अल्मोड़ा: डीएनए जांच के खुलासे पर बोली मां- “लॉकडाउन में दाने-दाने के लिए मोहताज हो गए थे, इसलिए अपने मासूम लाल को खेत में फेंक दिया”
अल्मोड़ा, अमृत विचार। कहते हैं कि मां की ममता से इस दुनिया में कोई बड़ी चीज नहीं है, लेकिन जब मां की यही ममता क्रूरता में बदल जाए तो नियति की इससे बड़ी हद कुछ नहीं हो सकती। कोरोना महामारी के दौरान एक मां को नियति के सामने कुछ ऐसा मजबूर होना पड़ा कि उसने …
अल्मोड़ा, अमृत विचार। कहते हैं कि मां की ममता से इस दुनिया में कोई बड़ी चीज नहीं है, लेकिन जब मां की यही ममता क्रूरता में बदल जाए तो नियति की इससे बड़ी हद कुछ नहीं हो सकती। कोरोना महामारी के दौरान एक मां को नियति के सामने कुछ ऐसा मजबूर होना पड़ा कि उसने अपने एक माह के नवजात को खेत में फेंक दिया। डीएनए टेस्ट के बाद खुलासा होने पर मां को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। जिसके बाद अपनी कहानी बताते हुए मां ने बताया कि लॉकडाउन में पति की नौकरी चले जाने पर दाने-दाने के लिए वे मोहताज हो गए थे, इसलिए अपने ही जिगर के टुकड़े को मजबूरी में फेंक दिया।
मामला बीते वर्ष का है। जब 27 जुलाई 2020 को लमगड़ा कस्बे से लगे एक गांव में ग्रामीणों को गांव से कुछ दूरी पर खेत में एक नवजात पड़ा हुआ दिखाई दिया। ग्रामीणों ने पास जाकर देखा तो नवजात जीवित अवस्था में था। ग्रामीणों की सूचना पर मौके पर पहुंची पुलिस ने नवजात बच्चे को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र लमगड़ा पहुंचाया, जहां से उसे महिला अस्पताल अल्मोड़ा को रेफर किया गया। लेकिन हालत खराब होने के कारण महिला अस्पताल से भी नवजात को हायर सेंटर एसटीएच हल्द्वानी रेफर कर दिया गया। हल्द्वानी में उपचार के दौरान कुछ दिनों के बाद नवजात ने दम तोड़ दिया।
पुलिस ने इस मामले में लमगड़ा थाने में इस मामले में अज्ञात के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया। मामले की जांच चौकी प्रभारी जैंती देवेंद्र राणा को सौंपी गई। जांच में जो बात सामने आई, वह किसी रूह कंपा देने वाली बात से कम नहीं थी। नवजात को खेत में फेंकने वाली कोई नहीं बल्कि उसकी मां निकली। थानाध्यक्ष लमगड़ा सुनील बिष्ट ने बताया कि डीएनए टेस्ट में आरोपी महिला ही नवजात की जैविक माता पाई गई। विवेचना के दौरान सामने आए तथ्यों के बाद पुलिस ने इस कलयुगी मां को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है।
आखिर क्या थी मजबूर मां की मजबूरी
वक्त और हालात ने एक मां को इतना बेबस कर दिया कि उसे अपने मासूम नवजात को खेत में फेंकना पड़ा । ऐसा करते वक्त उसने अपने सीने पर पत्थर जरूर रखा होगा। क्योंकि किसी भी मां के लिए इससे बुरा वक्त कुछ हो भी नहीं सकता। लमगड़ा ब्लॉक की इस मां ने बताया कि उसका पति एक होटल में काम करता था, लेकिन लॉकडाउन के कारण वह पिछले एक साल से घर पर खाली था। परिवार पेट पालने के लिए दाने-दाने का मोहताज हो गया था। पहले से ही घर में एक बेटे और दो बेटियों का पालना मुश्किल हो रहा था। आर्थिक तंगी इस कदर छा गई थी कि उसने नवजात को पालने से बेहतर उसे खेत में फेंकना उचित समझा।
