बरेली: नहरें हुई बे-पानी तो किसानों की बढ़ गई परेशानी
अमृत विचार, बरेली। नहरें किसानों की जीवन रेखा कही जाती हैं लेकिन विभाग की मनमानी से कई नहरें न केवल बे-पानी हैं बल्कि सफाई के आभाव में गंदगी से पटी पड़ी हैं। कुछ नहरें ऐसी भी हैं जिनकी सफाई तो हुई पर ठीक से नहीं। इस कारण इनका पानी टेल तक नहीं पहुंचा। इसलिए कई …
अमृत विचार, बरेली। नहरें किसानों की जीवन रेखा कही जाती हैं लेकिन विभाग की मनमानी से कई नहरें न केवल बे-पानी हैं बल्कि सफाई के आभाव में गंदगी से पटी पड़ी हैं। कुछ नहरें ऐसी भी हैं जिनकी सफाई तो हुई पर ठीक से नहीं। इस कारण इनका पानी टेल तक नहीं पहुंचा। इसलिए कई जगहों के किसान खेतों की सिंचाई ठीक तरीके से नहीं कर पा रहे हैं। उन्हें निजी या किराए के साधन से सिंचाई करनी पड़ रही है। किसानों के लिए यह काफी महंगा साबित हो रहा है।
केंद्र व प्रदेश सरकार किसानों की आय दोगुनी करने का दावा कर रही है, इसके लिए सरकारी विभागों को करोड़ों रुपये का बजट भेजा जा रहा है मगर जिम्मेदार शासन की मंशा पर खरे नहीं उतर रहे। किसानों ने धान की फसल तो उगाई मगर उन्हें फसल का वाजिब दाम नहीं मिल सका। अब खेतों में गेहूं की बुवाई की गई है मगर किसान गेहूं के खेतों को पानी देने के लिए तरस रहे हैं।
अफसरों का दावा है कि नहरों की सफाई से लेकर खुदाई आदि का काम पूरा हो चुका है। किसानों को किसी तरह की दिक्कत नहीं होने की बात कही जा रही है। झूठे दावों की हकीकत नवाबगंज, हाफिजगंज, बिथरीचैनपुर समेत कई ब्लाकों में देखने को मिल रही है। नहरों में पानी नहीं पहुंचने की वजह से किसानों को सिंचाई के लिए निजी पंपिंग सेटों और नलकूपों का सहारा लेना पड़ रहा है। कुछ किसान जो पहले से ही आर्थिक तंगी के शिकार हैं उन्हें सिंचाई के अभाव में गेहूं समेत अन्य फसलों के पिछड़ने की चिंता भी सता रही है।
इधर, विभाग से जुड़े लोग बताते हैं कि टेंडर प्रक्रिया में देरी की वजह से सिल्ट सफाई का कार्य भी देरी से शुरू कराया गया। अब नहरें बंद पड़ी हैं और किसानों नहरों की ओर टकटकी लगाए देख रहे हैं। अधिकांश किसानों का कहना है कि यदि जल्द ही गेहूं के खेतों को पहला पानी नहीं दिया गया तो फसल प्रभावित हो सकती है।
पिछले साल भी उठाना पड़ा था भारी नुकसान
पानी की आस में किसान नहर से पानी मिलने की उम्मीद में टकटकी लगाये बैठे हैं। किसानों का कहना है चिंता अब इस बात की है कि बीते वर्ष के दौरान भी समय बीतने के बाद भी नहर में पानी नहीं आया था। इसके कारण किसानों को काफी मुश्किल उठानी पड़ी थी और किसी तरह डीजल पंप के सहारे सिंचाई हो सकी थी। इसके कारण किसानों को काफी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ा था। इस बार भी अगर नहर में पानी समय से नहीं छोड़ा गया तो इस बार भी खरीफ फसल प्रभावित होने वाली है।
बोले किसान
छोटे किसानों को नहरों के पानी की आस : देवदत्त
क्योलड़िया रहने वाले किसान देवदत्त का कहना है कि गेहूं की फसल में सिंचाई को पहले पानी की जरूरत है। साधन संपन्न किसान तो महंगा डीजल खरीदकर पंपिंग सेट से सिंचाई कर रहे हैं मगर छोटे किसान अभी भी सिंचाई के लिए नहरों के पानी की आस लगाए बैठे हैं। इससे फसल पर बुरा असर पड़ रहा है।
दो माह से नहरों में पानी नहीं : सीताराम
सीताराम ने कहा कि बारिश में सभी नहरें फुल करके चलाई जाती रही हैं। अब जब खेतों में खड़ी सरसों, गेहूं आदि फसलों की सिंचाई और खाली पड़े खेतों का पलेवा करना है तो सूखी पड़ी हैं। दो माह से नहर में पानी नहीं आने से परेशानी बढ़ गई है।
सफाई के नाम पर सिर्फ बजट खपाया
किसान पंकज का कहना है कि नहरों की खुदाई तो हुई नहीं मगर सफाई के नाम पर बजट खपाने का काम किया गया है। भुता निवासी इतवारी बताते हैं किसानों की आय दोगुनी करने की बात की जा रही है मगर खेती अब घाटे का सौदा बनती जा रही है। गन्ने का भुगतान साल भर तक नहीं मिलता। धान भी औने-पौने दामों में बेचना पड़ा। अब सिंचाई के लिए नहरों में पानी नहीं है।
