शिक्षकों की कमी से जूझ रहे राष्ट्रीय महत्व के उच्च शिक्षण संस्थान

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संजय सिंह, नई दिल्ली। केंद्रीय विश्व विद्यालयों तथा केंद्र सरकार द्वारा वित्तपोषित राष्ट्रीय स्तर के तकनीकी एवं प्रबंधकीय शिक्षा से संबंधित उच्च शिक्षण संस्थानों में शिक्षकों तथा गैर-शिक्षक कर्मचारियों की भारी कमी है। यहां शिक्षकों के 35 फीसद तथा गैर-शिक्षक कर्मचारियों के 38 फीसद पड़ रिक्त हैं। केंद्रीय विश्वविद्यालयों और आइआइटी, ट्रिपल आइटी तथा एनआइटी …

संजय सिंह, नई दिल्ली। केंद्रीय विश्व विद्यालयों तथा केंद्र सरकार द्वारा वित्तपोषित राष्ट्रीय स्तर के तकनीकी एवं प्रबंधकीय शिक्षा से संबंधित उच्च शिक्षण संस्थानों में शिक्षकों तथा गैर-शिक्षक कर्मचारियों की भारी कमी है। यहां शिक्षकों के 35 फीसद तथा गैर-शिक्षक कर्मचारियों के 38 फीसद पड़ रिक्त हैं।

केंद्रीय विश्वविद्यालयों और आइआइटी, ट्रिपल आइटी तथा एनआइटी जैसे राष्ट्रीय और केंद्र पोषित शिक्षण संस्थानों में शिक्षकों के 40,049 स्वीकृत पदों में 14,440 पद रिक्त हैं। जबकि इसके अलावा गैर-शिक्षक कर्मचारियों के 58,138 स्वीकृत पदों में 22,556 पद नियुक्तियों की बाट जोह रहे हैं।

अकेले जेएनयू जैसे केंद्रीय विश्व विद्यालयों में शिक्षकों के 18,352 स्वीकृत पदों में से 6,210 पद जबकि गैर शिक्षकों के 34,644 पदों में 12,437 पद खाली हैं। इसके अलावा राष्ट्रीय प्रद्योगिकी संस्थानों (आइआइटी) में 10,088 शिक्षक पदों में 3876 पर, गैर शिक्षक कर्मचारियों के 10,404 पदों में 4,182 पद खाली पड़े हैं।

इसी प्रकार ट्रिपल आइटी में शिक्षकों के 410 पदों में 163 पद तथा गैर-शिक्षकों के 372 पदों में 184 पद रिक्त हैं। यही हाल एनआइटी का है जहां शिक्षकों के 7,483 पदों में 2,736 जबकि अन्य कर्मचारियों के 7857 पदों में 3784 पद रिक्त हैं।

भारतीय प्रबंधन संस्थानों (आइआइएम) में शिक्षकों के 1,236 पदों में 934 पद जबकि गैर शिक्षक कर्मचारियों के 1801 पदों में 828 पड़ रिक्त हैं। भारतीय विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थानो (आइआइएसईआर) में शिक्षकों के 1,285 पदों में 137 तथा गैर शिक्षकों के 1285 पदों में 472 पद खाली पड़े हैं। स्कूल ऑफ प्लानिंग एंड आर्किटेक्चर (एसपीए) में शिक्षकों के 227 पदों में 68 एवं अन्य कर्मचारियों के 352 में 189 पद रिक्त हैं।

इसी तरह नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्निकल टीचर्स ट्रेनिंग एन्ड रिसर्च (एनआइटीटीआर) में टीचर के 205 पदों में 70 पद तथा नॉन टीचिंग स्टाफ के 645 पदों में 311 पद रिक्त भर्ती का इंतज़ार कर रहे हैं। इनके अलावा केन्द्रपोषित कुछ अन्य शिक्षण संस्थान भी हैं जहां शिक्षक के 733 पदों में 246 पद जबकि गैर-शिक्षक कर्मचारियों के 778 पदों में 169 पदों पर अरसे से नियुक्तियां नहीं हुई हैं।

केंद्रीय विश्वविद्यालय तथा केंद्र पोषित राष्ट्रीय शिक्षण संस्थान केवल फैकल्टी की कमी की समस्या से ही नहीं जूझ रहे हैं। बल्कि यहां अनुसूचित जाति, जनजाति तथा ओबीसी का प्रतिशत भी निर्धारित से काफी कम है। यहां अनुसूचित जाति के केवल करीब 10 फीसद, अनुसूचित जनजाति के 7 फीसद और ओबीसी के करीब 14 फीसद शिक्षक ही कार्यरत हैं।

शिक्षकों की कमी खासकर पर्वतीय राज्यों में स्थित संस्थानों ज्यादा है। जिसे दूर करने के लिए ये संस्थान कुछ हद तक तदर्थ नियुक्तियां करते हैं। साथ ही अनुबंध पर भी शिक्षकों तथा कर्मचारियों की भर्ती करते। सेवानिवृत्त शिक्षकों को अतिथि शिक्षक के तौर पर बुलाकर भी शिक्षकों की कमी दूर करने का प्रयास किया जाता है।

पिछले तीन सालों में उत्तराखंड समेत 19 पर्वतीय व पूर्वोत्तर राज्यों में पीएचडी व एमफिल पास 1700 पूर्व छात्रों को अनुबंध के आधार पर शिक्षण कार्य में लगाया गया है। लेकिन स्थायी नियुक्ति के अभाव में इन संस्थानों के स्तर में गिरावट देखी जा रही है।
देश में 54 केंद्रीय विश्वविद्यालय, 23 आइआइटी, 25 ट्रिपल आइटी, 20 आइआइएम, 12 एनआइटीटीआर, 7 आइआइएसीआर तथा 3 एसपीए हैं। इसके अलावा एसएलआइईटी, एनईआरआइएसटी, आइआइएससी, एनआइएफफटी जैसे कुछ तकनीकी व विज्ञान शिक्षा के अन्य महत्वपूर्ण संस्थान भी हैं जो केंद्र सरकार की सहायता से चलते हैं।

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