एक और आतंकी मुठभेड़

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शुक्रवार को जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा बलों व आतंकवादियों के बीच हुई मुठभेड़ से स्पष्ट हो गया है कि घाटी में हताश व निराश आतंकवादी संगठन व पाकिस्तानी एजेंसियां कुछ समय से जारी शांति को खत्म करने की कोशिश लगातार कर रही हैं। उन्होंने घनी आबादी वाले क्षेत्रों में भी घुसपैठ बना ली है। शुक्रवार को …

शुक्रवार को जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा बलों व आतंकवादियों के बीच हुई मुठभेड़ से स्पष्ट हो गया है कि घाटी में हताश व निराश आतंकवादी संगठन व पाकिस्तानी एजेंसियां कुछ समय से जारी शांति को खत्म करने की कोशिश लगातार कर रही हैं। उन्होंने घनी आबादी वाले क्षेत्रों में भी घुसपैठ बना ली है।

शुक्रवार को दक्षिण कश्मीर के शोपियां में घनी आबादी वाले मोहल्ला की एक स्थानीय मस्जिद में घुसे आंतकवादियों और सुरक्षा बलों के बीच हुई मुठभेड़ में पांच आतंकवादी मारे गए, जबकि एक जवान शहीद हो गया। सुरक्षा बलों के मजबूत सूचना तंत्र के चलते आतंकवादियों की मौजूदगी की सूचना मिलने के बाद तलाशी अभियान शुरू किया गया था।

अभियान के दौरान जब सुरक्षा बल आतंकवादियों की ओर बढ़ रहे थे तो वहां छिपे आतंकवादियों ने गोलियां चलानी शुरू कर दी जिसके बाद मुठभेड़ हुई। आतंकवादियों की तैयारी जबरदस्त थी, इसी से उन्होंने आत्मसमर्पण करने से इन्कार कर दिया। साफ है कि पकिस्तान घुसपैठियों और आतंकवादियों के जरिए भारत को अस्थिर करने की अपनी कोशिशों से बाज नहीं आ रहा है। घटना से साफ है कि पाकिस्तान स्थित ठिकानों से गतिविधियां संचालित करने वाले आतंकी संगठन हिजबुल व लश्कर और उनके आकाओं का मकसद आम नागरिकों के बीच घुसपैठ बना बड़ी आतंकी गतिविधियों को अंजाम देना था।

पिछले काफी समय से जम्मू-कश्मीर के मुद्दे पर अंतरराष्ट्रीय समर्थन जुटाने की पाकिस्तान की कोशिश बुरी तरह विफल रही है। हताश आतंकवादी संगठन व उनके पाकिस्तानी आका हर स्तर पर अलग-थलग पड़ चुके हैं। अब पाकिस्तानी सत्ता-तंत्र प्रशिक्षित आतंकवादियों को जम्मू-कश्मीर में भेजकर कमजोर पड़े आतंकवादी संगठनों में नई जान फूंकना चाहता है। पाकिस्तानी एजेंसियों की तरफ से लगातार कोशिश रही है कि कश्मीर घाटी में आतंकवाद को बढ़ावा दिया जाए। आज घरेलू व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पाकिस्तान कई तरह के दबावों से हैरान-परेशान है। इसलिए हमें भी इस चुनौती का मुकाबला करने के लिए सैन्य व राजनीतिक स्तर पर अपनी रणनीति में बदलाव करते हुए सतर्क रहना होगा।

हालांकि राज्य में सुरक्षा बलों की मुस्तैदी के चलते आतंकवाद के विरुद्ध लगातार कार्रवाई की जा रही है। इस साल जनवरी से अब तक हुई दस मुठभेड़ों में 20 आतंकवादी मारे गए हैं। हर स्तर पर लोकतंत्र को मजबूत करने के लिए काम हो रहा है। अब समय आ गया है साफ संदेश देना होगा कि पाकिस्तान ने अपने रवैये में सुधार नहीं किया तो इस आग का खामियाजा उसे खुद भी भुगतना होगा।