पीलीभीत: प्रवक्ता नंद ने दिया गच्चा तो याद आए सपा के चाणक्य हाजी रियाज अहमद

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पीलीभीत, अमृत विचार। हाजी रियाज अहमद की कमी सपा की पीलीभीत जिला इकाई पर बहुत भारी पड़ी है। उनके न होने का खामियाजा पार्टी ने जिला पंचायत के चुनाव में भुगत लिया। हाजी रियाज अहमद के बाद जिले की सपा में दूसरे नंबर के नेता पूर्व मंत्री हेमराज वर्मा पर सपा मुखिया ने विश्वास जताया …

पीलीभीत, अमृत विचार। हाजी रियाज अहमद की कमी सपा की पीलीभीत जिला इकाई पर बहुत भारी पड़ी है। उनके न होने का खामियाजा पार्टी ने जिला पंचायत के चुनाव में भुगत लिया। हाजी रियाज अहमद के बाद जिले की सपा में दूसरे नंबर के नेता पूर्व मंत्री हेमराज वर्मा पर सपा मुखिया ने विश्वास जताया और जिला पंचायत का अध्यक्ष बनाने का जिम्मा उनके कंधों पर छोड़ दिया।

पूर्व मंत्री हेमराज वर्मा ने काफी हद तक सफलता भी हासिल की और स्वामी प्रवक्तानंद को अपने पाले में लाकर खड़ा कर दिया। यही नहीं सपा में शामिल करते हुए राष्ट्रीय अध्यक्ष की सहमति के बाद उन्हें पार्टी का प्रत्याशी भी घोषित करा दिया। लेकिन आखिरी वक्त में भाजपा नेताओं के दांव ने बाजी पलट दी और प्रवक्तानंद नाम वापस लेकर पुन: भाजपा में शामिल हो गए।

सही बात तो यह है कि समाजवादी पार्टी के वर्तमान नेता सोशल मीडिया व कार्यालय में बैठकर ही रणनीति तैयार करते रहे। यदि पार्टी ने अपने जीते प्रत्याशियों पर विश्वास जताया होता तो शायद यह स्थिति नहीं आती। यदि इस समय हाजी रियाज अहमद होते तो शायद दूसरी तस्वीर होती। वह प्रत्याशी तय करने से पहले जिला पंचायत सदस्यों की भावनाओं को सुनते और समझते। इतना ही नहीं आज की राजनीति की सबसे बड़ी आवश्यकता धन की पूर्ति करने के लिए भी प्रयास करते।

समाजवादी पार्टी नेताओं ने धन के एकत्रित करने का आश्वासन तो दिया लेकिन शून्य से आगे नहीं बढ़े। प्रवक्तानंद को प्रत्याशी बनाने पर संगठन के कुछ लोगों ने पहले आपत्ति भी जताई, लेकिन हेमराज वर्मा के अत्याधिक विश्वास पर वे लोग भी स्वामी जी के पक्ष में आ खड़े हुए। राजनीति में नौसिखियों ने डमी कैंडीडेट तक उतारना उचित नहीं समझा। सोमवार की रात ही सपाइयों को गच्चा देकर प्रवक्तानंद भाजपा की गोद में जा बैठे। सभी को मंगलवार को पीलीभीत की राजनीति के चाणक्य हाजी रियाज अहमद खूब याद आए। उनकी रणनीति, राजनीति को लेकर वे लोग भी सजदा करते दिखे जिनका किसी राजनीतिक दल से वास्ता नहीं है।

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