बरेली: संक्रमण काल में खूब बिकीं अवसादरोधी दवाएं

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बरेली, अमृत विचार। महामारी काल ने जहां लोगों के स्वास्थ्य पर असर पड़ा, तो दूसरी तरफ आर्थिक चोट से भी लगभग हर वर्ग जूझा। लिहाजा महामारी की दूसरी लहर में एक बार फिर लोग मानसिक बीमारियों से घिरने लगे हैं। मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने चौकाने वाला खुलासा किया है। उन्होने पाया कि कि देश में …

बरेली, अमृत विचार। महामारी काल ने जहां लोगों के स्वास्थ्य पर असर पड़ा, तो दूसरी तरफ आर्थिक चोट से भी लगभग हर वर्ग जूझा। लिहाजा महामारी की दूसरी लहर में एक बार फिर लोग मानसिक बीमारियों से घिरने लगे हैं। मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने चौकाने वाला खुलासा किया है। उन्होने पाया कि कि देश में कोरोना वायरस की घातक दूसरी लहर के बाद से लोग पहले से 20 फीसदी अधिक अवसाद रोधी दवाइयों का इस्तेमाल कर रहे हैं।

आंकड़ों बता रहे हैं कि अप्रैल 2019 में 189.3 करोड़ की अवसाद रोधक दवाएं बिकीं। जून में यह आंकड़ा 172. 1 करोड़ पर पहुंच गया। जुलाई 2020 में 196.9 करोड़ और अक्तूबर 2020 में 210.7 करोड़ रुपए की एंटीडिप्रेसेंट दवाएं बिकीं। अप्रैल 2021 में 217.9 करोड़ की बिक्री के साथ यह आंकड़ा 20 फीसद की बढ़ोतरी पर पहुंच गया।

बरेली जनपद के दवा व्यापारियों की माने तो इमीपिरामिन, फ्लूक्सोटिन, एमीट्रिपटेलीन, पैरोक्सीटिन, एससिटेलोप्राम, सरट्रालिन, सिटेलोप्राम, एरिपिप्राजोल जैसी दवाओं की बिक्री में अचानक से उछाल आया है। लोग इन दवाओं को खरीदने के लिए आ रहे हैं। हालांकि उन्होने बताया कि इन दवाओं को विशेषज्ञ डाक्टर की सलाह पर ही लिया जा सकता है।

बिना डाक्टर की सलाह के इन दवाओं का सेवन बेहद घातक है। लाइफ आर्ट विशेषज्ञों की माने तो मानसिक अवसाद से बचने के लिए योग और व्यायाम का सहारा लेना चाहिए। जितना हो सके दवाओं से बचना चाहिए।

आर्थिक चोट पहुंचने से बढ़े रोगी
मनकक्ष प्रभारी डॉ. आशीष कुमार ने बताया कि कोरोना की वजह से बहुत सारे लोगों ने अपनो को खोया, बहुत सारे लोगों को आर्थिक चोट पहुंची है। ऐसे में लोग मानसिक अवसाद से घिर रहे हैं, लेकिन लोगों को इन अवसाद रोधी दवाओं का सेवन विशेषज्ञ चिकित्सक के परामर्श पर ही करना चाहिए।

इनकी भी सुनें
इमीपिरामिन, फ्लूक्सोटिन, एमीट्रिपटेलीन, पैरोक्सीटिन आदि अवसाद रोधी दवाओं की बिक्री में बढ़ोतरी हुई है। लोगों से अनुरोध है कि बिना डाक्टरी सलाह के इनका सेवन बिल्कुल न करें। -दुर्गेश खटवानी,महानगर अध्यक्ष, केमिस्ट एसो.

दूसरी लहर भले ही कम हुई है। लेकिन बहुत सारे लोग अभी भी मानसिक अवसाद में हैं। दवाएं सेरोडिन, डोपामिन, ऑक्सीटोसिन जैसे हारमोन बढ़ा तो देती हैं लेकिन इनके अपने नुकसान हैं। मानसिक अवसाद से न घिरें इसलिए लोगों को नियमित रूप से योग, व्यायाम आदि करना चाहिए। -विशेष कुमार, लाइफ आर्ट एक्सपर्ट

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