी हुए कम
केमिस्ट एसोसिशन के अध्यक्ष दुर्गेश खटवानी ने बताया कि अप्रैल और मई में सर्जिकल आइटम के दामों में भी इजाफा हो गया था। ट्रिपल लेयर मास्क थोक में एक रुपये में था, जो दो रुपये का हो गया। इसी तरह एन-95 मास्क भी 30 रुपये से 60 रुपये तक हो गया था। पल्स ऑक्सीमीटर और थर्मामीटर के दाम तीन गुने हो गए थे मगर अब इनके दामों में गिरावट आ गई है।

बरतनी होगी सावधानी
कोरोना की शुरुआत में दिन में बार-बार सैनिटाइजर से हाथ साफ करते थे। कोई भी चीज छूने के बाद सैनिटाइजर लगाते थे। हर जगह गेट पर सैनिटाइजर रखा मिलता था मगर धीरे-धीरे समय गुजरने के साथ लोग थोड़े से बेफ्रिक हो गए हैं। अब बार-बार हाथ सैनिटाइज नहीं हो रहा है। न ही घरों में बार-बार साबुन से हाथ धो रहे हैं। जिला अस्पताल के वरिष्ठ फिजिशियन डा. आरके गुप्ता का कहना है कि लोगों को लापरवाही नहीं बरतनी चाहिए। अगर सैनिटाइजर नहीं है तो घर में थोड़ी देर बाद साबुन से हाथ जरूर धोते रहना चाहिए। साबुन से हाथ धोने से कोई नुकसान भी नहीं है।

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