चिंता बढ़ाता डेल्टा प्लस
देश में एक तरफ जहां कोरोना की दूसरी लहर थमती नजर आ रही है, वहीं कोरोना के नए स्वरूप डेल्टा प्लस के बढ़ते मामले चिंता का विषय बने हुए हैं। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने बुधवार को बताया कि महाराष्ट्र, केरल और मध्य प्रदेश में ‘डेल्टा प्लस’ स्वरूप (वेरिएंट) के लगभग 40 मामले सामने आए हैं। …
देश में एक तरफ जहां कोरोना की दूसरी लहर थमती नजर आ रही है, वहीं कोरोना के नए स्वरूप डेल्टा प्लस के बढ़ते मामले चिंता का विषय बने हुए हैं। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने बुधवार को बताया कि महाराष्ट्र, केरल और मध्य प्रदेश में ‘डेल्टा प्लस’ स्वरूप (वेरिएंट) के लगभग 40 मामले सामने आए हैं।
महाराष्ट्र ने प्रत्येक ज़िले से 100 नमूनों की जीनोम सिक्वेंसिंग की है। वहां 15 मई से अब तक 7,500 नमूने लिए गए हैं जिनमें डेल्टा प्लस के लगभग 21 मामले पाए गए हैं। तीनों राज्यों में सतर्कता बढ़ाने और जन स्वास्थ्य संबंधी उचित कदम उठाने की सलाह दी गई है। डेल्टा प्लस वेरिएंट के मरीजों का मिलना देश के लिए एक चुनौती है।
चिंता की वजह इसलिए है कि यह नया वेरिएंट उसी डेल्टा वेरिएंट का नया रूप है जिसे देश में कोरोना की दूसरी लहर में कहर ढाने के लिए ज़िम्मेदार माना जाता है। देश में जब दूसरी लहर अपने शिखर पर थी तो हर रोज़ चार लाख से भी ज्यादा संक्रमण के मामले रिकॉर्ड किए जा रहे थे। देश में छह मई को सबसे ज्यादा चार लाख 14 हज़ार केस आए थे। यह वह समय था जब देश में अस्तपाल बेड, दवाइयां और ऑक्सीजन जैसी सुविधाएं भी कम पड़ गई थीं।
खतरनाक वेरिएंट डेल्टा प्लस ने विश्व के कई देशों में आतंक मचाया हुआ है। डेल्टा प्लस वेरिएंट भारत के अलावा, अमेरिका, ब्रिटेन, पुर्तगाल, स्विट्जरलैंड, जापान, पोलैंड, नेपाल, चीन और रूस में मिला है। ब्रिटेन में तीसरी लहर के अब तक 75 हजार मामले सामने आ चुके हैं। वैज्ञानिकों ने कोरोना के इस वेरिएंट को सबसे घातक बताया है।
वैज्ञानिक इसे सुपर स्प्रेडर करार दे रहे हैं। डेल्टा प्लस वेरिएंट से संक्रमित होने वाले मरीजों के तेजी से गंभीर होने की बात सामने आई है। डेल्टा के जरिए दो से तीन प्रतिशत मामले ही गंभीर अवस्था में पहुंचते थे। लेकिन डेल्टा प्लस वेरिएंट में तेजी से गंभीर होने वाले मरीजों की संख्या 12 से 14 फीसदी आंकी गई है। यह वायरस तीन दिन के अंदर गले से फेफड़े तक पहुंच उसे संक्रमित करता है।
जानना जरूरी है कि कोरोना की नई लहर इसलिए आती है, क्योंकि वायरस घूम रहा है। ऐसे में अगर वायरस रूप बदल देता है तो दिक्कत हो जाती है। वैक्सीन के जरिए ही संवेदनशीलता को बदल सकते हैं। ब्रिटेन में हुई एक शोध की माने तो वैक्सीन की पहली डोज डेल्टा प्लस वैरिएंट में 23 प्रतिशत सुरक्षा कवच का निर्माण करती है जबकि दोनों डोज 70 प्रतिशत तक सुरक्षा कवच निर्मित कर सकते हैं।
