सरकार ने किया 1971 के कानून में बदलाव, स्वास्थ्यकर्मियों का नियमन करने वाला विधेयक राज्यसभा में पारित
नई दिल्ली। विभिन्न रोगों के उपचार में चिकित्सकों का सहयोग करने वाले स्वास्थ्यकर्मियों और देखभाल करने वाले पेशेवरों की शिक्षा तथा प्रेक्टिस का नियमन और मानकीकरण करने से संबंधित विधेयक राष्ट्रीय सहबद्ध और स्वास्थ्य देख रेख वृति आयोग विधेयक 2021 मंगलवार को राज्य सभा में ध्वनिमत से पारित कर दिया गया। इसके जरिए 1971 के …
नई दिल्ली। विभिन्न रोगों के उपचार में चिकित्सकों का सहयोग करने वाले स्वास्थ्यकर्मियों और देखभाल करने वाले पेशेवरों की शिक्षा तथा प्रेक्टिस का नियमन और मानकीकरण करने से संबंधित विधेयक राष्ट्रीय सहबद्ध और स्वास्थ्य देख रेख वृति आयोग विधेयक 2021 मंगलवार को राज्य सभा में ध्वनिमत से पारित कर दिया गया। इसके जरिए 1971 के कानून में बदलाव किया जाएगा।
स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री डा. हर्षवर्धन ने सदन में विधेयक पर संक्षिप्त चर्चा का उत्तर देते हुए कहा कि इसमें विभिन्न बीमारियों के उपचार और निदान में सहयोग करने वाले स्वास्थ्यकर्मियों को परिभाषित कर उनकी शिक्षा और प्रेक्टिस के नियमन तथा मानकीकरण का प्रावधान किया गया है। उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य देखभाल और उपचार से जुड़े 56 क्षेत्रों के स्वास्थ्यकर्मियों तथा सहबद्ध कर्मचारियों को इस विधेयक के दायरे में लाया गया है। इनके नियमन के लिए दस पेशेवर परिषदों का गठन करने का प्रावधान विधेयक में किया गया है। इसके साथ ही सभी पेशेवरों के पंजीकरण को भी जरूरी बनाया गया है।
उन्होंने कहा कि सहबद्ध कर्मियों के लिए संबंधित डिग्री लेना जरूरी होगा, जिसमें दो से चार वर्ष की अवधि के दौरान उन्हें दो हजार घंटे शिक्षा लेनी होगी। इसके साथ ही स्वास्थ्य पेशेवर को भी तीन से छह वर्ष की अवधि में संबद्ध डिग्री लेनी होगी जिसमें 3600 घंटे की शिक्षा अनिवार्य होगी।
स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि इन स्वास्थ्यकर्मियों की अस्पतालों में महत्वपूर्ण भूमिका है और इनके सहयोग के बिना डाक्टर रोगियों का उपचार नहीं कर सकते। कोरोना महामारी के दौरान भी इनकी भूमिका को सबने देखा है और इसे देखते हुए यह जरूरी है कि इनकी शिक्षा तथा प्रेक्टिस का नियमन किया जाये। उन्होंने कहा कि इस विधेयक के तमाम पहलुओं पर स्थायी समिति ने विस्तार से विचार विमर्श किया है और उसकी सभी महत्वपूर्ण सिफारिशों को इसमें शामिल किया गया है।
