बरेली: साहब…बच्चे भूखे हैं, खाने का इंतजाम करा दो
अमृत विचार, बरेली। जब दुधमुही बच्चे के साथ छोटे-छोटे तीन और बच्चे भूख से तड़पे तो पिता छटपटाने लगा। वह किसी तरह से अपने बच्चों का पेट भरना चाहता था। मगर मजबूरी थी कि न घर में राशन था और न ही जेब में पैसे थे। आखिर बच्चों को खिलाए भी तो क्या। मदद मांगने …
अमृत विचार, बरेली। जब दुधमुही बच्चे के साथ छोटे-छोटे तीन और बच्चे भूख से तड़पे तो पिता छटपटाने लगा। वह किसी तरह से अपने बच्चों का पेट भरना चाहता था। मगर मजबूरी थी कि न घर में राशन था और न ही जेब में पैसे थे। आखिर बच्चों को खिलाए भी तो क्या। मदद मांगने के लिए आस-पड़ोस में भी गया लेकिन वह पहले से अपने हालातों से जूझ रहे थे।
लाकडाउन की वजह से उससे कोई मजदूरी भी नहीं करा रहा था। जिससे कुछ पैसे मिलें और बच्चों के लिए राशन आए। जब हर जगह से उम्मीद टूटी तो मजबूरी में माता-पिता ने चाइल्ड लाइन की मदद ली और फोन कर राशन की मांग की। फोन आने पर चाइल्ड लाइन ने करेली में रह रहे व्यक्ति के पास पहुंचकर उसे राशन उपलब्ध कराया।
करेली के रहने वाले अमर सिंह बीते एक वर्ष से बीमार चल रहे हैं। उन्हें हर्निया की बीमारी है। वह पत्नी वर्षा और चार बच्चों के साथ एक छोटे से घर में रहते हैं। अमर सिंह किसी तरह मेहनत मजदूरी करके अपने परिवार की गुजर बसर कर रहे थे, लेकिन लॉकडाउन की वजह से वह घर पर ही हैं। कोई भी मजदूरी को नहीं बुला रहा है। कई जगहों पर काम मांगने की भी गए तो लोगों ने कोरोना का हवाला देते हुए काम कराने से इनकार कर दिया। लाकडाउन से पहले घर में जो राशन और पैसे थे, उससे अब तक का समय कट गया।
शनिवार को उनके हालात यह हो गए कि उनके घर में न राशन था न ही उसे खरीदने के लिए पैसे। सुबह से जब शाम होने को आई तो बच्चे भूख से तड़पने लगे। किसी तरह उन्हें चाइल्ड लाइन का नंबर मिल गया। उन्होंने उस पर फोन कर राशन की गुहार लगाई। कहा कि उनके बच्चे भूख से तड़प रहे है। उनकी मदद कर दो।
चाइल्ड लाइन की टीम ने निदेशक अनीस अहमद के नेतृत्व में अमर सिंह के परिवार को राशन मुहैया कराया। जिसमें उन्होंने आटा, चावल, तेल, मसाले, सब्जी आदि चीजें दी। इससे शनिवार शाम को अमर सिंह का परिवार भूखें सोने से बच गया। चाइल्ड लाइन की तरफ से इस मौके पर टीम काउंसलर सौरभ, टीम सदस्य रिया और रवि गंगवार मौजूद रहे।
