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भारत और चीन के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा को लेकर विवाद पुराना है। चीन अरुणाचल प्रदेश को दक्षिणी तिब्बत का हिस्सा मानता है जबकि भारत इसे नकारता है। अब मीडिया ने जानकारी दी है कि चीन ने अरुणाचल प्रदेश के विवादित क्षेत्र में एक नया गांव बसा लिया है। इस गांव में लगभग 101 घर …

भारत और चीन के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा को लेकर विवाद पुराना है। चीन अरुणाचल प्रदेश को दक्षिणी तिब्बत का हिस्सा मानता है जबकि भारत इसे नकारता है। अब मीडिया ने जानकारी दी है कि चीन ने अरुणाचल प्रदेश के विवादित क्षेत्र में एक नया गांव बसा लिया है।

इस गांव में लगभग 101 घर हैं। अरुणाचल प्रदेश में बसाए गए गांव की तस्वीरें सामने आने के बाद भारत के विदेश मंत्रालय ने कहा कि देश की सुरक्षा पर असर डालने वाले समस्त घटनाक्रमों पर लगातार नजर रखी जा रही है और अपनी संप्रभुता एवं क्षेत्रीय अखंडता की सुरक्षा के लिए जरूरी कदम उठाए जाएंगे। इसी सवाल को लेकर राजनीतिक हलकों और मीडिया में बहस चल रही है। यह इलाका भारत और चीन की सेना के बीच हिंसक झड़पों का गवाह भी रहा है। पूर्वोत्तर के राज्यों और सीमाओं को लेकर सरकार को और सतर्क रहना चाहिए।

अरुणाचल प्रदेश या इससे पहले लद्दाख में जो हुआ, केंद्र सरकार उसे अकेली घटनाओं की तरह न देखे। यह चीन की अतिक्रमणकारी योजना का हिस्सा है और इसका जवाब देने की जरूरत है। विदेश मंत्रालय सीधे तौर पर इस सवाल का जवाब नहीं दे रहा कि क्या गांव के निर्माण को लेकर चीन के साथ कूटनीतिक रूप से मामले को उठाया गया है।

उधर, कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने अरुणाचल प्रदेश के सीमावर्ती इलाके में चीन द्वारा गांव बसाए जाने की खबर पर सरकार की आलोचना की है। उन्होंने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री चीन से जुड़े कई मुद्दों पर अभी तक चुप रहे हैं। गोपनीयता के नाम पर बढ़ रही ऐसी संवादहीनता के कारण ही शायद चीन को बढ़ावा मिल रहा है। इस मामले को लेकर सरकार को भी चीजें स्पष्ट करनी चाहिए, क्योंकि अभी तक ये साफ नहीं हो पा रहा है कि जिस इलाके में चीन के गांव बसाए जाने की बात कही जा रही है, उस पर किसका नियंत्रण है?

जिस वक्त लद्दाख की सीमा पर भारतीय सैनिक चीनी सैनिकों को पीछे धकेल रहे थे, उस वक्त चीन दूसरी सीमा पर भारतीय जमीन पर कब्जा जमा रहा था। लद्दाख से लेकर सुबनसिरी तक चीन चुपके-चुपके भारत की जमीन हड़पने में लगा रहा और भारत सरकार केवल कुछ चीनी एप्स पर प्रतिबंध लगाकर मुंहतोड़ जवाब देने का दावा करती रही। साफ है कि चीन के दावे को महज खारिज करने या उसे जुबानी चेतावनी देने से समस्या सुलझेगी नहीं। इसके लिए सोची-समझी रणनीति बनाने की जरूरत है।