बरेली: मंजा में ‘ग्राम्य वन’ बसाना नहीं आसान, कब्जेदार गए कोर्ट

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बरेली, अमृत विचार। बरेली के मानचित्र पर ग्राम मंजा में ‘ग्राम्य वन’ को बसाना इतना आसान नहीं है। कई सालों से कब्जे की करीब 2200 बीघा भूमि को मुक्त कराने के बाद भी अड़चनें कम नहीं हुई हैं। कुछ कब्जेदार कोर्ट चले गए। कोर्ट में मामला पहुंचने से जमीन पर होने वाले कार्य रोक दिए …

बरेली, अमृत विचार। बरेली के मानचित्र पर ग्राम मंजा में ‘ग्राम्य वन’ को बसाना इतना आसान नहीं है। कई सालों से कब्जे की करीब 2200 बीघा भूमि को मुक्त कराने के बाद भी अड़चनें कम नहीं हुई हैं। कुछ कब्जेदार कोर्ट चले गए। कोर्ट में मामला पहुंचने से जमीन पर होने वाले कार्य रोक दिए गए हैं। कई ग्रामीणों ने करीब 10 बीघा जमीन पर किए गए गड्ढों को पाटकर कब्जे की कोशिश की है।

हालांकि थाना कैंट में कब्जा करने वालों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज करायी गयी है, लेकिन मामला कोर्ट में जाने से अधिकारी भी परेशान दिख रहे हैं। इधर, एसडीएम सदर विशु राजा ने बताया कि कई कब्जेदार यह कहते कोर्ट गए हैं कि इस भूमि पर उन्हें पट्टे आवंटित किए गए थे। जबकि नदी किनारे की भूमि पर पट्टे आवंटित नहीं हुए थे। कोर्ट में तहसील सदर ने अपना पक्ष रखा है।

नंबर-ग्राम्य वन के उद्घाटन मौके पर नक्शे में ग्राम्य वन की खूबियां बताते वन विभाग के अधिकारी। फाइल फोटो

मालूम हो कि क्यारा ब्लॉक के राजस्व ग्राम मुंतजा उर्फ मंजा में करीब 2200 बीघा जमीन पर फरवरी में ग्राम्य वन बसाने की तैयारी शुरू हुई थी। जिलाधिकारी नितीश कुमार ने ग्राम्य वन को प्रदेश का सबसे बड़ा होने का दावा करते हुए इसे ईको पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने की योजना बनायी थी। यहां प्राकृतिक छटा को नई तकनीक से निखारने, भूमि संरक्षण के साथ ही स्थानीय पर्यावरणीय स्थितियों के अनुरूप पौधे रोपने की योजना थी।

अगले पांच वर्षों में ग्राम्य वन में एक लाख 85 हजार पौधे रोपने के साथ यहां पर सरोवर, मिनी गौशाला, लैंडस्केप, वाकिंग ट्रैक और उद्यान भी विकसित करना है। 10 हेक्टेयर में मियांवाकी पैटर्न पर पौधरोपण करने और बीच में एक वॉकिग ट्रैक भी बनाना है। बरेली मुख्यालय से 18 किमी दूर क्यारा ब्लॉक में ग्राम्य वन विकसित किया जा रहा है। वन विभाग, भूमि सरंक्षण अधिकारी, मत्स्य विभाग, सिंचाई विभागों की टीमों ने एक दिन पहले ही जमीन का सर्वे पूरा कर लिया है। बता दें कि तत्कालीन एसडीएम सदर आईएएस ईशान प्रताप सिंह ने इस भूमि से अतिक्रमण से हटवाया था।

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