काशीपुर: पूर्वी सिक्किम में ट्रक के खाई में पलटने से सात कुमाऊं रेजीमेंट के जवान हिमांशु की मौत

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काशीपुर, अमृत विचार। पूर्वी सिक्किम में सेना के जवानों को ले जा रहे एक ट्रक के खाई में गिरने से मूल रूप से गांव मसमौली सराईखेत ब्लॉक स्यालदे जिला अल्मोड़ा हाल निवासी गोपीपुरा पांडे कॉलोनी काशीपुर हिमांशु नेगी (21) की मौत हो गई। हिमांशु की मौत की सूचना मिलने से परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल …

काशीपुर, अमृत विचार। पूर्वी सिक्किम में सेना के जवानों को ले जा रहे एक ट्रक के खाई में गिरने से मूल रूप से गांव मसमौली सराईखेत ब्लॉक स्यालदे जिला अल्मोड़ा हाल निवासी गोपीपुरा पांडे कॉलोनी काशीपुर हिमांशु नेगी (21) की मौत हो गई। हिमांशु की मौत की सूचना मिलने से परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल है। शुक्रवार सुबह हिमांशु नेगी का पार्थिव शरीर काशीपुर पहुंचेगा।

मूल रूप से गांव मसमौली सराईखेत ब्लॉक स्यालदे जिला अल्मोड़ा निवासी हीरा सिंह नेगी करीब सात साल पहले यहां ग्राम गोपीपुर पांडे कॉलोनी काशीपुर में परिवार समेत शिफ्ट हो गए थे। हीरा सिंह नेगी के चार बच्चे हैं। जिसमें हिमांशु नेगी (21) सबसे बड़ा पुत्र, दीपा (बेटी), विरेंद्र (पुत्र) व चंदन (पुत्र) शामिल हैं। हीरा सिंह के सबसे बड़े पुत्र हिमांशु नेगी ने गांव से हाईस्कूल और वर्ष 2018 में काशीपुर के प्रतापपुर इंटर कॉलेज से इंटर की पढ़ाई की।

इसके बाद हिमांशु ने वर्ष 2019 में हल्द्वानी में हुई फौज की भर्ती में हिस्सा लिया। जिस पर वह सात कुमाऊं रेजीमेंट में भर्ती हो गया। उसकी पहली पोस्टिंग जम्मू-कश्मीर में रही। इसके बाद दूसरी पोस्टिंग परिश्चम बंगाल में हुई। बीती बुधवार को पूर्वी सिक्किम में सेना के जवानों को ले जा रहा ट्रक खाई में गिर गया। जिसमें कुमाऊं रेजीमेंट के तीन जवानों की मौत हो गई। इसमें से एक जवान हिमांशु भी शामिल था। हिमांशु की मौत की सूचना से परिवार में कोहराम मच गया। पूरे परिवार का रो-रोकर बुरा हाल है।

हिमांशु के पिता हीरा सिंह नेगी ने बताया कि वह मजदूरी करते हैं। बुधवार को हिमांशु की यूनिट से सीओ ने फोन पर उन्हें घटना की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि हिमांशु तीन साल पहले ही फौज में भर्ती हुआ था। हिमांशु ही उनका एकमात्र सहारा था। हिमांशु का एक छोटा भाई चंदन पूरी तरह से विकलांग है। जबकि एक ओर छोटे भाई विरेंद्र का हाथ टूटा हुआ है। हिमांशु ही परिवार का पालन पोषण करने वाला था।

दादी का दुलारा था हिमांशु

सात कुमाऊं रेजीमेंट का जवान हिमांशु अपनी 90 वर्षीय दादी सरुली देवी का दुलारा था। उसे अपनी दादी से बेहद लगाव था। उसकी दादी ने ही उसे पाला पोसा था। पौते की मौत की सूचना से दादी भी गुमशुम हो गई है। उसे अभी भी अपने पौते की मौत की सूचना पर विश्वास नहीं हो रहा है।

दरअसल हिमांशु के दादा जय सिंह भी फौज में थे। उनकी भी वर्ष 1980 में जून माह में ही ड्युटी के दौरान मौत हो गई थी। तब हिमांशु के पिता हीरा सिंह महज नौ माह के थे। हिमांशु की दादी ने पहले अपने बेटे और फिर अपने पौते की परवरिश की। हिमांशु की मौत की सूचना से दादी को भी आघात पहुंचा है। वह गुमशुम है और पौते की मौत की सूचना पर अभी भी उसे विश्वास नहीं हो रहा है।

45 दिन की छुट्टी पर आया तो सब से मिला हिमांशु

काशीपुर। जवान बेटे की मौत से आहत पिता हीरा सिंह नेगी ने बताया कि हिमांशु लॉकडाउन के दौरान 45 दिन की छुट्टी पर आया था। इस दौरान वह काशीपुर अपने रिश्तेदारों समेत अपने पैतृक गांव भी सभी से मिलने गया था। इसके बाद दो जून को वह वापस अपनी ड्यूटी पर चला गया। किसे पता था कि हिमांशु उनसे आखिरी बार मिल रहा है।

हिमांशु की मौत से परिवार पर आया आर्थिक संकट

सात कुमाऊं रेजीमेंट के जवान हिमांशु की मौत से परिवार पर आर्थिक संकट गहरा गया है। परिजनों के अनुसार गांव में हिमांशु के परिवार की जमीन नहीं के बराबर है। यहां भी एक मकान ही उनके नाम है। पिता मजदूरी करते हैं, लेकिन इतना बड़ा परिवार पालने में वह भी असमर्थ हैं। एक भाई पूरी तरह से विकलांग है। जबिक एक ओर छोटा भाई अभी कक्षा 11 में पढ़ता है। बहन भी कॉलेज में है। हिमांशु ही सभी का सहारा था। परिजनों के मुताबिक हिमांशु को अपनी बहन की शादी की भी चिंता थी। हिमांशु पर ही पूरे परिवार की आशा थी। लेकिन अब इस दुर्घटना में हिमांशु की मौत से पूरे परिवार पर आर्थिक संकट गहरा गया है।

 

 

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