बनबसा: कोरोना की लहर ने छीना काम-धंधा, जीना हुआ मुश्किल

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बनबसा, अमृत विचार। नेपाल के महेंद्रनगर में फल बेचकर जैसे-तैसे परिवार चला रहे थे, लेकिन कोरोना की दूसरी लहर ने सब चौपट कर दिया। अब नेपाल में लाॅकडाउन लगने की वजह से वहां खाने को भी मोहताज होना पड़ रहा है। इस कारण अपने घर पीलीभीत जा रहे हैं। यह कहना था पीलीभीत के व्यापारी …

बनबसा, अमृत विचार। नेपाल के महेंद्रनगर में फल बेचकर जैसे-तैसे परिवार चला रहे थे, लेकिन कोरोना की दूसरी लहर ने सब चौपट कर दिया। अब नेपाल में लाॅकडाउन लगने की वजह से वहां खाने को भी मोहताज होना पड़ रहा है। इस कारण अपने घर पीलीभीत जा रहे हैं। यह कहना था पीलीभीत के व्यापारी हरीश गुप्ता का, जो परिवार के सदस्य अंकित गुप्ता, कमलेश गुप्ता, राहुल, विजय के साथ नेपाल के महेंद्रनगर से पैदल करीब 14 किमी चलकर बनबसा पहुंचे और बस के इंतजार में बस अड्डे पर बैठ गए।

हरीश गुप्ता ने बताया कि वह परिवार के साथ महेंद्रनगर में रहकर फल बेचने का काम करते थे। इससे उनकी जो भी आजीविका होती थी, उसी से उनका घर चलता था, लेकिन कोरोना की वजह से नेपाल में भी लाॅकडाउन लगने से सभी दुकानें बंद हो गई। उनका कारोबार तो रोजमर्रा की वस्तुओं की तरह ही है, एक दिन भी दुकान नहीं खुलने पर माल खराब होने का खतरा अधिक रहता है। अभी तक किसी तरह नुकसान झेल रहे थे, लेकिन अब तक लाॅकडाउन लंबा लगने से कारोबार चौपट हो गया और जब कारोबार ही नहीं बचेगा तो दूसरे देश में हमें रोटी भी कौन देगा। इस कारण घर लौटने के अलावा उनके पास कोई विकल्प नहीं बचा है।

उत्तर प्रदेश के पीलीभीत में उनका घर है, जहां उनके अन्य रिश्तेदार भी रहते हैं। किसी प्रकार की दुख-तकलीफ में वो लोग साथ तो देंगे। यही सोचकर वे लोग घर जा रहे हैं। हालांकि, वहां खेती-बाड़ी नहीं है जो खाने का जुगाड़ हो जाएगा। फिलहाल, अब जैसा ही भी होगा देखा जाएगा।

उधर, सीमांत क्षेत्र बनबसा में भी रविवार को पूर्ण कर्फ्यू रहा। मेडिकल स्टोरों को छोड़कर बाकी सभी दुकानें बंद रहीं। मेडिकल की दुकानें पर दवाएं लेने वालों का पूरे दिन आना-जाना लगा रहा।

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