चीन के विरुद्ध एकजुट

Amrit Vichar Network
Published By Amrit Vichar
On

दुनिया में चीन का व्यावसायिक दबदबा बढ़ा है। ब्रिटेन में हुए जी-7 समिट के दौरान सदस्य देशों में चीन की आर्थिक चुनौतियों को लेकर चिंता दिखी। जी-7 दुनिया की सात सबसे बड़ी कथित विकसित और उन्नत अर्थव्यवस्था वाले देशों का समूह है। कोरोना वायरस की उत्पत्ति से लेकर शिनजियांग और हांगकांग में मानवाधिकार अधिकारों के …

दुनिया में चीन का व्यावसायिक दबदबा बढ़ा है। ब्रिटेन में हुए जी-7 समिट के दौरान सदस्य देशों में चीन की आर्थिक चुनौतियों को लेकर चिंता दिखी। जी-7 दुनिया की सात सबसे बड़ी कथित विकसित और उन्नत अर्थव्यवस्था वाले देशों का समूह है। कोरोना वायरस की उत्पत्ति से लेकर शिनजियांग और हांगकांग में मानवाधिकार अधिकारों के उल्लंघन तक चीन की आलोचना की गई।

चीन की विस्तारवादी नीति को लेकर भारत से लेकर अमेरिका तक चिंतित है। इसी चिंता के मद्देनजर शिखर सम्मेलन में चीन के बढ़ते कदमों को रोकने पर विचार किया गया। वैसे यह पहला मौका नहीं है, जब पश्चिमी देश इस तरह चीन के खिलाफ एकजुट हो रहे हैं। इससे पहले साल की शुरुआत में, अमेरिका, यूरोपीय यूनियन, ब्रिटेन और कनाडा ने चीन पर समन्वित प्रतिबंध लगाये थे जिसमें यात्रा-प्रतिबंध और संपत्ति फ्रीज़ करना शामिल था।

अमेरिकी प्रतिनिधियों ने जी-7 की बैठक में विश्व भर में चीन के बढ़ते प्रभुत्व की सबसे ज्यादा चर्चा की। दलील दी गई कि चीन जिस तरीक़े से विकासशील देशों में करोड़ों डॉलर ख़र्च कर रहा है, पश्चिमी देशों को उसके बारे में कुछ सोचना चाहिए और उसकी जवाबी रणनीति तैयार करनी चाहिए। आरोप लगाए गए कि चीन शिनजियांग के अल्पसंख्यक वीगर मुसलमानों से ज़बरन श्रम करवा रहा है और निवेश के अपने तरीकों से निष्पक्ष प्रतिस्पर्धा को बाधित किया है।

यह सही है कि चीन की बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (बीआरआई) ने कई देशों में ट्रेनों, सड़कों और बंदरगाहों को सुधारने के लिए आर्थिक मदद की है, लेकिन इस बात को लेकर चीन की आलोचना भी होती रही है कि उसने कुछ देशों को कर्ज में दबाने के बाद, उन पर प्रभुत्व जमाने की कोशिश भी की। भारत के पड़ोसी पाकिस्तान, श्रीलंका और नेपाल इसका उदाहरण हैं। ब्रिटेन में हुए इस शिखर सम्मेलन में उठी बातों से चीन बुरी तरह चिढ़ गया है।

चीन ने कहा, ‘वह समय काफी पहले बीत गया, जब देशों के छोटे समूह वैश्विक फैसले लिया करते थे। चीन की यह प्रतिक्रिया बताती है कि उसे आसानी से घेरा नहीं जा सकता। अब देखने वाली बात ये है कि क्या स्वतंत्रता और मानवाधिकार की बातें केवल कुछ संपन्न देशों के लिए हैं या दुनिया के छोटे देशों को इन तक पहुंच की पूरी छूट दी जाएगी। जी-7 देश चीन के खिलाफ अपनी पहल को अंजाम तक पहुंचाने के लिए क्या रणनीति बनाते हैं और उनमें दुनिया की मध्यम या लघु अर्थव्यवस्था वाले देशों को किस तरह इस्तेमाल करते हैं।