चमोली ग्लेशियर आपदा में 18 की मौत, 200 से ज्यादा अब भी लापता, तपोवन सुरंग में रेस्क्यू जारी

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देहरादून। उत्तराखंड के चमोली में ग्लेशियर टूटने के बाद आई जल प्रलय में लापता लोगों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है और सोमवार अपराह्न तक यह संख्या बढ़ कर 202 तक पहुंच गई है। राज्य आपदा परिचालन केन्द्र की ओर से आज जारी रिपोर्ट के अनुसार राज्य में अभी तक 202 लोग लापता हैं …

देहरादून। उत्तराखंड के चमोली में ग्लेशियर टूटने के बाद आई जल प्रलय में लापता लोगों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है और सोमवार अपराह्न तक यह संख्या बढ़ कर 202 तक पहुंच गई है। राज्य आपदा परिचालन केन्द्र की ओर से आज जारी रिपोर्ट के अनुसार राज्य में अभी तक 202 लोग लापता हैं और 18 शव बरामद हो चुके हैं। इस दौरान पांच पुल क्षतिग्रस्त हुए हैं।

इस बीच केंद्रीय मानव संसाधन मंत्री और हरिद्वार के लोकसभा सदस्य रमेश पोखरियाल निशंक, टिहरी के सांसद तीरथ सिंह रावत, जनपद के प्रभारी मंत्री धनसिंह रावत ने भी प्रभावित क्षेत्रों का दौरा किया। राज्य के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) अशोक कुमार कल से ही रैणी गांव में रहकर राहत कार्यों का पर्यवेक्षण कर रहे हैं।

एसडीआरएफ के सेनानायक (कमांडेंट) नवनीत भुल्लर ने बताया कि अभी तक लगभग 200 से ज्यादा लोगों के लापता होने की सूचना है। इनमें बाण गंगा परियोजना और एनटीपीसी परियोजना के लोग हैं। अभी तक कुल 18 शव बरामद हुए हैं, जबकि 12 व्यक्तियों को भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी)के सहयोग से सुरक्षित निकाला गया है। उन्होंने बताया कि आठ व्यक्ति घायल हुए हैं, जबकि 30 व्यक्ति सुरंग के अंदर फंसे हैं, जिन्हें निकालने का प्रयास किया जा रहा है।

तपोवन में निर्माणाधीन जलविद्युत संयंत्र का एक हिस्सा क्षतिग्रस्त
सार्वजनिक क्षेत्र की बिजली कंपनी एनटीपीसी ने कहा कि हिमस्खलन से तपोवन में निर्माणाधीन जलविद्युत संयंत्र के एक हिस्से को नुकसान पहुंचा, लेकिन सेबी के दिशानिर्देशों के अनुसार कंपनी को आर्थिक क्षति के मद्देनजर इस घटना को महत्वपूर्ण (मटेरियल) नहीं माना जा सकता। सेबी के दिशानिर्देशों के अनुसार हो सकता है कि इसका कोई अर्थिक असर न हो।

एनटीपीसी ने शेयर बाजार को बताया कि उत्तराखंड में तपोवन के पास एक हिमस्खलन ने इस क्षेत्र में हमारी निर्माणाधीन जलविद्युत परियोजना तपोवन विष्णुगढ़ (520 मेगावाट) के एक हिस्से को नुकसान पहुंचाया है। बचाव अभियान जारी है, और जिला प्रशासन की मदद से लगातार स्थिति पर नजर रखी जा रही है और किसी नुकसान या क्षति का आकलन किया जा रहा है। नुकसान या क्षति के लिए उचित बीमा कवर उपलब्ध है।”

तपोवन की बड़ी सुरंग में फंसे लोगों को बचाने के लिए बहुएजेंसी अभियान
तपोवन में एक बड़ी सुरंग में फंसे करीब 34 लोगों को बचाने के लिए बचाव अभियान रातभर चलाया गया। भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) और राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) के जवान तथा राज्य आपदा मोचन बल के कुछ दल बड़ी सुरंग को खोलने का प्रयास कर रहे हैं जिसमें कीचड़, मलबा और गाद भर गए हैं।

