कोरोना को है हराना: सूचना विभाग के कनिष्ठ लिपिक ने अपनी इच्छाशक्ति से दी कोरोना को मात

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हल्द्वानी, अमृत विचार। आज के हमारे कोरोना योद्धा हैं 53 वर्षीय मोहन चंद्र जोशी। जोशी ने होम आईसोलेशन में रहते हुए सुबह योग, हल्के व्यायाम, नियमित खानपान और सोशल साइट्स पर वायरल कॉमेडी वीडियो देखकर आईसोलेशन अवधि से पहले ही कोविड-19 महामारी को मात दे दी। उनका कोरोना से जंग में मंत्र है कि कोरोना …

हल्द्वानी, अमृत विचार। आज के हमारे कोरोना योद्धा हैं 53 वर्षीय मोहन चंद्र जोशी। जोशी ने होम आईसोलेशन में रहते हुए सुबह योग, हल्के व्यायाम, नियमित खानपान और सोशल साइट्स पर वायरल कॉमेडी वीडियो देखकर आईसोलेशन अवधि से पहले ही कोविड-19 महामारी को मात दे दी। उनका कोरोना से जंग में मंत्र है कि कोरोना संक्रमित हुए तो क्या हुआ.. पड़ोसी मुंह फेरेंगे, परिचित नहीं आएंगे। कोई बात नहीं डॉक्टर के परामर्श से काम करना चाहिए ‘क्योंकि जान है तो जहान है’।

गौलापार के रहने वाले मोहन चंद्र जोशी सूचना विभाग के हल्द्वानी स्थित मीडिया सेंटर  में कनिष्ठ लिपिक के पद पर तैनात हैं। उन्हें बीती 14 अप्रैल को हल्का और 15 अप्रैल को 101 डिग्री सेल्सियस बुखार आया। 16 अप्रैल को वह एंटीजन टेस्ट में कोविड-19 पॉजिटिव मिले। इसके बाद वह आरटीपीसीआर टेस्ट के लिए सैंपलिंग देने गए। यहां से उन्होंने घर वालों को फोन कर दिया और दो हफ्तों के लिहाज से जरूरी वस्तुएं व्यवस्थित करने को कहा। घर पहुंचते ही अलग कमरे में आईसोलेट हो गए।

उन्होंने कहा कि पहाड़ में कहते हैं कि छूत लग गई, बस वैसे ही खुद को कमरे में रखा। किसी से बातचीत नहीं। कमरा बंद था। सुबह पांच बजे उठता, फिर काढ़ा पी कर कमरे में योग, हल्का व्यायाम करता। उनका कहना है कि बेशक उन्हें 103 डिग्री सेल्सियस बुखार हुआ, लेकिन उन्होंने दिनचार्य नहीं बिगड़ने दी। छह-सात दिन बाद उनकी तबीयत में सुधार होने लगा। वह 10-12 दिनों में ही फिट हो गए, लेकिन उन्होंने लापरवाही नहीं की। उन्होंने 14 दिनों का आईसोलेशन अवधि पूरी की। तब तक घरवालों से फोन पर या दरवाजे के दूसरी तरफ से बात करते थे। हालांकि इस दौरान उन्होंने डॉक्टर के परामर्श का पालन किया। उन्होंने कहा कि कोरोना महज एक बीमारी है, यदि हम सकारात्मक सोच, नियमित दिनचर्या का पालन करें तो इस बीमारी को आसानी से मात दी जा सकती है।

कोरोना संक्रमित को बंधाया ढांढस

एमसी जोशी बताते हैं कि जब वह बीती 15 अप्रैल को एंटीजन टेस्ट कराने गए थे तो उस दौरान तीन-चार लोगों की रिपोर्ट पॉजिटिव आई। इनमें रिपोर्ट पॉजिटिव सुनते ही एक सज्जन अचेत हालत में गिर गए तो उन्होंने सज्जन को उठाया और समझाया कि इस बीमारी से नहीं मानसिक दबाव से बचने की जरूरत है। चूंकि वे दोनों कोरोना संक्रमित थे इसलिए उन्हें कोई परेशानी नहीं हुई।

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