गोरखपुर: एक ही मंडप में मां-बेटी ने लिए फेरे, जानिए पूरा मामला
गोरखपुर। गोरखपुर के पिपरौली ब्लाक में हुए सामूहिक विवाह योजना के तहत मां-बेटी ने एक ही मंडप में फेरे लिए। पिपरौली ब्लाक के कुरमौल गांव निवासी हरिहर तीन भाई थे। तकरीबन 25 वर्ष पूर्व हरिहर की मौत हो गई तो उनके पांच बच्चों की शिक्षा दीक्षा की जिम्मेदारी उनकी पत्नी बेला पर आ पड़ी। अकेली …
गोरखपुर। गोरखपुर के पिपरौली ब्लाक में हुए सामूहिक विवाह योजना के तहत मां-बेटी ने एक ही मंडप में फेरे लिए। पिपरौली ब्लाक के कुरमौल गांव निवासी हरिहर तीन भाई थे। तकरीबन 25 वर्ष पूर्व हरिहर की मौत हो गई तो उनके पांच बच्चों की शिक्षा दीक्षा की जिम्मेदारी उनकी पत्नी बेला पर आ पड़ी।
अकेली बेला ने इन 25 वर्षों में अपने सभी बच्चों को पढ़ाया लिखा और अच्छी परवरिश दी।अपनी जिम्मेदारियों के क्रम में उसने अपने दो बेटों और दो बेटियों की शादी भी कर दी। लेकिन जब तीसरी और सबसे छोटी बेटी इंदु की शादी मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना के तहत तय हो गई तो आगे का भविष्य अकेले काटने पर उन्होंने काफी मंथन किया। तभी उनकी निगाह अपने सबसे छोटे देवर जगदीश (जो कि उम्र में बेला से 2 वर्ष बड़े भी हैं और कुंवारे भी) पर पड़ी।
बेला ने अपने सभी बच्चों और शुभचिंतकों से इस बारे में राय विमर्श किया और सबकी सहमति मिलने के बाद वह दोनों भी इसी मंडप में एक होने को राजी हो गए। गुरुवार को जब एक मुस्लिम जोड़ा समेत 63 जोड़ों के गठबंधन में बंधने का समय आया तो पहले बेटी ने अपने हमउम्र राहुल के साथ फेरे लिए। फिर उसकी मां बेला में अपने अविवाहित देवर जगदीश के साथ सात फेरे लेकर साथ जीवन बिताने की कसमें खाई।
इस दौरान सामूहिक विवाह योजना के साक्षी रहे ब्लॉक डेवलपमेंट ऑफिसर डॉक्टर सी. एस. कुशवाहा, सत्यपाल सिंह, रमेश द्विवेदी, बृजेश यादव, रतन सिंह और सुनील पांडे सहित कई अधिकारी कर्मचारी व स्थानीय लोग मौजूद रहे। इस शादी में हिंदू रीति रिवाज से शादी कराने की जिम्मेदारी मुकेश मणि त्रिपाठी ने पूरी की तो निकाह कराने की औपचारिकता मौलाना इरफान अहमद ने पूरी की।