आईटीबीपी के प्रवक्ता विवेक कुमार पांडे ने बताया कि सुरंग में फंसे लोगों को बचाने के लिए हमारे दल रातभर से प्रयास कर रहे हैं। सुरंग में बहुत सारा मलबा भर गया है। सुरंग के भीतर करीब 80 मीटर का हिस्सा साफ कर लिया गया है और वहां तक पहुंच बन गई है। ऐसा अनुमान है कि अभी करीब और 100 मीटर हिस्से से मलबे को साफ करना होगा। घटनास्थल पर आईटीबीपी के करीब 300 जवान मौजूद हैं। आईटीबीपी के दल 1,500 मीटर से अधिक लंबी सुरंग को साफ करने का प्रयास कर रहे हैं और मशीनों के जरिए 1,329 मीटर से अधिक रास्ता साफ कर लिया गया है।

एनडीआरएफ के प्रमुख एस एन प्रधान ने ट्विटर पर बताया कि एमआई-17 हेलिकॉप्टरों की मदद से घटनास्थल पर और दलों को भेजा गया है। ये हेलिकॉप्टर जोशीमठ में हैलिपेड पर उतरे। एजेंसियां करीबी समन्वय में काम कर रही हैं।

ऋषिगंगा घाटी में हिमखंड टूटने से रविवार को अचानक आई भीषण बाढ़ से प्रभावित 13.2 मेगावाट ऋषिगंगा और 480 मेगावाट तपोवन विष्णुगाड पनबिजली परियोजनाओं में लापता हुए लोगों की तलाश के लिए सेना, भारत तिब्बत सीमा पुलिस, राष्ट्रीय आपदा मोचन बल के जवान जुटे हुए हैं।

राहत एवं बचाव कार्य जारी
उत्तराखंड के पुलिस महानिदेशक अशोक कुमार ने सोमवार को कहा कि बचाव और राहत अभियान पुरजोर तरीके से जारी है जिसमें बुलडोजर, जेसीबी आदि भारी मशीनों के अलावा रस्सियों और खोजी कुत्तों का भी उपयोग किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि तपोवन क्षेत्र में स्थित बड़ी सुरंग में बचाव और राहत अभियान चलाने में मुश्किल आ रही है क्योंकि सुरंग सीधी न होकर घुमावदार है।

वायु सेना भी बचाव कार्य में जुटी
भारतीय वायु सेना ने बताया है कि देहरादून से जोशीमठ के लिए एमआई-17 और ALH हेलीकॉप्टर के उड़ान भरने के साथ हवाई राहत और बचाव अभियान फिर से शुरू हो गया है।

लखीमपुर के कई लोग भी लापता
लखीमपुर के लगभग 60 मजदूरों के लापता होने की आशंका है। घटना के बाद से ज़्यादातर परिवारों का अपनों से सम्पर्क नहीं हो रहा है। बताया जा रहा है कि लापता मजदूर पॉवर प्रोजेक्ट पर काम करने गए थे। लखीमपुर की निघासन तहसील क्षेत्र के रहने वाले हैं।

लखीमपुर-खीरी: उत्तराखंड आपदा में जिले के कई लोगों के लापता होने की आंशका

ग्लेशियर टूटने के बाद जोशीमठ पहुंचे वैज्ञानिक
उत्तराखंड में ग्लेशियर का एक हिस्सा टूटने की घटना के बाद सोमवार को वैज्ञानिकों का एक दल देहरादून से जोशीमठ पहुंचा। डीआरडीओ के ‘बर्फ और हिमस्खलन अध्ययन प्रतिष्ठान (एसएएसई)’ के वैज्ञानिक रविवार रात को हवाई मार्ग से उत्तराखंड की राजधानी पहुंचे थे।

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